वो मेरा नभी,
मेरा नभी, मेरा नभी है।
वो जिसके लिए महफिल को नैन सजी है।
फिर्दों से बरी, जिन के वसीले से बनी है।
वो हाश्मी,
मक्की, मदनी, उल्ला रभी है।
वो मेरा नभी, मेरा नभी, मेरा नभी है।
एहमद है,
मुहम्हमद है, वो ही खत्मे रुसल है।
मक्धूम मुराभी है, वो ही वाली कुल है।
उन पर ही नजर सारे जमाने की लगी है।
वो मेरा नभी, मेरा नभी, मेरा नभी है।
मुजम्मिल हो यासीन,
मुदसिर हो यातहा,
क्या क्या नए अलकाब से मौला ने पुकारा।
क्या शान है,
क्या शान है उसकी जो उम्मीला कभी है।
वो मेरा नभी, मेरा नभी, मेरा नभी है।
इस दर्जा zamaan-e में ती लगो किये ज़्ञूल吗ी बन ती थ।
ویزد و رفات
وہ
محسن و غمخار ہمارا ہی نبی ہے
وہ میرا نبی میرا نبی میرا نبی ہے
وہ میرا نبی میرا نبی میرا نبی ہے