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Somvati Amavasya Ki Katha

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Lời bài hát: Somvati Amavasya Ki Katha

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

हम सोमवटी आमावस्या की कथा सुनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
इस व्रत से क्या पल मिलता है वो बतलाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
सोमवती आमावस्या की गाता गाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ए गन्धा है बड़ी महान
सब सुनो लगा के ध्यान
जिस कताथी है पहचान मिले वो हुआगा वरदान
जिस नगर में एक गरी ब्रामन रहता था
जीवन में वो अपने घोर दुखों को सहता था
उस ब्रामन के पास एक ही पुत्री थी संताँ
जो सुन्दर आचरणों वाली थी अतिशे गुनवान
सब प्रकार के विध्याओं में थी वो परम्प्रवीन
किन्टु गरीबी के कारण की दशा बहुत ही दीन
इस कारण से उसका ब्याह कहीं ना होता था
दुख ब्रामन हर रोज अकेले जाकर रोता था
एक रोज उसके घर एक महत्मा आते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
हम सोमवती आमावस्या की गथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मो हो आँगा वरदान
ब्राह्मन की पुत्री ने की अच्छी खातिरदारी
ब्राह्मन ने भी की है सेवा साधु की वारी
साधु के मन को कन्या का संसकार भाया
कन्या की सेवा में उसका मन अतिहर्शाया
बोले तुमको लंभी आयू का देता हूं वर
फिर कन्या के हाथों पर साधु की पड़ी नजर
जब कन्या के हाथों को साधु ने है देखा
बोले इसमें तो विवाह की बनी नहीं रेखा
बाते सुन करके ब्रहमन दमपती डर जाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
हम सोमवती आमावस्या की गाता गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
इस कथा की है पहचान मिले वो
होगा वरदान
बोला है ब्रामन कोई उपाए तो बतलाएं
कन्या के विवाह का योग शिगर ही बन जाएं
कुछ विचार करके महात्मा जी ने ध्यान किया
अंतल द्रिश्टी से जो देखा वो सब बता दिया
बोले सादु कुछ दूरी पे पढ़ता है जो गाँ
उसमें रहती है एक धोबिन सोना उसका नाँ
पती परायन है वो सच्चे आचरणो वाली
उसके घर आगन में रहती हर दम खुशाली
बेटा और बहू भी है ये भी बतलाते हैं
वावन कथा सुनाते हैं अम सोमवती आमावस्या की गाता गाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान
सादु बोले कन्या जो जाए उस धोबिन पास सच्चे मन से सेव करे
मान करके विश्वास फिर वो धोबिन इस कन्या की शादी में आए
माते का सिंदूर मांग में इसके भर जाए
तो
कन्या का विदवापन स्वयं मिठ जाएगा
शादी में अडचन तो किसी तरह ना आएगा
सादु बोले सुनो और एक बात बताता हूँ
धोबिन कहीं नहीं आती जाती समझाता हूँ
इतना कहकर सादु अपनी राह सिधाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
हम सोमवती आमवस्या की कथा सुनाते हैं हम गाता गाते हैं
ये कथा है बड़ी महाण सब सुनो लगाके ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मो हो आँगा वरदान
कन्या को बात बताती हैं धोबिन की सेवा को ठीक तरह समझाती हैं
अगले दिन से प्रातह उठकर कन्या जाती
हैं धोबिन के घर साफ सफाई करके आती है
वह बहुं सोचती हूं मैं तो हर दिन आप काम कर लेती होगी माजी मेरे बिन
यह कथा है बड़ी महान
सब सुनो लगा के ध्यान इस कथा की है पहचान मिले मो हो आँगा वरदान
सास बहु निगरानी करने लगी सुबा उठकर
कौन काम कर जाता है इतनी जल्दी आकर
कईं दिनों के बाद एक दिन देखा है चुपकर
कन्या एक काम सारा करती है घर आकर
दो बिन उस कन्या के पैरों में गिर जाती है फिर
कन्या साधू की सारी बात बताती है
सोना पती परायन थी उसमें था तेज अपार
पती बिमार पड़ा था फिर भी हुई आज तैयार
जैसे बेवाल पर जाना चाहिए हम तुम्हे बताते है पावन कथा सुनाते है
अमसोम्वति आमावस्या की गाता गाते है हम कथा सुनाते है
प्रशनों लगा के ध्यान इस कता की है पहचान मिले मो हो आँगा वरदान
दोबिन पहले बहु के आगे जाती हैं
घर की जिम्मेदारी ठीक तरहा समझाती है
कहती है सोना जब तक वापस न जाओं घर
तुम न जाना कभी कहीं भी रहना बस घर पर
इतना कहके कन्या को साथ बुलाती है
सोना धोबिन उस कन्या के घर जाती है
जैसे माते का सिंदूर भरा कन्या की मां
तैसे ही धोबन के पती ने प्राण दिया है त्यार
सोना धोबिन को सब बात पता चल जाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
हम सोमवती आमावस्या की गथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान
सब सुनो लगा के ध्यान इस कथा की है पहचान मिले मो होँ आंगा वरदान
सोना धोबिन बिना अन जल निकली थी घर से
पीपल को भवरी देना है यही सोच करके
जब तक भवरी ना देदू मैं जल ना पाऊंगी
चाहे मर जाओं
पहले ना प्यास बुजाऊंगी
उसी रोज थी सोमवती अमावस्या पावन इसी कारण से भी उसका भवरी में ही थामन
ब्रहमन के घर मिले पूए पकवान अनेक प्रकार
लेकिन उसने इंटो से दी भवरी बारंबार
फिर आगे क्या हुआ आज हम सब बतलाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
हम सोमवती आमावस्या की गाता गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान
सब सुनो लगा के ध्यान इस कथा की है पहचान मिले मो हो आँगा वरदान
इतो के टुकडो से उसने एक सो आठ बार
भवरी दिया आज पीपल को मन से भली प्रकार
भवरी देने के पश्चात किया जैसे जलपान उसके मरे हुए पती में वापस आई जान
पुन्ह पती को देखके सोना धो बिन हरसाई
पुछ बाति अमावस्या की गाथा को गाई सोभागनी नारियों का ये
है पावन त्योहार इस दिन पती के लिए नारिया करती है श्रिणगाः
इस दिन शंकर जी गोरा संग पूजे जाते हैं पावन कथा सुनाते
हैं हम सोमवती आमावस्या की गथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान
सब सुनो लगा के ध्यान इस कथा की है पहचान मिले मो होँ आँगा वरेदान
सुनो लगा पूजे जाते हैं श्रिणगाः इस दिन शंकर जी गोरा
संग पूजे जाते हैं हम सोमवती आमावस्या की है महिमा
अपरंपात इस वृत को नारिया भाव से करती मन में धार
पल में वेदोंने माना है त्रदेव का वात
इस कारण इस दिन पीपल की पूजा होती खास
शिवगोरा खुश होकर इस दिन देते हैं वरदान
बढ़ता है सौबाग्य नारियों का होता कल्यान
गीत कारसानद ने अपनी कलम चलाई है
और सत्य प्रकाशन पावन गाथा गाई है
कथा भाव से सुनने वाले भवतर जाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
हम सोमवती आमवस्या की कथा सुनाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान
सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान
मिले मोहांगा वरदान

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