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अपने बच्चों के अंदर भी महत्वे कंच्छा को जगरत करना है
भोतिक उन्नति भी आवश्यक है
और आध्यात्मिक उन्नति भी आवश्यक है
धन्वान होना भी जरूरी है
और धर्मवान होना भी जरूरी है
यदि केवल धन्वान बनोगे
होगे तो दब तुमको अश्लक कर दें का घृत फ्राण में किरा देगा जुवा में किरा देगा मांस मचली में
किरा दें और होटल में किरा देगा बोतल में किरा देगा टोटल में किरा देगा व्यवहार में किरा देगा ये
धन बहुत खतर रखती है। लेकिन धन के खत्रों से बचने के लिए धर्मवान होना जरूरी है।
शम्पति के खत्रों से बचने के लिए भक्ति होना जरूरी है। भक्ति शम्पति के खत्रों से बचाती है।
धन के खत्रों से धर्म बचाता है
इसलिए गुरू के साथ में भी चुड़ना चाहिए
तुम जो गुरू को दान देते हो ये कुछ भी दान नहीं है
लेकिन यदि तुम दारू पीते हो तो इसके हजार गुना उसमें दे देते हैं
सोचो धारू पीने वाले कोई एक बिंदू पर रुकते नहीं है
पहले देशी सराब पीते है फिर बिदेशी सराब पीते है
और फिर ठंडी बिर पीते है फिर महा ठंडी बिर ना जाने कितनी गर्मी है
महा ठंडी बिया, और उसके बाद फिर एरिस्टोक्रेट, बैक पाईपर, खुइसकी, क्या बात है, और फिर एक बोतल दस हजार की, शीमा नहीं है, जमीदारों ने जमीन बेच मेच कर पी लिया सराब, राजाओं ने राजपाट सब बेच कर पी लिया सराब, और याद रखन
जिनको भक्ति मिल गई, धर्म की सरण मिल गई, कोई महान गुरु मिल गया, उन्होंने छोड़ दिया सराब, और छोड़ दिया मांस मचली, और बन गए नबाब, जैन, इसलिए धर्म शास्त्र कहते हैं कि दस्मा अन्स, अपना समय, अपना स्रम, अपनी बुद्धी, और अ
अपना घ्यान, और अपना कमाया वध्धन, दस्मा अन्स, धर्म में लगाना चाहिए, यह दस्मा अन्स जब तुम लगाते हो, समय का ही दस्मा अन्स.
दस दिन में एक दिन तो भक्ती भजन के लिए होना चाहिए
दस घंटे में एक घंटा प्रवचन सुनने के लिए होना चाहिए
कितने लोग तो जगत की अंधी दोड में ऐसे दोड रहे हैं
ना तो प्रवचन सुनने का टाइम है
ना खाने का टाइम है
ना नहाने का टाइम है
और ना सोने का टाइम है
वो सेम कहते हैं कि जिन्दगी पागल हो गई, क्या करे?
टाइम टेबल की भी शेटिंग हो गए
प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्री जो पूरे देश प्रदेश को डील करता है
बड़े बड़े उद्धोगपती अम्बानी अढ़ानी टाटा विडला बजाज
महिंद्रा अनन्द महिंद्रा एलेन कोचिंग सेंटर का मालिक ओम जी और कौन है वो
गोबिंद महेशुरी वो भी असनान करता है वो भी भोजन खाता है टाइम निकालता है भजन भक्ति के लिए भी टाइम निकालता है
लेकिन कुछ लोगों को मुनुष्य का सरीर तो मिला था पर धीरे धीरे भूत प्रेत हो गए
कितनी औरते तो चुड़ेल हो गई
डाले अरे नाती धोती ही नहीं ना मालूम कहाँ पांगल भूम रही ए कि मेरा कुछ नहीं विकास कुछ
नहीं वैस्तां खामखाम पूर्ण बनकर गुंगकी रहते हैं ए ठीक ठाक रहो फटा फट काम करो फास्ट काम करो
असनान भी जल्दी कर लिया करो
मंजन ब्रस भी जल्दी कर लिया
कितने लोग तो मुँ में दातून घुशेड कर घूमते रहते हैं
पूरे घर में मुँ की लार थूक चूवाते रहते हैं
उनकी पतनी बोलती पोचा लगा चुकी है अब क्या कर रहे हो
बोले अब अमरत टपका रहा बहुत मुँरक है
मुँ में घुशेड घूम रहा है
अरे एक मिनट वहीं बेट के कर लो दातून एक एक काम करो
ये सभी काम एक साथ थोड़े होते हैं
कितने लोग तो खाना पाखाना भी साथ करते हैं
बोले मुँ तो खाली है कुछ खाते भी जाओ पाखाना भी कर रहे है
बीडी भी पी रहे है पाखाना भी कर रहे है
नहीं नहीं
पाखाना के साथ कुछ खाना पीना नहीं चाहे
दात के जबडे ठीक से दवा कर मुँ बंद रखना चाहे
से दात अच्छे रहे है
के लिए इस संसार के लिए कितना तुम परेशान हो जाओगे 60 साल 70 साल निकल गई दोड़ते दोड़ते हाथ में
क्या आया है बताओ आप अपने बेटों से पूछो उनके दिल पर हाथ धर के क्या तुम मुझसे खुश हो बहुओं से
से पूछ लाडियों से तुम मुझसे खुश हो आपनी वाइब से पूछ तुम भोष्य खुश हो तो वाइब कहती है तुम्हें से
सबसे ज्यादा अधित थे बूत प्रेत बने रहते हो टाइम पर खाहते भी नहीं है तो सब कुम से परेशान है
और शंत बनो तो भी काम करो कितने लोग शंत बन गए बिल्कुल शंत बने लेकिन वो कोड़ी बन गए कोड़ी
कोई काम नहीं करते हैं, काम ना करना यह भी एक अपराध है? काम ना करने से पूरी जगत की व्यवस्था बिगड़ती है
कि यह संसार से हम बहुत कुछ ले रहे हैं लेकिन उसके बदले हम इस संसार को क्या दे रहे हैं अगर कुछ
कुछ नहीं दे पा रहे हैं तो संसार के हम कर्जदार होते चले जा रहे हैं कि अ
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