ĐĂNG NHẬP BẰNG MÃ QR Sử dụng ứng dụng NCT để quét mã QR Hướng dẫn quét mã
HOẶC Đăng nhập bằng mật khẩu
Vui lòng chọn “Xác nhận” trên ứng dụng NCT của bạn để hoàn thành việc đăng nhập
  • 1. Mở ứng dụng NCT
  • 2. Đăng nhập tài khoản NCT
  • 3. Chọn biểu tượng mã QR ở phía trên góc phải
  • 4. Tiến hành quét mã QR
Tiếp tục đăng nhập bằng mã QR
*Bạn đang ở web phiên bản desktop. Quay lại phiên bản dành cho mobilex
Vui lòng đăng nhập trước khi thêm vào playlist!
Thêm bài hát vào playlist thành công

Thêm bài hát này vào danh sách Playlist

Bài hát shiv katha do ca sĩ Amit Singh Ammy thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat shiv katha - Amit Singh Ammy ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Shiv Katha chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
Ca khúc Shiv Katha do ca sĩ Amit Singh Ammy thể hiện, thuộc thể loại Thể Loại Khác. Các bạn có thể nghe, download (tải nhạc) bài hát shiv katha mp3, playlist/album, MV/Video shiv katha miễn phí tại NhacCuaTui.com.

Lời bài hát: Shiv Katha

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

भक्त जनों,
आज हम आपसे को
सावन मास की परम सुहावन कता सुनाने जा रहे हैं।
सावन में देवादी देव महादेव की पूजा अर्चना
करने से अभिष्ट फलों की प्राप्ती होती है।
यह पवित्र सावन मास भोलेनाद को अज्यंत प्रिय है।
परंतु पारहों मास में केवल यही मास शिवजी का प्रिय क्यूं है।
आएए इस संगीत मैं गाथा के माध्यम से श्रवन करते हैं।
तो एक बार प्रेम से बोलिये भक्तों
भगवान भुलेनाद की जै।
हम सावन की मन बावन पावन कथा सुनाते हैं।
भूले शंकर के महिमा की गाथा गाते हैं।
हम कथा सुनाते हैं।
सावन के व्रत पूजन से शिवजी खुष हो जाते हैं।
ये सावन का शुब मास है शिवशंकर का खास। यह सावन का पियमास।
भक्त जनों,
सावन मास की लोकप्रियता को देखकर
ब्रह्माजी के मानस पुत्र सनक,
सनन्दन्द,
सनातन और संत कुमार के मन में यह प्रश्न आया कि आखिर बारहों
मासों में सावन मास ही भगवान शंकर का प्रियमास क्यों है?
इसके पीछे क्या रहस्य और इतिहास है?
इन ही प्रश्नों का समुचित उत्तर पाने चारो भाई
कैलाश परवत की ओर भगवान शिव के पास चल दियें।
तो प्रेम से बोलिये भक्तों,
बाबा भूले नाथ की जै!
धार्मिक ग्रंथों में है सावन मास का शुब वर्णन
कहते हैं हम कथा सचनों सुनों लगा करमन
संत कुमारों के मन में एक बार प्रश्न आया
अस कारण मासों में सावन ही शिव को भया
ख्या रहस्त इसके पीछे क्या है इसका इतिहास
क्यूं ना इसे पूछते शिव जी से चल शिव के पास
ऐसा कर विचार चारो भाई पहुँचे शिव धाम
हात जोड शिव के चर्नों में सादर किया प्रणाम।
शिव जी संत खुमारों को सम्मुख बेठाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
भोले शंकर के महिमा की गाथा गाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं।
यह सावन का शुक्मास,
है शिव शंकर का भास,
है शिवशंकर का खास यह सावन का प्रियमास।
भगत जणों,
सनक,
सनन्दन,
सनातन और संत कुमारों को भगवान शंकर ने
सम्मान पूर्वक अपने सम्मुक बैठने के लिए आसन दिया ने।
फिर सभी को कुशल,
मंगल जानकर अचानक कैलाश पधारने का कारण पूचा।
चारो भाई भगवान आशुतोष को शीष जुकाकर
अपने मन की जिक्यासा का वरनन करने लगे।
तो प्रेम से बोलिये भगतों,
भगवान शंकर की जै।
कुशल सहित शिवजीने पूचा आने का उद्देश।
बोल सनक सनन्दन सनत कुमार हे शंगु महेश।
है मन में एक प्रश्न सदाशिव इसको बतलाएं।
सावन है क्यों प्रिये आपको स्वामी समझाएं।
संत कुमारों की बातों को सुनकर शिवशंकर
बोले पहली कथा सुनो ये है अतिशे सुन्दर।
दक्ष प्रजापति ने एक बार यग्यता करवाया।
सबको दिया निमंत्रन किंटू मुझे न बुलवाया।
धाकत जनों!!
भगवान शंकर कहते हैं कि हे कुमारों देवताओं को सजधज के जाते हुए
सती ने मुझसे पूछा कि हे नात ये सब एक साथ आज कहा जा रहे हैं।
तब मैंने उन्हें सारी बातें बता दी,
फिर वे भी अपने पिता के उस महा यग्य में शामिल होने की हट करने लगी
और विवश होके मुझे सती को अनुमती देना ही पड़ा।
तो प्रेम से बोलिये भक्तों
भगवान शंकर भोलेनात की जैए।
बात यग्य की सुनके सती गई है पिता भवन,
किन्टू वहाँपर कहीं नहीं देखा मेरा आसंद।
सहना सकी अपमान मेरा प्राणों को त्याग दिया।
अगला जन्म हिमाचल और मैना के यहां लिया।
परवत की पुत्री होने के कारण उनका नाम।
पारवती हिमशैल सुता कमभिका पड़ा गुनग्राम।
एक रोज देवरशी नारद आए हिम के द्वार।
परवत राज हिमाले जीने किया कूब सतका।
नारद पारवती को अपने आस भुलाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं। भोले शंकर के महिमा
की गाथा गाते हैं। हम कथा सुनाते हैं।
भक्त जनों,
भगवान शिव आगे बताते हुए कहते हैं
कि देवरशी नारद ने देवी पारवती को पुर्वजनम
की कुछ ऐसी गूड बातों को याद कराया
जिसे सुनकर
उनके मन में मेरे प्रती वह प्रेम पुनह जाक्रत हो गया।
और
उन्हें अपने पिछले जन्म की सारी बातें याद आ गई।
और फिर उन्होंने मुझे पुनह पती रूप
में प्राप्त करने का संकल्प ठान लिया।
तो प्रेम से बोलीए भक्तों शंकर भगवान की जैने।
पार्वती को ऐसी कता सुनाए नारद ने पुर्व जनम की प्रीत जगी।
फिर तो उनके मन में मन ही मन संकल्प किया की शिव को पाना है।
जन्म जन्म के संबंधों को पुनह निभाना है।
मात पिता से आज्या लेकर राज सुखों को छोड।
करने लगे तपस्यावन में दुनियां से मुह मोड।
पहले फलाहार फिर उसको भी है त्याग दिया।
ब्रिक्षों के पत्तों पे वरशों तक निरवाह किया।
नाम अपरणा पढ़ा देख तप सब हरशाते हैं।
पावरन कता सुनाते हैं।
ये
सावन का शुक्मास है शिवशंकर का खास। ये सावन का कियमास।
प्रति ने जब ब्रिक्षों के पत्तों का भी आहार करना छोड़ दिया
और केवल वायू पीकर रहने लगी।
तब स्वर्ग लोक
और ब्रम लोक सहित स्वयं मेरा भी आसन डगमगाने लगा।
तो प्रेम से बोलिये भक्तों बाबा भूतनाथ की जै।
प्रति ने जब ब्रिक्षों के पत्तों का भी आहार
करना छोड़ दिया और केवल वायू पीकर रहने लगी।
प्रति ने जब ब्रिक्षों के पत्तों का
भी आहार करना छोड़ दिया और केवल वाय।
यह सावन का शुक मास है शिवशंकर का खास
भक्त जनों,
भगवान शंकर ने कहा की हे संत कुमारों,
श्रावन मास के उसी तप के प्रभाव से मैंने देवी पारवति को
धर्शन दिया और उनसे विवाह करके उनके मनोरद्धों को पूर्ण किया
और तब से ही सावन मेरा प्रिय मास बन गया।
तो प्रेम से बोलिये भक्तों,
शंकर भगवान की जैए।
सुनकर के शुब कथा जोड़कर अपने दोनों हाथ,
बोले संत कुमार यही कारण है क्या है नात।
भोले शिव ने कहा एक दूसरा भी है कारण,
जिससे मेरे मन को बड़ा ही भाता है सावन।
देवदैत्यों ने एक बार किया सागर मंधन,
निकला काल कूट विश फिर तो घबराए सब जन।
विश की जॉलाओं से चहुदिस मच गया हाँखार,
आर्तभाव में देवों ने की हरी से करुण तुकार।
श्री हरी सब देवों को मेरे आस पठाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
भोले शंकर के महिमा की गाता गाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं।
भक्त जनों,
भगवान शिव ने कहा की,
हे कुमारों,
जब सभी देवता अत्यंत व्याकुल होकर भगवान विश्णों की शरण में जाके
उनसे निवेदन करने लगे तो,
श्री हरी ने सबको भली प्रकार समझाकर मेरे पास भेज दिया।
फिर सभी देवता दुखी होकर मुझसे काल पूट
विश्ण के उपचार की प्रार्थना करने लगे।
तो प्रेम से बोली ये भगतों,
देवों की विन्ती पर मैंने सागर के तट जाकर,
पान किया विश्ण काल पूट का अतिशे हरशाकर।
पाल पूट की गर्मी से मैं भी कुछ अकुलाया।
फिर देवों ने मिल गंगा जल मेरे शीश चड़ाया।
जल की शीतलता से मिला है मुझको जब आरा,
तब से ही जल अरपण का प्यारंब हुआ शुब का।
सावन में यह घटना घटी, इसलिए सावन मास,
मुझको अतिभाता है मेरे भक्तों का हैफास।
सावन में मेरे भक्तों के मन हरशाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
ओले शंकर के महिमा की दाधा गाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं।
भक्त जनों,
भगवान शूल पाणी के मुखार विंद से श्रावन मास की अध्भूत महिमा को सुनके,
सनक, सनन्दन,
सनातन और संत कुमार का मन आननद से भर गया,
उनका रोम रोम पुलकित हो उठा,
फिर चारो भाई हाथ जोड़कर प्रेम पूर्वक भगवान शिव से कहने लगे,
भी हे प्रभू कृपा करके आप ऐसे ही सावन के कुछ और महात्म का वरनन कीजी,
तो प्रेम से बोलिये भक्तों,
शंकर भगवान की जै!
कथा श्रवन कर बोले संत कुमार है प्रभू सर्वेश,
सावन की कुछ महिमा और सुनाए नाथ विशेश।
शिव ने कहा कि सावन में ही मारकंडे ने तो
मेरी पूजा करके जीत लिया था मृत्यों को
सावन में वर्षा होती दिन लगते मनभावन
बेल पत्र ने आजाते जो भाते मेरे मन
सावन में शिवलिंग पे बेल पत्र जो करते अरपण
उनके साथ सदा रहकर पूरा करता उनके प्रण
सहवाउण
इसप्रकार भगवान कैलाशपती ने
सावन के अनेकों अद्भूत और
गूड रहस्यों का वरनन संत कुमारों से कर दिया।
सुनकर के चारो भाई बारंबार प्रभू का अभार मनाते हुए
नतमस्तक होके अपने स्थान को चले गए।
तो प्रेम से बोलिये भक्तों
भगवान शंकर भोलेनात की जैज।
सावन की महिमा शिवजी ने गाई कई प्रकार सुनकर हरशाए है सनक सनन्द।
संत कुमा सावन में धरती पे रहते है शंकर भगवान
सावन का प्रत्तीक दिवस है भक्तों परवसमाँ।
शीगर सफलता पाना है तो शिव के हो जाओ। बेल पत्र जल करो समर्पित
शिव के घुन गाओ। पालोक चोफे सानन्द ने भूल शिव का करके ध्यान।
वो ले शंकर के महिमा की गाधा गाते हैं। हम कत्हा सुनाते हैं।
एच्छि विशंद्र लिपा पास यर स्ताव लिपा प्रियमास

Đang tải...
Đang tải...
Đang tải...
Đang tải...