कितनों का है दिल तूने तोड़ा इन नजरों से
कातली तो है तू बाग में सारे
जो फूल हैं मुरचा गए क्या कहूँ
आँखों में दर्द ना दिखता तेरी तस्विर
मैं दिखूँ शहर के सारे
लड़के मर गए बस एक मैं ही हूँ
और इक तू है हम दोनों समंधर में डूबे
कितना सुख
कितना सुख
मेरे सब रंग तू ले लेना सफेध तू कर दे
कितना सुख
कितना सुख
सब बोल मुझे तू है खुदकर्ज और बेवफाद तेरे किस्से हैं
सब सुने मैं भी तू कितना हुआ पागल के मेरे रंग सब तू ले ले
आखिर कोई दो रस्ता के सूरच की किरने कभी हम सबी कुजर
मेरे सीने को तुम से भरी वुदें और इत तू है हम दोनों समंधर में डूबे
कितना सुख है कितना सुख है मेरे सब रंग तू ले लेना सफेध तू कर दे
कितना सुख है कितना सुख है
हम दोनों पागल हो गए