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Bài hát sultan bodh, pt. 02 do ca sĩ Bijender Chauhan thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat sultan bodh, pt. 02 - Bijender Chauhan ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Sultan Bodh, Pt. 02 chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
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Lời bài hát: Sultan Bodh, Pt. 02

Nhạc sĩ: Traditional

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

मन में चकित शाह तब हो गया चूती मारा में खित खो गया सुई भी संग देना हमारा जूता राज पाती ये सारा
सहस्त्र सुई का है प्रसंग एक भी सुई चले ना संग अब तो खाना हम जब खावें जब जिन्दा के दर्शन पावें उसके इरदै ज्यान ये आया फिर दुर्वेश का ध्यान लगाया
इब्राहिम ने मन में खाना राज बीच वाक्ती को जाना
जिन्दा जिन्दा रत रहा खिर्दे प्रेंग बढ़ाए जो जिन्दा फिर से मिले पूछू सत्के उपाए
शाह ने दिल में भाव जगाया जिन्दा से मिलना तब चाहा बहुत दिनों तक ध्यान लगाया
फिर भी जिन्दा
मिलना पाया
शाह ने मन में
किया विचार
जिन्दा मिलेगा
किसी प्रकार
सिद्धों को वहाँ पर
बुलवाया
उनके सममुख प्रशन उठाया
जो भी सिद्ध ये विधी
बतावे
मुझे को जिन्दा से
मिलवावे
शाह ने मन में
ऐसी थानी
बुला लिये सब ज्यानी ध्यानी
सिद्धों को बुलवा के तिरे किया सम्मान
ऐसी विधे बतलाओ मन मेरा लेमान
सबी सिद्ध तब वह पर आए
तब राजाने वचन सुनाए
तुम तो अधिक प्यारे अल्ला को
करामात दिखलाओ हमको
नहीं तो तुमको बंद कराओ
अन्यता मृत्यू दंड दिलवाओ
सिद्ध वचन फिर ऐसा सुनाते
हम तो भजन हरी का गाते
निष्टि नाम नाम गुण गावे
करामात के पास न जाबे
ये सुन शाह को गुस्ता आया
कैद का फिर आदे सुनाया
तब सुल्तान ने कहा
तुम हो नास्ति की क्या करते हो
तुम कैसे पूजा करते हो
इन्हें चक्की के पास ले जाओ
अनाजी इन सब से पिसवाओ
करामात यद नहीं
जानते फिर क्यों तुम हो सिद्ध कहते सभी सिद्ध फिर चक्की चलावें बड़े अचंबित हर गुन गावें
तब मुझको फिर आई थी दया तब मैं शाह के द्वार पे गया तब चक्की में छड़े मार दे चक्की आप ही गूमने लग गई
सिद्ध वहां से सभी चले गए तब शाह के लोग आ गए चक्की आप ही चलती देखी सब बातें राजा से कह दी
तब सुल्तान ने वजन कहे फिर सुल्तान के दिल में आई किसने है ये चक्की चलाई
अब ना बिलकुल देरी लगाओ उसको जल्दी डूने
के लाओ तब सत्व गुरु ने कहा ढूंढत ढूंढत जब सब ठक गए ना पाए तब ब्याकुल हो गए
जब राजा चिंता में छाए तब हम उसके महल में आए फिर हमने ना देरी लगाई
महलों पर पहुँचा जाई जब मैं महलों पर आया
तब उंटो ने शोर मचाया सुनकर शाह रोध में आए
कौन हमारे महलों में आए कौन हो तुम और कहा से आए
हमारे क्यों महलों में धाए मैंने कहा उंट मेरा खोया
अपने उंट को ढूंढता आया उंट हमारा भी ना पाया
उसे खोजता महल में आया, सुनकर शाह हसने लग गया
कैसे उठ महल में आ गया, कैसे महल में उसका आना
जाओ उसे जंगल में खोजना, हमने कहा तुम्हे ज्ञान बतावे
राजि कद्दी पे प्रभू ना पावे, मन में ऐसा ज्ञान ना करना
सत्य वचन को दिल में रखना
राजा बनना प्रभू मिले, सुनो शाह सुल्तान
हर दम उसको यादि करू, रचा है जिसने जान
यहां हमारा उठ नयावे, राजि कद्दी पे
अल्लाह ना पावे, मन में ऐसा ज्ञान ना करना
पावे, जब तक दिल में गर्व समावे, गद्दी पर प्रभू कैसे पावे
जब तुम राज से हट जाओगे, तब अल्लाह को समझ पाओगे
मान समान जब मिल जाओगे, अल्लाह रूप तभी मिल जाओगे
तब सुल्तान सम्मुक आया, तब जिन्दा को बचन सुनाया
अपना नाम और रूप बताएं, कहो अल्लाह को कैसे पाएं
तब जिन्दा ने कहा
सच्छे दिल से सुरती लगाओ, सच्छे प्रेम में तुम खो जाओ
धन दौलत के करो नास, मन में प्रेम का करो
प्रकाश मन इस्थिर कर सुरती लगाओ, तब ही दर्श प्रभू का पाओ
कहे कभीर जो खोजे पावे, अलग रूप दर्शन हो जावे
प्रेम से उसको खोजिये, फिर दे आए जाने
उस प्रभू की खोज में, जागते रह सुरती
मन सुलताने
जिन ढूणा सो फालिया, गहरे पानी जाए
तूबन से जो भी डरा, बैठा ही रह जाए
मन सुलताने के शंकाए, ना दुवेस, ना उट है भाई
बहुत समय फिर यूँ ही बीट गया काल चक्र फिर आगे बढ़ गया बलक शहर में हम फिर आगे राजा के महलों में पहुँच गये
इब्राहिन तब हमको देख कर बोला हमसे गुस्सा हो कर तब सुल्टान ने कहा फिर सुल्टान ने वचन सुनाए कौन हो तुम और कहां से आए
हम परदेशी दूर हैं रहते हैरने की जगा ढूंडते बोला राजा महल हमारा यहां पर कुछ नहीं काम
तुमारा हीरों से जड़ा महल हमारा यहां पर नहीं थिकाना तुमारा तब जिंदा ने कहा
अब तुम शहर बाजार में जाओ कोई थिकाना वहीं पर पाओ कही दुर्वेश सुनूं सुल्टान
दिल में पर खो करके ध्यान तुमने महल कहां से पाया
खोज करो
किसने बनवाया
महल आपका नहीं है भाई
तुम एक मुसाफिर भाई
तुम सुल्टान चतुर विर्द्वान
सुरती निरती से पूछो ग्यान
तुमसे बाद शह कितने हो गए
महल किसी के संग ना गए
दादा बाबा आपके हो गए
उनके संग भी महल ना गए
तुम कहते हो महल हमारा
अंत समय छूटेगा सारा
ये सराय है सारी दुनिया
कोई किसी का है नहीं यहां
जहां तहां छूटेंगे सब धाम
ये दिन चार के सबी मुकाम
हर पल प्रभू को अब पहचानो
महल सराय को एकी
हिमानो ज्ञान की दृष्टी
हिरदे आवे राज जाग
प्रभू के गुण गावे
हो पकीर सब त्याग के
तिरदे आए जो ज्ञान
पान ज्ञान के ऐसे
सुनो बात सुल्टान
राजा एक दिन
गए शिकार
साथ में योगे लिए सवार
अपने साथ शिकारी लाए
प्रसन हो करके चल आए
राश्टे में प्रसन न होते
सभी शिकारी जहां तहां फिरते
बहुत समय जब यूँ ही बीत गया
कोई शिकार हाथ ना आया
सब सुल्टान को गुसा आया
ढूंडो शिकार हुक्म सुनाया
चारो तरफ शिकारी जावें
मिले शिकार न फिर पच्चतावें
फिर ऐसी लीला हुई भाई
धर्मदास सुनो जान लगाई
एक हिरन सोने के रंग का
हीरा रतन मनी जड़े जो देखा
उसे देख राजा ललचाया
हिरन को पकड़ो हुक्म सुनाया
सारे चल दिये आग्या पाकर
हिरन गया फिर दोड़ लगाकर
कहे शाह जो हाथ न आये
हिरन आप से ही लिया जाए
कहे सुल्तान शीकर ही जाओ
उसे मार कर जल्दी लाओ
हिरन शाह के सम्मुख आया
शाह ने उसे पकड़ना चाहा
मृके पीछे शाह अकेला
ना कोई सेना ना कोई चेला
कभी दीखता कभी चुप जाता
राजा पीछे दोड़ लगाता
महा बायानक वन में पहुँच गया
राजा प्यास से व्यागल हो गया
वटका व्रक्ष नजर एक आया
बड़ी शीतल की उसकी छाया
एक फकीर वहाँ पर बैठा
दो कुतों को पास में देखा
वो फकीर जहँं पर बैठा था
शीतल जल का कलशी रखा था
फिर सुल्तान वहाँ पर आये
हे सलाम कर वचन सुनाए
कहे सुल्तान प्यास मुझे भारी
बिंती सुनलो आप हमारे
हम फकीर दुर्वेश कहाँ ए
सुरती होए तो भरो पिलावे
जल पी और करो यहां वासा
चिंद ने किया है फिर ये तमाशा
गा कर कड़ी अगिन से
मिश्री घी को मिलाए
न्यामत रखीर का
तब मैं कुट्टा से कहे खाए
कुट्टा न्यामत खाए न भाई
फिर कुट्टा को मारी लगाई
ऐसा चर्त दुर्वेश ने किया
शाह के मन में भ्रम हो गया
फिर सुल्तान बचन सुनावे
यह पशु न्यामत समझ न पावे
सुनो शाह ये ध्यान में रखना
जैसा दिया है वैसा पाना
जैसे कर्म को जो कोई करता
वैसा ही तन पाकर भरता
इसमें कोई शंक्त नहीं है
जैसा बोई पाता वही है
हाथ जोड में विनती करता
साहब आपकी गती समझता
वाणी अगम साहिब से
समझाओ, साफ साफ मुझे को बतलाओ, तब दुर्वेश ने कहा, तब दुर्वेश कहे समझाओ, जान लगा कर सुनो बताओ, एक शहर है बलक कहा था, वहीं के हम हैं दोनों राजा, इब्राहीम वहां का राजा, ये हैं उसके बाप वदादा
समझाओ, जान लगा कर सुनो बताओ, जान लगा कर सुनो बताओ, ये हैं उसके बाप वदादा

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