ĐĂNG NHẬP BẰNG MÃ QR Sử dụng ứng dụng NCT để quét mã QR Hướng dẫn quét mã
HOẶC Đăng nhập bằng mật khẩu
Vui lòng chọn “Xác nhận” trên ứng dụng NCT của bạn để hoàn thành việc đăng nhập
  • 1. Mở ứng dụng NCT
  • 2. Đăng nhập tài khoản NCT
  • 3. Chọn biểu tượng mã QR ở phía trên góc phải
  • 4. Tiến hành quét mã QR
Tiếp tục đăng nhập bằng mã QR
*Bạn đang ở web phiên bản desktop. Quay lại phiên bản dành cho mobilex

Shiv Mahapuran Kailash Sanhita Adhyay-22

-

Kailash Pandit

Tự động chuyển bài
Vui lòng đăng nhập trước khi thêm vào playlist!
Thêm bài hát vào playlist thành công

Thêm bài hát này vào danh sách Playlist

Bài hát shiv mahapuran kailash sanhita adhyay-22 do ca sĩ Kailash Pandit thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat shiv mahapuran kailash sanhita adhyay-22 - Kailash Pandit ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Shiv Mahapuran Kailash Sanhita Adhyay-22 chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
Ca khúc Shiv Mahapuran Kailash Sanhita Adhyay-22 do ca sĩ Kailash Pandit thể hiện, thuộc thể loại Thể Loại Khác. Các bạn có thể nghe, download (tải nhạc) bài hát shiv mahapuran kailash sanhita adhyay-22 mp3, playlist/album, MV/Video shiv mahapuran kailash sanhita adhyay-22 miễn phí tại NhacCuaTui.com.

Lời bài hát: Shiv Mahapuran Kailash Sanhita Adhyay-22

Nhạc sĩ: Traditional

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

बोलिये शिवशंकर भगवाने की
जए!
प्रिय भक्तों
शिशिव महा पुरान के केलास सहीता की
अगली कथा है
यती के लिए
एकादशाह
कृत्तिका भर्नन
तो आईये भक्तों
आरंब करते हैं इस कथा के साथ
बाईसमा अध्याय
इसकंदर जी कहते हैं
हे वामदेव
यती का एकादशाह
प्राब्त होने पर जो विधी बताई गई है उसका
मैं तुम्हारे स्नेहे वश्वर्णन करता हूं
मिट्टी की वेदी बनाकर उसका सम्मारजन और उपलेपन करें
तत्पश्यात पुन्या हवाचन पूर्वक प्रोक्षन करके पश्चिम से लेकर पूर्वर
की ओर पाच मंडल बनाएं और सुहम शाद करता उत्रावि मुक बैठकर कारिय करें
गाधेश मात्र लंबा चोडा चोकोर मंडल बनाकर उसके मद्यभाग में विंदु उसके
ऊपर त्रिकोन मंडल उसके ऊपर शटकोन मंडल और उसके ऊपर गोल मंडल बनाएं
तीर अपने सामने शंख की स्थापना करके पूजा के लिए बताई
हुई पद्धती के करम से आच्वन प्रानयाम एहुं संकल्प करके
पूर्वोक्त पांच आतिवाहिक देवताओं का
देविश्वरी देवियों के रूप में पूजन करें
उत्तर और आसन के लिए कुष डाल कर जल का इसपर्श करें
पश्चिम से आरंब करके पूर्व परियंत जो मंडल बताए गए हैं
उनके भीतर पीठ के रूप में पुष्प रखें
और उन पुष्पों का क्रमश है उक्त पांचो देवियों का आवाहन करें
पहले अगनी पुञ्ज स्वरूपनी
अतिवाहिक देवियों का आवाहन करते वे इसपर्खार कहें
ओम् हिरिम् अगनी रूपः
मातिवाहिक देवियों ताम आवाह यामी नमहां
इसपर्खार सर्वत्र वक्य योजना और भावना करें
इस तरहें पांचो देवियों का
आवाहन करके पिर्देक के लिए आधर पूर्वक
स्थापना अधी मुद्राओं का प्रदर्शन करें
तद पश्यात
हराम् हिरीम् हुरूम् हरेम् हरौम् हरः
इन बीज मंत्रों द्वारा शर न्यास और करन्यास करें
असके बाद उन देवियों का इस परकार ध्यान करना चाहिए
उन सब के चार-चार हात हैं
उनमें से दो हातों में वे पाश और अंकुष धारन करती हैं
तथा
शेष दो हातों में अभे और वरद मुद्राओं हैं
उनकी यंगकांती चंद्रकांती मनी के समान है
विलाल अंगूठियों की प्रभास से उन्होंने
सम्पून दिशाओं के मुख मंडल को रंग दिया है
विलाल वस्त धारन करती हैं
उनकी हात और पैर कमलों के समान शोभा पाते हैं
पीन नेत्रों से सुशोबित मुख रूपी पून चंद्रमा का छटा से
विमन को मोह लेती हैं
मानिक के निर्मित मुक्तों से
उद्भासित चंद्र लेखा उनके सीमन्त को विभूशित कर रही हैं
कपोलों पर रत्न में कुंडल जल मला रहे हैं
उनके उरोज पीन तथा उन्नत हैं हार के यूर कड़े और करधनी की
लडियों से
विभूशित होने के कारण वे बड़ी मनो हार नी जान पड़ती हैं
उनका कटी भाग कृश और नितम्बिस्थूल हैं उनकी
अंग लाल रंके दिव्यवस्त्रों से आच्छादित हैं
चरणार विंदो में मानिक के निर्मित पाय जेवों की जहनकार होती रहती हैं
पहरों की अंगलियों में बिछ्वों की पंग्ती अठ्यंत सुन्दर एवं मनो हार हैं
यदि अनुग्रह मुर्दे के समान मूर्दी मान हो
तो उससे क्या सिद्ध हो सकता है
इसलिए वे देवियां महिश्वर की भाती शाक्यात्मक
मूर्दी वाले अनुग्रह से संपन्य हैं
अत्याई उनके अनुग्रह से सब कुछ सिद्ध हो सकता है
सब पर अनुग्रह करने वाले भगवान शिव ने ही
उन पाच मूर्दियों को स्विकार किया है
इसलिए वे दिव्य संपून कार्य करने में
समर्थ तथा परम अनुग्रह में तत्पर हैं
इसप्रकार उन सब अनुग्रह पर आयन कल्यान में इदेवियों का अध्यान करके
उनके लिए शंखस्त जल के बिंद्वों द्वारा पेरों में पाध,
हाथों में आचमनीय तथा मस्तकों पर अर्ग देना चाहिए
तल अंतर शंख के जल की बूंदों से उनका इस्नान कर्म संपन्य कराना चाहिए
इस्नान के पश्चात दिव्य लाल रंग के वस्त्र और उत्रीहे अर्पित करें
बहुमुल्य मुकुट्ध एवं आभूशन दें इन वस्तों के अभाव
में मन के द्वारा भावना करके उने अर्पित करना चाहिए
तत्वशाद सुगंदित चंदन अत्यंत सुन्दर अक्षत
तथा उत्तम गंद से युक्त मनोहर पुश्प चड़ाएं
अत्यंत सुगंदित धूप और घी की बत्तियों से युक्त दीपक निवेदन करें
इन सब वस्तों को अरपन करते समय आरम्भ में ओम्हिरिम का प्रियोग करके फिर
समर्पयामी नमहा
बोलना चाहिए
यथा
इस परकार
इसी तरहें अन्य उपचारों को वर्पित करते समय बाक्के योजना कर लेनी चाहिए
दीप समर्पन के पश्चाथ हाथ जूर कर प्रतेख देवी के लिए प्रथक
प्रथक केले के पत्ते पर पूरा पूरा स्वासित निवेद रखें
वे निवेद घी,
शक्कर और मधु से मिश्चित खीर,
पूआ,
केले के फल और गुर्ण आदी के रूप में होना चाहिए
अवम् हरीम् स्वाहा
नेवेध्यम् निवेधयामी नमः
बोलकर नेवेध्य समर्पन के पश्चाथ
ओम् हरीम् नेवेधान्ते आच्वनार्थम् पानियं समर्पयामी नमः
पूआ कहते हुए बड़े प्रेम्से जल अर्पित करें
हे मुनिशेष्ट तत पश्चाथ प्रसन्नता
पूर्वक नेवेध को पूर्व दिशाव में हटा दें
और उस इस्थान को शुद्ध करके कुल्ला आश्पमन तथा अर्ग के लिए जल दें
प्रितांबूल, धूप और दीप दे कर
परिकरमा और नमसकार करके मस्तक पर हाथ जोड
इन सब देवियों से इस प्रकार प्रात्ना करें
एस्विरी माताओ आप अथ्यन्त प्रसन्न हो शिव पद की अभिलाशा
रखने वाले इस यती को परमिश्वर के चरणार विंदों में रख दें
और इसके लिए अपनी स्विकर्ती दें
इस प्रकार प्रात्ना करके उन सब का विजैसी आई थी उसी तरह विदा देकर
विशर्चन कर दें
और उनका प्रसाद लेकर कुमारी कन्याओं को बाढ़ दें
यगों को खिला दें अत्वा जल में डाल दें
इनके सिवा और कहीं किसी प्रकार भी न डालें
यहीं पारवन करें यती के लिए कहीं भी एको दिश्ट शाद का विधान
नहीं है यहां पारवन शाद के लिए जो नियम है उसे मैं बता रहा हूं
हे मुणी शेष्ट तुमसे सुनो
इससे कल्यान की प्राप्ती होगी
शाद करता पुरुष इसनान करके प्राणयाम करे यग्यो पवित पहेन सावधान
हो हात में पवित्री धारन करके देशकाल का कीर्तन करने के पश्याद
मैं इस उन्यतिथी को पारवन शाद करूँगा
इस तरह संकल्प करे
संकल्प के बाद
उत्तर दिशा में आसन के लिए उत्तम कुष बिचाए
फिर जल का इसपर्श करके
उन आसनों पर द्रह्यता पूर्वक उत्तम वृत का पालन करने वाले
चार शिव भक्त ब्राह्मनों को बलाकर भक्ती भाव से बिठाए
विश्व देव के लिए यहां शाद ग्रहन करनी के किर्पाकरे
यति जि शद्धा और आदर पूर्वक उन सबका यत हो चित रूप में वरन करे
प्रावरादर पूर्वक उन सबका यतोचित रूप से वरन करें।
फिर उन सबके पैड़ धोकर उसे पूर्वाभि मुक पिठाएं।
और गंद आदी से अलंकित करके शिव के सम्मुक भोजन कराएं।
अधन्तर वहाँ गोवर से भूमी को लीप कर
पूर्वाग्र कुष्ष बिच्छाएं।
और
प्राणायाम पूर्वक पिंड दान के लिए संकल्प करके तीन मंडलों की पूजा करें।
इसके बाद पहले पिंड को हाथ में ले आत्मने इमं पिंडम ददामि।
युपी मप्रारभावस rela umbrella
हरूसे!
पिन्ण और कुशो दक दें।
तत्वश्यात उठकर परिक्रमा और नमस्कार करें।
तद अंतर बाहमनों को विधिवत्तक्षणा दें।
उसी जके और उसी दिन नारायन बली करें।
रक्षा के लिए ही सर्वत्र श्री विश्णों की पूजाव का विधान है।
अत्याइ विश्णों की महा पूजा करें और खीर का निविद्धि
चड़ाएं। इसके बाद वेदों के पारंगत बारे विद्ध्वान
बाहमनों को बला करके शवादी नामंत्र द्वारा गंद,
पुष्प और रक्षत आधी से उनकी पूजा करें। उनके लिए विधी प�
यह साथ पुर्थियों की खीर की बली दें।
मुनिश्वर,
यह मैंने एक आदशा की विधी बताई हैं।
अब दो आदशा की विधी बताता हूं।
आधर पूर्वक सुनो।
बोलिये शिवशंकर भगवाने की जए।
औम नमः शिवाई, औम नमः शिवाई, औम नमः शिवाई।

Đang tải...
Đang tải...
Đang tải...
Đang tải...