कहते हैं कि जिस जीव के गले में रुद्राक्ष की माला है अथवा जिसके मस्तिक पर त्रपुंड है जिसके अंग पर भस्म लगी है
महराज यम के दूत उसके पास भी नहीं आते दूर से ही प्रणाम करके चले जाते हैं
यमराज का सक्त आदेश है यह काल का सक्त आदेश है
कि जिसके गले में रुद्राक्ष की माला है
रुद्राक्ष है जिसके मस्तिक पर भस्म है त्रपुंड है
उसके तो पास में ही मत जाना क्योंकि वो काल का नहीं है वो महा काल का है
वो महा काल का है
ऐसी महिमा मेरे बाबा की स्रंगार की है और कुछ चीजों की महिमा आज ही हम और आप सभी स्रवन करेंगे
लेकिन भस्म जब लगाई जाए तो पुरुष बर्गे के लिए भस्म का त्रपुंडे लगाना चाहिए
है भस्म के अभाव मित्ती का त्रपुंडे लगा सकते हैं मित्ती के अभाव में मल्यागिर चंदन ज्ञकर उसका भी
एंड लगा मित्ती लगा सकते हैं गलि में ऊत्तर अक्ष में धारण सभी कर सकते हैं चाहे स्त्री हो चाहे पुरुष
एवं और माताएं भस्म लगाएं तो मांताओं के मित स्मभ लगाने के लिए कहा है कि वह अपनी चूड़ी
में भस्म को धारण कर सकती है उंगली में लिया और त्यूढ़ी में उस वर्idée को लगा सकती है
ऐसी महिमा है तो कहा कि जिसके पास रतराक्षे है भस्म है तृपुण्ड है यम के दूत उससे कोशों दूर रहते हैं
कि उनको ऐसा यमराज के द्वारा आदेश किया गया है कि भाईया यह सिर्फ के परंप्रिय होते हैं इनके
पास मत जाना नहीं तो मैं क्या तीनों लोकों में कोई तुमें बचा नहीं सकता है कि ऐसी अआश मोह अभिमान
किसी भी व्यक्तू का किसी भी विषय का साया ज्यान का ही क्यों न हो अभिमान नहीं आना चाहिए मोह नहीं
होना चाहिए भगवान ने देवरसी नारद के मोह को दूर किया भगवान अभिमान किसी का नहीं रही है चाहे वह
स्वयं नेज का क्यों ना हो इसके पश्चात सूत्ति महाराज से सुन का दिक्रसी पूछते हैं इधर नारद जी ब्रह्मा
से पूछते हैं नारद बोले ब्रह्म है एक बात बताएं है में भगवान सिव के जो छित्म है भगवान सिव जहां
पास करते हैं उनकी महीमा बताने की कृपा करें हे ब्रह्म हे ब्रह्म देव हे प्तामह हे जगत पृभो आपके कृपा
साथ से ब्रह्गवद भगवान विश्णु के उत्तम महात्म का पूर्ण तया घ्राम प्रा похokar घ्रिया है भक्ति मार्ग
ज्ञान मार्ग अत्यंत दुष्ट्रतपव मार्ग दान मार्ग दृथा तीर्थ मार्ग का भी बरण सुना है परन्तु मैं भगवान
इन विषयों के साथ मुझे बताने की कृपा करें कि भगवाएन होले नावत भगवाएन सिव की उजा की विधी का है उनकी
पूजा का नियम क्या है और उन इन भिषयों में सिव की विभिदी प्रकार से मोड चर्चनों को उनके सुरूभ तत्व
तो प्राकट विवाह और ग्रहस्त धर्म सब मुझे बताइए निस्पापत वितामह आप यह सब बातें और भी जो आवश्यक बातें
हो उन सभी को आप मुझे बताने की कृपा करिए ब्रह्मा जी ने सुना देवर सीनारद में जो प्रश्न किए हैं ब्रह्मा
जी कहते हैं ले पुत्र पर है हे देव सरोमणे कि पुम सदा समस्त जकत के उपकार में लगे रहते हो ब्रह्मा जी ने कहा
एन आज तुम हमेशा स्वप जकत के उपकार में लगे रहते हो तुम लोगों की हित की कामना से यह बहुत ही ऊत्तम प्रश्न
पूछा है तुम्हें यह बहुत ही उत्तम प्रत्न है जिसको सुनने से संपूर्ण लोकों के समस्त प्राणियों के कितने ही बड़े से बड़े पाप होंगे वह सभी पाप छणमात्मों अच्छे हो जाएंगे