प्रिये भक्तों, मैं आज आपको दर्श अमावस्या की संगित में पावन गाथा सुनाने जा रही हूँ।मान्यताओं के अनुसार इस रात चंद्रदेव भगवान पूरी रात गायव रहते हैं।और इस रात को चंद्रमा का पूजन किया जाता है।और वेदो के अनुसार इस दिन पितर धर्ती लोग पर अपने परीजनों को आशिर्वाद देने आते हैं।इस अमावस्या को श्राद अमावस्या भी कहते हैं।तो आईए जानते हैं इस अमावस्या की गाता।हम दर्श अमावस्या की पावन कथा सुनाते हैं।पावन कथा सुनाते है चंद्र देव और पित्र देव जिक पूजे जाते है हम कथा सुनाते हैकरती है व्रत पूजन जीवन सफल बनाते है पावन कथा सुनाते है चंद्र देव और पित्र देव जिक पूजे जाते है हम कथा सुनाते हैहुआ काता है बड़ी महात सब सुनो लगा के घ्यात इस कथाते है पहचान मिले मुहमा ना वलगानधर्म स्थानतनातन का हर दिन भक्तों है अतिपावन हर दिन शुभ माना जाता होता है नित पूजनसंत रिशी देवों की ये भूमी कहलाती है गंगा यमुना की लहरी भी उनके ही गुण गाती हैमथुरा का शीव रिंदावन ये कड़ कड़ धर्ती का भारत है अतिपावन भक्तों चंदन भक्ती काइसे तरह ही पित्र देवों का भी होता पूजन उसे रात को करते है फिर कलान धीवंदनइनके पूजन से सुक सम्रिध्धी हम पाते हैपावनकथा सुनाते है चंद्र देव और पित्र देव जी पूजे जाते है हम कथा सुनाते है ये कथा है बड़ी महार सब सुनो लगाते ध्यान इस कथा की है पहचार मिले मुहमाँगा वरदानएक वर्ष में बारहाम अवस्याएं बतलाएंमहत्व सभी का अलग है बत्तों सबने है ध्याएंकिन्तु दर्श अमावस्या की एक अनोठी च्छापफलदाई से बतलाएं बतलाएं बतलाएं बतलाएंसुखदाई भक्तों सुनो ध्यान से आपपितरों की पुजा और तरपण और होता इस नानइस दिन चंद्रदेव की पुजा का भी है विधानइस दिन पूरी रात चंद्र ओदे नहीं होतापूर्ण है होती कामन चंद्र पूजन है होताइस तिथी को अगहन मास की तिथी बताते हैं, पावन कथा सुनाते हैं, चंद्र देव और पित्र देव जी पूजे जाते हैं, हम कथा सुनाते हैंये कथा है बड़ी महान, सब सुनो लगा के ध्यान, इस कथा के है पहचान, मिले मुह्माँगा वरदानप्रिय भक्त जनों, इस तिथी को मान्यताओं के अनुसार,पित्र धर्ती लोग पर आते हैं, अतह पित्रो की पूजा अर्चना करने से, हमें पित्र दोष से मुक्ति मिलती हैतथा इस दिन पित्रित तर्पण, दान पुण्य करना और गरीवो की सहायता करना, अती शुब माना जाता हैतो आईए जानते हैं कथा की माध्यों सेज्योतिश और पोराड के शास्त्रों के भक्तों अनुसारमन का कारण चंद्र देव जो करते हैं उठारइस दिन अर्ध पूजन से मिट जाता है ग्रह कलेशपूजा अर्च नदान पुन्य से खुश होते परमेशइस व्रत को करने से सुख शान्ती घर आती हैमंगल मैं जीवन होता भ्राती मिट जाती हैचंद्र देव के पूजन से शेतलता है मिलतीभाग्यों दै हो जाता भग तो निर्धनता मिटतीबंद जो होते मारग सुख के खुल ही जाते हैपावन के परमेशहम कथा सुनाते हैं चंद्र देव और पित्र देव जी पूजे जाते हैंहम कथा सुनाते हैंये कथा है बड़ी महार सब सुनो लगा के जानइस कथा की है पहचान मिले मोहमाना वरदानहमारा पूजा पूजा अच्छना कृष्ण की जो करताकरके अराधना पूजा अच्छना कृष्ण की जो करतामनमाचित फल भंडारे भरतासोल्यास्त के बाद ही करते चंदा का पूजनपुष्प सफेद अक्षत दीप देते हैं चंदनपंचामृत से चंद्रमा को अर्ध चढ़ाते हैंएक सो आठ बर जाप करके शशी को ध्याते हैंचंद्रदेव को अपनी मुझेभक्ती भेट चढ़ाते हैं पावन कथा सुनाते हैंचंद्रदेव और पित्रदेव जी कोजे जाते हैंहम कथा सुनाते हैंये कथा है बड़ी महार शब सुनो लगाके ध्यानइस कथा के है पहचार मिले मुहमाँदा वरदारप्रिये जनों इस दिवस को पित्रों का ध्यान करते हुएतीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, गंगा जल, काले तिल, चीनी, चावल, जल और फूल अर्पित करते हैंऔर पित्रभ्य नमह मंत्र का जाप करते हैंपित्रों की तृति के लिएखीर, पूरी और मिठाई बनाकरदक्षिन दिशा में रखकर दीप जलाते हैंऔर हाथ जोड़कर शीश नवाकर नमन करते हैंतो आईए जानते हैं आगे की कथाइस दिन निर्धन को वस्तर का दान भी करते हैंतिल, लकड़ी, कमबल, तेल, लड्डू भी देते हैंजोते, आबला, फल, गाई का भी करते हैं दानखाद समागरी के दान से होता है कन्यानये व्रत भक्तों चंद्र देव को हुआ समर्पित हैएक कथा इसकी ही वेदों में जो वर्णत हैराचन काल की कथा है साची सुनो लगाकर ध्यानइस गाथा को सुनने मात्र से हो जाता कन्यानक्या बत लाते वेद पुराण चलो सुनाते हैंपावन कथा सुनाते हैंचंद्र देव और पित्र देव जी पूजे जाते हैंहम कथा सुनाते हैंये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान इस कथा की है पहचान मिले मुहमाना वरदानसोमरोस पर बारा सिंग आत्माएं रहती थी कर्म के अनुसार वहाँ पर सुख दुख भोगती थीबर्शदास के नाम की एक आत्मा बतलाई है प्रभु दया से आत्मा फिर तो गर्ब को है पाईकुछ समय के बाद में एक बच्ची को जन्म दियाशुभ मुहानभूरत में उसको पिर अच्छो दानाम दियाबड़ी ही संदर थी कन्या का थाबत लाती हैबर्शदास की देख रेक वे प्यार को पाती हैबिना पिता के दुखी थी कन्या वेद बताते हैपावन कथा सुनाते हैचंद्र देव और पित देव जी पूजे जाते हैहम कथा सुनाते हैये कथा है बड़ी महानसब सुनो लगाते ध्यानइस कथा के है पहचानमिले मुहान गावरदानप्रिये भक्तों वेह कन्या पिता की कामना करतीऔर दुख के कारण रोया करतीकन्या को दुखी देख सभी आत्माओं ने उसे धर्ती लोग परराजा अमावसू की कन्या के रूप में जनम लेने की सलाह दीऔर उस कन्या ने अमल करके राजा की पुत्री के रूप में जनम लियाएक थी राजा अमावसू जो भक्तों बड़े महानजनमी कन्या उनके घर में जिसका छोदा नामबाके पिता का प्यार दुनार वह खुश रहती हैफिर तो आत्माओं का शुक्रिया करना चाहती हैजिसके चलते उसने शाद मार्ग को अपनायासबसे अंधेरी रात को चुनी पित्रों को ध्यायाविधी विधान से फिर पित्रों का उसने किया पूजनपित्र दया से फिर तो कन्या हो गई है संपनस्वर्ग लोक से भी सुन्दन सुख मिल ही जाते हैं पावन कथा सुनाते हैंचंद्र देव और पित्र देव जी पूजे जाते हैं हम कथा सुनाते हैंये कथा है बड़ी महार सब सुनो लगाते ध्यान इस कथा की है पहचार मिले मुहमाँगा वरदानमिनचंद्रा के सोने गगन की रात जो आती है राजा मावसू के नाम से जानी जाती हैकाली रात ये दर्श मावस्यामत लाई है तब से लेकर आज तलक प्रथा निभाई हैतब से पित्र धरति लोक पर इस दिन आती हैधर्म सेसनातन भक्त सभी इनको तो ध्याते हैंपाते हैं वरसुख संपत्ती भरते हैं भटारचंद्रदेव का पूजन करने से होता उठारश्राद के दिन ये चंद्रदेव न नजर में आते हैंपावन कथा सुनाते हैंचंद्रदेव और पित्रदेव जी पूजे जाते हैंहम कथा सुनाते हैंये कथा है बड़ी महार शब सुनो लगा के ध्यातइस कथा के है पहचार मिले मुहमाना वरदारपूजा अर्च न करके फिर तो आरती करते हैंपित्रदेव भगवान का फिर चानी सा गाते हैंस्तोती चंद्रदेव की करते मंगल कामनारोग दोश मिट जाते सारी मिटतीआरती करते हैंपित्रदेव भगवान का फिर चानी सा गाते हैंपावन कथा सुनाते हैंचंद्रदेव और पित्रदेव जी पूजे जाते हैंहम कथा सुनाते हैंये कथा है बड़ी महारसब सुनो लगा के ध्यानइस कथा के है पहचारमिले मुहमाना वरदार