हम श्रीगरेश चत उर्ती वर्त कसार बताते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
वृत की महिमा क्या है भक्तों तुम्हें बताते हैं
हम कथा शुनाथे हैं
कब से चली ये רीती वर्त की सब समझाते हैं
पावन कथा सुनाथे हैं
वृत की महिमा क्या है भक्तों तुम्हें बताते हैं
हम कथा शुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद
सव आधसानों लगाके हरराड
इस कथा की है पहचान मिले मो हुआंगा वरदान
जैगण पति जैगण राजा जैगोरी पुत्र गनेश
चंदन तिलक करू मैं वन्दन काटो सभी कले
आप तो रिद्धी सिद्धी भगवन बुद्धी के दाता हैं
विगन विनाशक संकट हरता भाग्य विदाता हैं
शिवशंकर के आप तो भगवन राज दुलारे हैं
मागोरा के आप तो भगवन प्राणन प्यारे हैं
इस कथा है बड़ी महाद सब सुनो लगा के ज्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुहांगा वरदान
सुन्दर और मनोहर पत है मन को भाया है
चोपड खेलिन का माताने मन बतलाया है बोले शिवजी हार जीत को कौन बताएगा
कोई तो हो शाक्षी जीत का जश्न मनाएगा
पारवती ने तिनकों काफिर कुतला बनाया है
कर दी प्रान परतिष्ठा पास में उसे बिठाया है
खेल हुआ प्रारंब मातने पहली चाल चली
देव योगवश बार बार मा को ही जीत मिली
कौन है जीता पूछा माने क्या बतलाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
व्रत की महिमा क्या है भगतों तुमें बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद सब सुनो लगाके ज्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुह आँगा वरदान
बोला बालक जीत हुई है भोले शंकर की
आपनी पुनने ही खेल में माता ना हो टक्कर की
क्रोध में आकर माने उसको लंगड़ बना दिया
पड़े रहो यहां कीचड में फिर उसको शाप दिया
हाथ जोड़कर बोला बालक मुझसे भूल हुई
शमा करो हे जगजन नी तुमसा नहीं कोई
शाप मुक्ति की युक्ति माता मुझको बतलाओ
मम्तमाई मा मुझ पर अपनी करुणा बरिसाओ
क्या बतलाया पारवतीने तुमें बताते हैं पावन कथा सुनाते हैं
व्रत की महिमा क्या है भगतों तुमें बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगाके ज्यान
इस कथा की है पहचान मिले वो आंग वरदान
नाग कन्ने आय गनपति का जो ये व्रत करती हैं
करना तुम भी उस व्रत को उपदेश वो देती हैं
स्री गणेश का व्रत करने से मुझे को पाओगे
व्रत के पुन करम से तुम भी भवतर जाओगे
नाग कन्ने आय वहाँ एक वर्ष बाद में जब आयी
किया गणेश का व्रत पूजन उसको भी बतलाई
बार दिवस उस बालक ने शिवसुत का व्रत है किया
हो प्रसन गणपती जी ने उसको तब दर्श दिया
क्या वर चाहते हो बालक वो जाने नचाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
व्रत की महिमा क्या है भगतों तुम्हें बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद सब सुनो लगाके ध्याद
इस कथा की है पहचाद मिले मोहांगा वरदाद
बोला बालक मुझे को चलने की शक्ती तुम दे दो
मात पिता हो बेप्रसन ये मुझे को वरदे दो
इतना दे वरदान गड़े से तो हो गए अंतर ध्यान
फिर तो शापित
बालक ने पाया है वो वरदान
प्रशिया गड़े खेला शिव बालक शिवजी हरशाये
कैसे यहां तक आये हो तुम जाने न वो चाहे
उस बालक ने श्रीगनेश का वर्त बतलाया है
रूट के गोरा गई पिता घर शिव ने बताया है
फिर तो श्रीगनेश का वर्त शिव करना चाहते है पावन कथा सु
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुह आंगा वरदान
फिर तो वर्त करने की शिव ने मन में ठानी है
किन्टू उससे पहले वर्त की विधी भिजानी है
इकीस दिनों तक कीए वर्त को भोले भंडारी
गनपति गान कुनित करते हैं शंकरत पुरारी
वर्त पुन्न को पाया शिव ने गौरा आई है
क्या जादू कर डाला भोले जान न चाहती है
शिव के लाशी ने फिर तो वो वर्त बतलाया है
अदबुत वर्त है गणपती का मा मन हरशाया है
पावरत् करना चाहती हैं ये वेद बताते हैं
पावण कता सुनाते हैं
वरट की महिमा क्या हैन। भगतों तुम्हें बताते हैं
हम कतां सुनाते हैं
ये कता। है बड़ि महाường।
सब सुनों लगा के ज्यांज
जिकता की है पहचान मिले मुहांगा वरदान
पारवती ने फिर तो गनेश के वर्त को मान लिया
निर्रावाद्मैं।
व्रत पूजन से फिरतो गरेष जी खुष हो जाते हैं
भाई कर्तिके की बुद्धी को पल में घुमाते हैं
इकीससे विदिन आ जाते कार्तिके सब हर्षाते हैं
पावन कथां सनाते हैं
व्रत की महिमा क्या है भगतों तुम्हें बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मो हुआंग वरदान
करती के वरत पूजा करनी चाही है
रिद्धि सिद्धि बुद्धी के दाता ये कहलाते हैं
इनका वरत पूजण करने से सद्गती मिलती है
मन चाहा फल मिलता सुक्ष्टी क्यारी खिलती है
इकीस दिनों के वरत की महिमा वेद बताते है
पावन कथा सुनाते है वरत की महिमा क्या है
वगतों तुम्हे बताते है हम कथा सुनाते है
ये कथा है बड़ी महाण सब सुनो लगा के ज्यान
इस कथा की है पहचान मिले मो हुआंग वरदान
श्री गरेश चतुर्ती वरत की विधी सुनो धर ध्यान
कैसे पूजन करते गरेश का खुश होते भगवान
श्री गरेश चतुर्ती के दिन पहले उठते हैं
सारे काम समपन करके इसनान वो करते हैं
सब सुत्रे वर intentions Are
कथा सुनाते हैं
प्रत की महिमा क्या है
भगतों तुम्हें बताते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद
सब सुनो लगाके ज्यान
इस कथा की है पहचान
मिलें वो हुआंग वरदान
फिर तो श्रीगन एशकी प्रतिमा को नहलाते हैं
वस्त्र पैना कर चोकी पण गणपती बैठाते हैं
ग्यारे है जोडी तुर्वा अक्षत फल को चड़ाते हैं
पुष्प माल सिंदूर सुपारी आपको भाते हैं
द्वजा नारियल और जनेयू आपपे चड़ाते हैं
बूंदी मोदक का गणपती को भोग लगाते हैं
द्रत का दीप जला गणपती को करते हैं वंदन
गज मुक पर सजता है भक्तो भाल तिलक चंदन
श्रीगन एश चाली साफ़िर सुनते सुनाते हैं
वावन कथा सुनाते हैं व्रत की महिमा क्या है
भगतों तुम्हें बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगाके ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुह आंगा वरदान
श्री गनेश के मंत्रों का भी करते उच्छारण आरती गाते गनपती की
है जुकते है चरणन अन्त में भूल चूक की प्रभु से शमा मांगते हैं
शंर दर्शन करते हुए फिर अर्ग को देते
हैं उसके बाद फिर तो भक्तों भोजन है करते
श्री गनेश की किरपा से सब संकट है तलते
रोग दोश्या मंगलेन से सब घबराते हैं
ज़िनेश बेनायक लंबोदर कहलाते हैं पारभ्रम अवतार गजानन
जी कहलाते हैं पावन कथा सुनाते हैं पृत की महिमा
क्या है भगतों तुम्हें बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
यह कथा है भडि महात
शब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान
मिले वो आँगा वर्दान
करता है
मनवाँचित फल श्री गरेश से वो पाता है
सब देवों में इनकी पूजा पहले की जाती है
रिशी, मुनी क्या सारी शिष्टी इनको ही ध्याती है
कोई भी पूजार चना चाए करता कोई हवन
पूरण ना हो पाता भगतों श्री गरेश के बिन
मुनेंद्र प्रेम जी सुमिर शारिदा कलम चलाते
हैं रजवासी गनपति चतुनती की कथा सुनाते हैं
व्रतों में उत्तम शिवजी इस व्रत को बतलाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
व्रत की महिमा क्या है भगतों तुम्हें बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है पड़ी महान सव सुनो लगाके ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुह मांगा वरदान