तेरे दुनली सी आद है
हर दिन मुझे सताए
क्यों रहना ना पाए
देखे तुझे निगा है
जाने तु क्या
मुझे ये बता रहू कैसे मैं दिन तेरे
जाने तु नहीं मेरी दिल की
तुझे ही सनूँ वो ये जन्दगी
तुझे तो मेरा दिवज़वत है तुझे ही
मेरा सरसार है
तुझे ही तो सपने बेकार है तेरे बिन जीत में भी हार है
जब तु मेरी साथ होती है मंद तोरा हाथ बुलती है
कैसे तुझे समझाऊं
रुट जाये तुझे दिन मेरा बरवाद हो जाती है
कैसे तुझे मनाऊं
शाये तु क्या
मुझे ये बता रहू कैसे मैं बिन तेरे
तु नहीं मेरी तिल की
तुझे ही सुनूँ ये जिन्दकी
आप तुम्हेरा भी वजुद है
तुझे ही मेरा संसार है
तुने तो सब्पने बेकार है तेरे भी जित में भी हार है