सुन सुन कल जुग के हाल चारोर भैल बा कमाल
पंडित हो या मूरख सब ही के करी चाल
माता हो के पुसलस पेट बेटा भैल ज़वान
सूट पेंट पहिन के घुम कुब चिबावे पान
माई बिमार से कहरत बा बहु चिबाए चकले
वेख श्येवा करेवगर खूब खिलास टबले
बेटा के माई निहर पोतरी निहर मोंकुरी
माई के खाथिर पैसा ना बा, निहर भरे टोकरी
माई के सूरत कटहा लागे निहर के सूरत लाल
पंडित हो या मूरख सब ही के के चाल
सीदा सादा बाप रहे और बेटा पहरे पतलून
बाप घूमे पैदल बेटा, टैक्सी में अफलातून
बाप खाये सत्वा बेटा, खाये मूरग मुसलम
बाप पिये ला पानी बेटा, पिये भर भर रम
तिनका तिनका जोड के बाप बनैले एक महल
जुआरेस में जाके पूती देले ओके कुछल
बाप के फसाए बदे, बेटा पिलाए जाल
पंडित हो या मूरग, सब ही के की चाल
पंडित हो के बेद न जाने, खाये मास और अंडा
प्रेम के बोली भूल गईले, मारे बोली से डंडा
धरम करम सब भूल गैले, जाये कब हुन मंदर
भजन भाव के बदल नशा के अड़ा बनैले मंदर
तीरत में ठक बुद्धी लगाए, नियत करे सब खोट
मूसे मीठा बोल बोल, गथरी में मारे चोट
कल जुग जितना बरते रही, घटी न ये सब चाल
पंडित हो या मूरखे, सब ही के पैचाल
सुना सुना कल जुग के हाल, चारोर भैल बकमाल
पंडित हो या मूरखे, सब ही के पैचाल