श्री क्रेश्न गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायन वासु देवाबुली हारे के सहारे श्री क्रिष्ण प्यारे के जैप्रिय भक्तों आईए हम आपको सुनाते हैं श्रीमत भगवत गीता के गीता महत्मे कोतो आईए भक्तों आरंब करते हैंजो मनुष्य शुद्ध चित से प्रेम और भक्ती पूर्वक गीता का नित्य पाठ करता हैवह भै, शोक और पीडाओं से मुक्त होकर नित्य नवीन, आनंद और अंत में मोक्ष प्राप्त करता हैनित्य प्राणायाम और एक आग्रमन से गीता जी का पाठ करने वाले के इस जन्म के ही नहींपूर्व जन्मों के सभी पाप भी निसंदेह नष्ट हो जाते हैंजिस प्रकार जल में इस्दान करने पर शरीर का मेल धुल जाता हैउसी प्रकार गीता पाठ करने वाले का हिर्दे निर्मल और मन पवित्र हो जाता हैभगवान शी कृष्ण के मुख से उद्गोशित इस गीता का मनन, चिंतन और नित्य पाठ करने परअन्य किसी शास्त्र के अध्यन की आवशक्ता नहीं रहतीसभी शास्त्रों के सार तत्व इस गीता रूपी गंगाजल को पीने वाला जन्म मरन के बन्धन से छूट कर मुख्ष को प्राप्त करता हैसंपून शास्त्रों रूपी गोउं के दुग्ध रूपी ग्यान का सार तत्व हैयह श्रीमद भगवत गीताभगवान शी किश्न के इस दूद को अर्जुन के निमित्त दोहन करकेशुद्ध बुद्धी वाले शेष्ट मनुष्यों के निमित्त संसार में उदभाशित किया हैभगवान शी किश्न द्वारा कहा गया गीता शास्तर ही एक मात्र उत्तम शास्तर हैशी कृष्ण एक मात्र भगवान हैउनके नामों का सतत जब ही सरवुत्तम मंत्र हैऔर उनकी सेवा आराधना सबसे पवित्र कर्म और धर्म हैबोलिये शी कृष्ण भगवान की जैओम नमो भगवते वासु देवाए नमहा नमहाओम नमो भगवान की जै