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सिंदगी में सदज संग भी कभी
चड़ती है उर्मिज्ञान की रंगत कभी कभी
चड़ती है उर्मिज्ञान की रंगत कभी कभी
मिलती है सिंदगी में
सदज संग भी कभी कभी
मिलती है सिंदगी में
सदज संग भी कभी
चड़ती है उर्मिज्ञान की रंगत कभी कभी
करना को संग किसी को
कल्यान कर नहीं
करना को संग किसी को
करना को संग किसी को
कल्यान की नहीं
करना को संग किसी को
करना पोषण ले दैरिशम नहीं
करना पोषण ले दैरिशम नहीं
करना पोषण ले दैरिशम नहीं
तो सुरक भी गणिव्रित तो
सत्य संग विकली मिलती है जिन्दगी में सत्य संग विकली बोलिये सद्गुरू भगवान की जै
भवर उड़े बगु बैठे आई रयने गई दीवर सो चली जाई
बड़ी मार्मिक पंक्ती है
बड़ी मार्मिक पंक्ती है
कवीर साहेब के बीजग करंत से सब्द है
साहेब कहते हैं कि भवर उड़ गए
और जहां भवर बैठे थे वहां बगले आकर बैठ गए
अर्थात काले बाल चले गए
शफेद बाल आकर बैठ गए
अर्थात बच्पन बीट गया
जमानी चली गई
बुढ़ापा आ गया है
बच्पन खेल कूद की बहारों में बीटता है
जमानी जोस खरोस
भोग बिलास में बीटता है
बुढ़ापा, चिंता, पस्चाता
और टेंशन में बीटता है
यादर्शन
आ रखना
महत्मा विदुर्ण ने
जीवन के लिए कहा है
महराजा धिराज द्रतराष्ट पुछते है
की है विदुर्ण
जीवन में क्या करना चाहिये
विदुर्जी कहते है
पूर्वे वयश तत कुर्यात
एन ब्रद्धा सुखंबशेत यावज जीवेन तत्कुर्यात एन प्रेत्ति सुखंबशेत दिवसे नयो तत्कुर्यात एन रात्री सुखंबशेत
अस्ट मासेन तत्कुर्यात एन वर्षा सुखंबशेत इन स्लोखों का क्या अर्थ है विदुर कहते हैं राजण बुद्धिमान व्यक्ति दिन भर में
वह काम करता है जिससे कि रात को सुख से सो सकता है बुद्धिमान व्यक्ति 8 महीने
सर्दी और गर्मी के आठ महिनों में वे सब कार्य पूर्ण कर लेता है जिससे की वर्षा के चार महिने छट के नीचे अपने घर में बिश्राम करता है
जब वर्षा होती है तो उसकी चद टपकती नहीं अब कितने लोग ए 18 महीने तो घूमते रहेंगे इधर उधर बर्शा के चार
महीने सुरू होंगे तो रात में खट खींचते रहते हैं विदर कीजिए ले जाते हैं जब उदर टपकने लगता तो उधर खींचकर ले
रात बर खाट
खीचते हैं
कितने पती पतनी
तो बैठे रहते हैं रात में
और क्या करें तपक राण
दोनों एक ही माडल है
बुद्धी नहीं है
सुधी नहीं है
जिसके पास में बुद्धी है
और सुधी है
रिधी सिधी
समरिधी की कमी नहीं रहती
इसलिए मन को भी सुद्ध कर। विदुर्जी कहते हैं बच्पन में वह काम करो जिससे जमानी में आनंद से जी सको।
विदुर्जी कहते हैं बच्पन में सिच्चा प्राप्त करो संस्कार प्राप्त करो प्रबचन सुन करके सद्गुण सदाचार प्राप्त करो तो जमानी सुखध हो जाएगी और जमानी में कड़ी मेहनत करके धन कमा कर प्राप्त करो जिससे बुढ़ापा भी निश्चिन्द
जमानी में धर्म कमाओ जमानी में सदसंगland जमानी में आश्रम बनाने में मदद करो जमानी
में धर्म साला बनाओ जमानी में स्कूल रोजको जमानी में विजेस करो जमानी में राजनीति करो दो
जो ही उन्नती करना है उसके लिए जोस भरी जमानी मिलती है और जमानी में अगर तुमने उन्नती कर लिया भक्ती कर लिया तो याद रखना बुढ़ापा तुम्हारा शुक सांती से भर जाता है बुढ़ापे में दुख नहीं रहता है