अग मंडब में हुआ
राजा
बली इतना
भाव विहिन हो करके महराज आखों में आशु
भर करके उनको पारवर नतमस्तक होता है,
प्रणाम करता है
ऐसा लगता है कि साक्षा त्रलोकी पती मेरे द्वार पर आया गया
शीरा दे इसको
शीरा दे
राजा बली ने हाँच जोड के पूछा महराज
अहो भाग मेरे जो आप यहां पद़ारें
आपके तेश से तो माल्लूम होता है आप जरूरल ही कोई बिशिस भिभूती हैं
बताईए महराज इस सेवक को क्या अदेस है,
मैं आपकी क्या सेवा करूँ
राजा बली का देखो कितना अभिमन कहता ही,
महराज मैं क्या सेवा करूँ
हम भी हो राजा मुल्स हैं
कहंि भी जाते ये महाज बताओ मैं क्या सेवा करूँ
गुरुजी के जाएंगे तो बताओ गुरुजी क्या सेवा करूँ
भागुत में क्या सेवा करूँ ?
कियर भाग पूछता है क्या सेवा करूँ ?
पालअटने कुई रैं त्यावाण के सेवा करणा करूँ?
बहरे बागवत में क्या सेवा करूँ ?
शान्ती बना के रखो,
सबसे बड़ी सेवा है
महराज, शान्ती तो भवूत तो थीक है ना
भागवत में लोग अपने जूते चपल चाहें ज़हां छोड़ देतें इदर उदर
उनको सिस्टेमेटिक ढन्चे जा करके लगाओ, जाओ
महराज,
मैं क्या सेवा करूँ अब महराज आपको क्या सेवा बतायें महराज
सेवा पूजी थोड़ ना जाते है
यह तो हमारा कर्तब हैं
हम क्या बना चाहें