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Srimad Bhagavad Gita Satrahven Adhyay Ka Mahatmya

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Kailash Pandit

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Bài hát srimad bhagavad gita satrahven adhyay ka mahatmya do ca sĩ Kailash Pandit thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat srimad bhagavad gita satrahven adhyay ka mahatmya - Kailash Pandit ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Srimad Bhagavad Gita Satrahven Adhyay Ka Mahatmya chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
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Lời bài hát: Srimad Bhagavad Gita Satrahven Adhyay Ka Mahatmya

Nhạc sĩ: Traditional

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

श्री क्रेश्न गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायन वासु देवाबोलिये हारे के सहारे कृष्ण प्यारे की जैरेग्रिये भक्तों श्रीमत भगवत गीता के सत्रवे अध्याय के पश्चारआईए आपको सुनाते हैं सत्रवे अध्याय का महात्मभाईय भक्तो आरम्ब करते हैंभगवान विश्णू ने लक्ष्मी जी से कहाहे लक्ष्मी, मंडलीक नामक देश में दुह शासन नाम का एक राजा थाउसने और एक अन्य देश के राजा ने आपस में शर्त बांधीकि हाथी लड़ाए जाए और जिसका हाथी हारे वे अमुक धन देवेदूसरे राजा का हाथी जीता, दुशासन का हाथी हाराकुछ दिन बाद हाथी मर गया, तो राजा दुशासन को बड़ी चिन्ता हुईएक तो धन गया दूसरे हाथी मरा तीसरे लोगों में हसी हुई इसी चिंता में राजा मर गया यम्दूत उसे पगड़ कर धर्मराज के पास ले गए धर्मराज ने आज्या दी की है हाथी के मोह में मरा है इसे हाथी की योनी दोहे लक्ष्मी राजा दुहशासन संगल द्वीप में जाकर हाथी हुआ उस राजा के पहुत हाथी थे उनमें आया पिछले जन्म की उसे याद थी कुछ दिनों में राजा के पास एक ब्रह्मन आया उसने राजा को एक श्लोक सुनायाहे लक्ष्मी राजा बड़ा प्रश्न हुआ और कहा हे ब्रह्मन तुम्हारी जो इच्छा है बांगो ब्राह्मन ने कहा मेरे पास सब कुछ है केवल � skateai नहीं हैराजा ने वही हाथी उस ब्राहमन को दे दियाब्राहमन अपने घर उस हाथी को ले आयाब्राहमन ने रात को हाथी को दाना दियापरन्तु हाथी ने ने दाना खाया, ने पानी पियाहाथी रुदन करते हुए मन में चिंता कर रहा थाकि मुझे को इस योनी से छुडावेब्रह्मन ने महावत को बला कर पूछाकि इस हाती को क्या दुख हैजो खाता पीता कुछ नहीं हैमहावत ने देख कर कहाइसको कुछ नहीं हैतब ब्रह्मन ने राजा से कहाराजा उसको देखने के लिए आयाराजा ने अच्छे अच्छे वैद और महावत बुला कर सब को हाथी दिखलायाउन्होंने देख कर कहा हे महराज इसको मानसिक दुख है देह का दुख नहीं हैतब राजा ने कहा हे हाथी तु ही बोल तुझे क्या दुख हैपरमेश्वर की शक्ती से मनश्यों की भाषा में हाथी ने कहाहे राजन आप बड़े धर्मक्य हैं और ये ब्राह्मन भी धर्मक्य हैइसके घर का अन वेखावे जो बड़ा धर्मक्य होमुझ जैसा अधम क्यों करखा सकता हैतब ब्राह्मन ने कहाहे राजन आप अपना हाथी बापस ले लोराजा ने कहा दान की वस्तू मैं फिर लोटा कर नहीं ले सकताहाथी ने कहा हे ब्रह्मन चिंता मत कर तू मुझे गीता के सत्रवे अध्याय का पात सुनाब्रह्मन ने ऐसा ही कियाहे लक्ष्मी पाट सुनते ही ततकाल हाथी की देह छूट गई और उसने देव देह पाईस्वर्ग से विमान आया उस विमान पर बैठकर देव देह धारी हाथी ने राजा और ब्राह्मन की स्थुती की और फिर कहाहे राजन आप धन्य है आपकी कृपा से मैं इस अधम देह से छूटा हूँ फिर राजा को अपने पिछले जन्म की कथा भी सुनाईऔर उस विमान में स्वर्ग चला गया पोलिए श्री कृष्ण भगवान की जय इति श्री पदम पुराने उत्तराखंडे गीता महात्म नाम सत्रवा अध्याय समाप्तम प्रिय भक्तों इस प्रकार यहां पर शीमत भगवत गीता के सत्रवे अध्याय का महात्म यहां पर समादेवाए नमहा नमहा

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