श्रीपंच के दार की आज तुम्हें हम कता सुनाते हैं।
पावन कता सुनाते हैं।
पाच अंगों में शिव जी यहां पर पूझे जाते हैं।
यह जोनला स्रिपिर्फ़े के दार के तुम्हें।
यह किआसे वैसी ये जूशेता है।
यम्हवर्त का छिक्कि Swami जानरमें चोखती है।
मिले मुह आगा वरदार।
श्री गनेश को नमन करूँ फिर कता सुनाता हूँ,
पंच के दार के शिव अंगो का रहस बताता हूँ।
महभारत का लीन ये गाता भक्तों बड़ी महान,
शिव बंदन करने से भक्तों हो जाता कल्यान।
पांच अंगो में अलग अलग शिव यहां पधारे हैं,
बड़ा ही पावन स्थल है, अदभूत सारे नजारें हैं।
पंच के दार का पांच पांडवों ने निर्मान कराया,
क्या गाता है भक्तों वेद पुराणों ने बतलाया।
चलो पुराणक गाता का रसुपान कराते हैं,
पावन कता सुनाते हैं।
ये कता है बड़ी महान, सब सुनो लगा के ध्यान,
इस कता की है पहचान, मिले मोँ हुआंगा वर्दान।
पंच केदार पांच मंदिरों का सामोहिक नाम,
उत्राखंड के गड़वाल में शिवजी का अस्थान।
सकंध पुराण में वर्णित गाता आज सुनाएंगे,
केदार खंड में पांडवों का सब हाल बताएंगे।
धर्म युद्ध की जीत पे गाना देने आए बधाई,
किन्त उदास युदिष्टर ने एक बात उने बतलाई।
गुरुभात हत्या का कृष्णा पाप हमें भी लगा है,
युद्ध जीत के भी मन मेरा विचलित रहने लगा है।
पाप से मुक्ति,
पाऊं युक्ति सुनना चाहते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं।
पाच अंगों में शिव जी यहां पर पूझे जाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं।
ये कथा है बड़ी महान, सब सुनो लगा के ज्यान।
इस कथा की है पहचान, मिले मुह आँगा वरदान।
तुक का कारण जान के कृष्णा जी ने समझाया,
पाप से मुक्ति के दाता शिव जी को बतलाया।
किन्तु भोलेनात जि तुम से है नाराज बड़े,
शिव को मना लो देंगे मुक्ति देवों में जो बड़े।
बोल ये दुस्तर भोलेनात को मैं तो मनाओंगा,
मिले चहें मुझे को जितने मैं अपनाओंगा।
बोले
माधव पाँचो भाई शिव की शरण जाओ,
हात जोड कर करो अर्चना फिर मुक्ति पाओ।
इसी पाप के कारण शिव ना मिलना चाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
पाँच अंगो में शिव जी यहाँ पर पूझे जाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं।
ये कथा है बड़ी महाण,
सभ सुनो लगा के ध्यान,
इस कथा की है पहचान,
मिले मुझे आङगा वरदान।
भीम से अरजुन बोले शिव को हम तो मनाएंगे,
शिव दर्शन बिन लोट हस्तिनापूर ना आएंगे।
फिर तो पांडव हस्तिनापूर से करण लगे प्रस्थान,
पहुँच गए फिर काशी नगरी नहीं मिले भगवान।
पाचो पांडव समझ गए की शिव जी है नाराद,
काश छोड के कहां गए हैं देवों के तरतार।
देख उदास पांडव को फिर कृष्णा जी आए,
गए के दार में काश छोड के कृष्णा बतलाए।
प्रियस्तान है बोलेनात का वो बतलाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
पाच अंग में शिव जी यहाँ पर पूझे जाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं।
यह कथा है बड़ी महान,
सब सुनो लगा के ध्यान,
इस कथा की है पहचान,
मिलें मुझ आँगा वरदान।
बोले भीम हे के दार को अब हम जाएंगे,
रूठे जो हैं भोलेनात हम उनको मनाएंगे।
शिव की खोज में पाणडव फिर तो करने लगे प्रस्थान,
चड़ते चड़ते उची चड़ाई होने लगे परिशान।
पाँचो भाई ढूढ रहे थे शिव भोले भगवान।
शिव शंकर फिर समझ गए की पाणडव आये हैं,
बोलेनात जी फिर तो बैल का रूप बनाएं हैं।
पश्मों के आजुंद में भोले जी छिप जाते हैं,
पावन कता सुनाते हैं।
पाँचो अंग में शिव जी यहाँ पर पूझे जाते हैं,
अम कता सुनाते हैं।
ये कता है बड़ी महाद, सभ सुनो लगा के ध्याद।
कता की है पहचान, मिले मो हुआँगा वरदान।
भीम ने देखा सब बैलों में एक है बैल निराला,
उसको लगता उमापती ये शिव है डम्रूवाला।
भीम सेन ने फिरतो भकतो युक्ति एक बनाई,
अपने तपवल ते कद काटी भीम न ली बढ़ाई।
किया विशाल खुद को भीम ने चोटे सभी हुए,
ना निकलेंगे
नीचे से जो भोले नात हुए।
सभी बैल फिर भीम के नीचे से है जाने लगे,
बैल रूप में दूजी और को भोले जाने लगे।
समझ गए फिर पांडव शिव जी कदम बढ़ाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
पाच अंगों में शिव जी यहाँ पर पूझे जाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं।
ये कथा है बड़ी महाण, सभु सुनो लगा के ध्यान,
इस कथा की है पहचान, मिले मुह आंगा वरदान।
देखत देखत शिव शंकर जी लगे धरती में समाने,
देख शम्ब को भीम सैन भी लगे कदम बढाने,
दोड़ के भीम ने कूबड फिर तो शिव का पकड़ लिया,
लगन भावना भकती से खुश शिव जी को है किया,
कूबड बचा था शेष समाने ही पाया धरती में,
भोलेनात से कौन बड़ा है सारी स्विष्टी में,
हुए प्रसन शिव शंकर जी धर्शन दीन है,
बड़े दयालू शिव कृपालू किरपा कीन है,
फिर तो शिव जी पाप मुक्त पाचो को कराते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
पाच अंगों में शिव जी यहाँ पर पूझे जाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं,
ये कथा है बड़ी महान,
सब सुनो लगा के ध्यान,
इस कथा की है पहचान,
मिले मुह आँगा वरदान।
गुरु ब्रामन और भात पाप से मुक्ती पाई है,
शीष नवा कर पाणडव में जैकार लगाई है,
तबी कृष्णा ने आकर शिव को श्रेष्ट बतलाया,
केदार नात ने कुबड को पुझनिये है बतलाया,
नाभी भग जहाँ प्रगटा मध्यम है श्वर बतलाये,
जहाँ
भुजाये शिव जी की वह तुंग नात कहलाये,
चोथा रुद्र नात के दार जहाँ हो मुख पूजा,
शिव की जटाएं कलपे श्वर में शिव शाना दूजा,
पावन है ये पंच के दार जो पूजे जाते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
पाच अंग में शिव जी यहाँ पर पूजे जाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं,
ये कथा है बड़ी महाण,
सब सुनो लगा के ध्यान,
इस कथा की है पहचान,
मिले मुख वाँगा वरदान,
पावन दर्शन वो पाता है,
अति पावन ये दर्शन सिव का परवत पर इस्थान,
वंच के दार के दर्शन से हो जाता है कल्यान,
आओ हम भी शिव दर्शन को आगे बढ़ते हैं,
केदार नाथ है
पहला दर्शन जहां हम चलते हैं,
दूज़ा दर्शन मध्यमहेश्वर भक्तों करते हैं,
आगे चलकर तुंग नाथ का वंगन करते हैं,
चोथे दर्शन रुद्र नाथ के करिहर साते हैं,
पावन कथा सुनाते हैं,
पाच अंगों में शिव जी यहां पर पूजे जाते हैं,
हम कथा सुनाते हैं,
ये कथा है बड़ी महान,
सब सुनो लगा के ध्यान,
इस कथा की है पहचान,
मिले मुह आँगा वरदान,
पाच वा अंतिम के दार कल पेशवर आता है,
पाचों मिलकर पंच के दार सजाना जाता है,
पाच है जो भावःशकर के दार्शन जो यहां आते हैं,
पांडव जैसे पाप मुक्त हो मोक्ष को पाते हैं,
बोलेनात के भक्त सबी जैकार लगाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
पाचों अंगों में शिवजी यहाँ पर पूजे जाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद
सब सुनो लगा के ज्याद
इस कथा की है पहचाद
मिले मुह मांगा वरदाद
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