वो जो मासूम चहरे पे हम
मर मिटे थे कभी तूट कर
अब मुहाबत की वो बिजलिया गिर रही है किसी और पर
वो जो मासूम चहरे पे हम
मर मिटे थे कभी तूट कर
अब मुहाबत की वो बिजलिया गिर रही है किसी और पर
वो जो मासूम चहरे पे हम
अब मुहाबत की वो बिजलिया गिर रही है किसी और पर
राते माँगी थी हमसे हमारी हमने नीदे अपनी दिया था
नम हुई थी जरा उनकी पलके जाम अशकों का हमने पिया था
राते माँगी थी हमसे हमारी
हमने नीदे अपनी दिया था
नम हुई थी जरा उनकी पलके जाम अशकों का हमने पिया था
एक जलक को मेरी जो तरसते जाते हैं दूर हटे कर
वो जो मासूम चहरे पे हम
मल मिटे थे कभी तूट कर
मल मिटे थे कभी तूट कर
नाम मेरा हटेली पे लिख के नाज़ करते थे अपनी वखापे
कान हे पे रख के सर्वे खुदी में शर्म करते थे अपनी अदापे
नाम मेरा हटेली पे लिख के नाज़ करते थे अपनी वखापे
नाज करते थे अपनी वफा पे
कांदे पे रख के सर वे खुदी ने
शर्म करते थे अपनी अदा पे
रस्मे उलफत की तोड़े हदें वो
जो बसाया किसी गैर को
वो जो मासूम छहरे पे हम
मर मिटे थे कभी तूट कर