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Manav Jeevan Me Dhan Ka Kya Mehatv Hai

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Lời bài hát: Manav Jeevan Me Dhan Ka Kya Mehatv Hai

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

पिदानders
कूमिजन
दुब्ला पतला भी है, काला कूला भी है,
तेड़ी मेढी धाड़ी है,
मुह भी थोड़ा टेड़ा है,
पगड़ी भी तेड़ी मेढी ऐसे वैसे बादा है
और इतना बुद्धिमान,
गुड़मान,
कलाकार,
स्वियोग विक्ति है,
विश्व के अंदर सबसे अधिक सेलरी उसकी ही है,
एक दिन का अढ़तालिष करोड रुपया कमाता है
अरे एक दिन मिहमान बंजाये,
तुम भी आप हो जाुए,
एक घंटे का ही बेतन दे दे,
एक घंटे में दो करोड हुआ उसका,
दो करोड अगर वो अपने च्छपल भी ज्जाण कर चला जाये,
तुम भी माला माल हो जाओ,
लिकिन वो आने वाला नहीं है,
सोची,
सुधास सुधिया कानता प्रिया लापनी इच्छा पूर्ती धनम
जीवन में धन का भी महत्त है इसलिए धन्वान भी बनू
पती पत्नी पिता पुत्र भाई भाई संकल्प ले
करके धन की उन्दती के लिए भी कदम उठाईए
और धन कमाना भी आसान है लेकिन धन को बचाना बहुत कथिन है
आपका धन आपको बचने नहीं देगा इंग्लिस वियर
पिला देगा आपका धन फाइवी स्टार ओटल पहुचाएगा
आपका धन हीरो हीरोइन के साथ डांस कराएगा
आपका धन आपको मगर मच्च बना देगा
सब भगमच्चर पैदा करते हैं
धन बचा लोगे लेकिन धन से तुम नहीं बचपाओंगे
आपकी जवानी ही तो आपका पतन करती है
इसलिए अमरजीत मिष्रा लखनोँ के कह रहते गरीबी भी हद से ज़्यादा
देखा हूं आज लखनोँ में मेरे पास में छे हजार बीगा जमीन है
और इस जवानी में धन भी है जमीन भी है और जवानी भी
है अब मुझे एक अच्छे गुरू की जरूरत है साहिद सही टाइ
जमीन वैरु की दिखायद देखा है क referee का जल बीगा जमीन को
धरून रही रहा नारतार
उम्र में नारत को गुरू बनाया था।
प्रहिलाद ने बच्पन से ही गुरू बना लिया था।
राम और कर्षन भगवान ने भी गुरू बनाया था।
लेकिन आजकर लोग सत्तर साल के हो गई।
अभी गुरू ही ढून रहे हैं।
कह रहे हैं कोई ठीक ठाक मिला नहीं। उनसे
पूछो पहले तुम चेला ठीक ठाक बन पाए हो।
ठीक ठाक तुम बनो। थोड़ा कम ठीक गुरू हो
लेकिन गुरू बनाकर आगे बढ़ो सुरू तो करो।
प्रामरी स्कोल में पढ़ाने वाला टीचर भले ही वो
पीजडी ना किया हो लेकिन तुमको कासे कभूतर तो सिखा ही सका है।
छोटे गुरू से कंठी माला लेकर ही स्टार्ट करो उसके बाद
पीजडी का गुरू मिल जाएगा और उसी गुरू की स्रंखला में एक दिन
कोई महान गुरू आ करके तुम्हारे कल्यान को कर देगा सुरू।
बोलिये सद्गुरू बगवाने की जएए।
इच्छा पूर्तिन धनम् जिनके घर में अवश्यक्ताओं को पुर्ण
करने भर का धन है उनके घर में आनंद रहता वो घर धन है।
सोयोशित रती है
और जिस घर के पतियों का प्रेम अपनी पत्नीओं में है वो
घर आनंद से भरा रहता है। महा कलेश कलेश नहीं होता है।
सोयोशित रती है स्वज्ञा पराशेव का है। जिस घर के समस्त कारी करता घर
मालिक की आज्या का पालन करते हैं। आज्या का पालन। आज्या कारी बनों।
बात यहां दबाव की नहीं है बात व्यवस्ता की है।
अरे तुम नीचे से नीचे चले जाओगे,
तुम काबिल जादा होगा।
दबाव की बात नहीं,
सिस्टम को संचालित करने की बात है।
कितने लोग प्रदेश की मुख्यमंत्री थे,
हवाएं बदली तो प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री बन गए,
और हवाएं बदली तो विधान सभाद्धच बन कर बैठ गए।
और हवाएं बदली तो पार्टी के कारिकरता बन कर गोम रहें मुख्यमंत्री जे,
याद रखना हवाएं बदलती हैं।
कभी भी छोटा काम करने में भी संकोच
मतकुरूं। बड़ा काम करने में घबराओ मत,
और छोटा काम करने में शरमाओ मत।
सार माओ मत。
छोटा काम ही आपको बड़ा बना देता है
और बड़ा काम ही आपको आगे बढ़ा देता है
और छोटे से ही बड़ा काम मिल जाता है
जो छोटे काम से सुरुवात नहीं कहता है
वो बड़े काम को कभी हात में रही पाता है।
मेंने जब भक्तों में सुर्वात में जाना शुरू किया गुरुजी के साथ में
तो पचीश किलो मेटर,
बीश किलो मेटर,
पंधरा किलो मेटर देली पैदल चलता था।
लखीनपूर जिले से लेकर राहिवरेली तक तीन
सो किलो मेटर की पैदल यात्रा होती थी,
वहां पहुसते थे,
वहां से फिर लोटते थे,
इसी में दो-तीन महिना पोजा थे।
कन्दे पर गठरी रहती थी, हाथ में कमंडल रहता था,
सुबह का नास्ता नहीं,
सुबह रास्ता पकड़ो,
नास्ता की बात नहीं है।
आज वो कंडिशन आ गई है,
कि स्वास्त के लिए,
गयायाम करने के लिए,
पाँच किलो मेटर पैदल चलने के लिए हम जाते हैं मौज से।
आज वो अच्छांता ता रहा था,
जब हम सामने में ही अच्छापाशत तै है।
बैल गाड़ी मिला खुद ही बैल बनकर लाद के चलते थे।
आज वो कंडिशन है,
मन होता है कहीं टाइम मिल जाये तो गाड़ी खड़ी कर दे,
पेदल चले थोड़ा बयायाम हो जाये।
आज भी सुभे साड़े तीन किलो मेटर पेदल चले खुब
आनंदा गया।
पेदल चलना
आज इस विकास तक पहुचाया और चलते चलते चलते
चलते ककरन और पन्ना में आकर सथसं करने लगे।
धमन्डा जाता है,
मैं पेदल नहीं जाऊंगा,
गठरी नहीं उठाऊंगा,
कमंडल नहीं पकड़ूंगा,
तो मेरा गुरु बोलता तुम अभी यही रहो आश्रम में,
कुटियम पढ़े रहो,
कुटियम में पढ़े रहो,
तो कुटियम पद़े ही कूटती रहती है।
कितने साद्वों को कुटियम ने खुब कूटा है।

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