सुख कोई बहुत सोभाग्य साली को मिलता है और कडि भूख का सुख किश्मत वाले को मिलता है
और जिसको कडि भूख लगती है और गहरी नीद आती है उस बेक्ती का दिमाग उसकी बुद्धी बहुत उषाग्र रहती है
intelligence रहती है इसलिए याद रखना जब तक कड़ी भोंक न लगे तब तक कुछ खाना मत और यदि गहरी नींद ना आए तब तक सोना मत और एक समय ऐसा आ जाएगा कि तुम बेहोस हो जाओंगे और गहरी नींद में डूब जाओंगे और जब मनस्य गहरी नींद सोता है तो इस
को गहरी नींद नहीं जाती है ऐसे बहुत सिरार नारी बैठे है जिन को कड़ी भोंक नहीं लगती कि बिना भोंक रोज खाते हैं
कि बिना भोंक करते हैं वह घड़ी के टाइम से खाते हैं वह के टाइम से नहीं खाते हैं कहते हैं घड़ी में 9 बच गए नास्ता
गड़ी में 11 बज़ गया भोजन ला
पहले पेट से भी तो पूछो भोंख है कि नहीं
कितने लोग तो एक घंटा भोंखे रही नहीं सकते
एक घंटे भोंखे रह जाएं
तो उनको लगता है कहीं मृत्तु न हो जाएं
लेकिन मैं आपको सच बताता हूँ
जो आदमी एक घंटे भोंखा रह लेता है
वो इसकी बाड़ी में एनर्जी चार्ज होती है
ये सरीर फिर सरीर से उड़जा लेना सुरू कर देता है
इसलिए कभी कभी थोड़ी देर भोंखे भी रहा करो
लेकिन प्यासे कभी मत रहो पानी जरूर पी लिया करो
और चोविस खंटे में दो चार बार जोर से हस लिया करो
और पती पतनी दोनों बेट कर हसा करो
बहुत आनंद की प्राप्ती होगी
दूसरों के साथ हसना आसान है
दूसरों के साथ मुश्कराना आसान है
लेकिन पती पत्नी शास शात हसना, मुष्कराना बहुत कठिल है
पती पत्नी जब बिवा होता है
तो किवल एक शाल तक दोनों मुष्कराते हैं
दूसरे शाल हसते हैं
और तीसरे शाल सोचते हैं कि हम फसते हैं
और चोथे शाल आँख भुढ़कते हैं
अब पांचवे साल महाभारत ठन जाती है फिर जिन्दगी भर महाभारत जाती है
महत्मा विदूर और ध्रतराष्ट के बीच में संबाद हो रहा है
महाराजा धिराज ध्रतराष्ट दुख में डूबे हुए है
चिंता में जल रहे हुए
रात को नीन्द नहीं आती है
दिन में उनको चैन नहीं मिलती है
जो विक्ति अन्याय करता है
मोह में पढ़ करके डिसिजन लेता है
किसी के पच्चपात में गलत कारी करता है
उसकी दसा ध्रतराष्ट जेसी ही होती है
पच्चपात
पंडों के लिए अन्याय, कौरों का पच्चपात, दुरियोधन का मोह, दृतराष्ट को चिन्ता की चिता में जला रहा है।
पंडों के लिए अन्याय, कौरों का मोह, दुरियोधन का मोह, दृतराष्ट को चिन्ता में जला रहा है।
पंडों के लिए अन्याय, कौरों का मोह, दृतराष्ट को चिन्ता में जला रहा है।
इतने इस ग्रंथ है, पंथ है, संत है, लेकिन फिर भी आदमी कहीं न कहीं से गलती करने के लिए राष्टा निकाल लेता है।
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