आज बदृनात जी की तुमको हम कथा सुनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
पति पावन ये दाम हरियां पूजे जाते हैं
हम कथा सुनाते थैं
आज बदृनात जी की तुमको हम कथा सुनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
पत् पावन ये दाम हरियां पूजे जाते हैं
हम कथा सुणाते हैं
नग robotics
नाक हम वो जाती yerde
शुम्मीें
मिले मुह आङगा वरदार।
गोरी पुत्र क करके सुमिरन कलम चलाएंगे
बद्रिहरी के रूप है उनको शीष नवाएंगे
चारो धाम में बद्रिनात है भक्तों बड़ा महान
धर्शन मात्र से मोक्ष मिले ये करते वेद बखान
श्री नारायन बद्रि रूप में यहां
विराजे है
दयकरणा की शैली से भगवान तो साजे है
उत्राखंड के गड़वाल में इस्तित ये इस्थान
अलाक नन्दा नदी वहीं पर करती हरी गुनगान
मंदिर के नाम से शहर भिबद्रिनात कहाते हैं पावन कथा
सुनाते हैं अतिपावन ये धाम हरी यहां पूजे जाते हैं
अम कथा सुनाते हैं ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा
के ध्यान इस कथा की है पहचान मिले मुह आँगा वरदान
जोभी दर्शन बद्रिनात के भक्तों पाता हैं
जनम मरन के चक्र से भक्तों मुक्ती पाता हैं
जनम प्रास्त्रों के अनुसार इसे बैकुंट कहा जाता
हैं साचे मन से जोभी आए वो मुक्ती पाता हैं
एक बैकुंट है क्षीर सागर वेद बताते हैं
दूजा बद्रिनात को रिशि मुनि देव बताते हैं
पौरानिक एक गाथा इसकी तुम्हें सुनाता हूं
बद्रिरूप में श्री हरी का ध्यान लगाता हूं
देव देवता नारद रिशि मुनि ध्यान लगाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
अतिपावन ये धाम हरी यहां पूजे जाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद
सब सुनो लगाते ध्यान
इस कथा की है पहचाद
एक समय की बात लख्षमी हो गई थी नाराज
क्या घटना फिर घटी है भक्तों बतलाते हैं आज
रूट के माता लख्षमी अपने माई के चली गई
पुछ कर्मों से माता भक्तों रूष्ट हुई
बिन लख्षमी के नारायन को अच्छा नहीं लगा
तप करने को अच्छा तल हरी को नहीं मिला
आय धरापल लगे खोजने एक अच्छा इस्तान
बद्रिनात में पाय स्तल नारायन भगवान
शिव गौरा वहवास करते वेद बताते हैं पावन कथा सुनाते हैं
अतिपावन ये धाम हरी यहां पूजे जाते हैं अम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाण सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुह आउँगा वरदान
ये इस तल
अतिपावन सुन्दर और है मनुहारी
समझ गए नारायन यहाँ पर रहते पुरारी
लगे सोचने नारायन फिर मन के ही अंदर
शिगर ही क्रोधित हो जाते हैं ये भोले शंकर
थोड़े से ही क्रोध में आकर कर देते संहार
काट शीश शिव गले डालते हैं मुंडों की हार
शिव के क्रोध के आगे हरी ने ना ही किया
प्रवेद लगे सोचने नारायन कहीं आना जाय महेश
युक्ति बनाकर नारायन शिषुरूप बनाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
अतिपावन ये दाम हरी यहां पूझे जाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाण सभव सुनो लगा के
ध्यान इस कथा की है पहचान मिले मो हुआंगा वरदान
बालक रूप में नारायन फिर द्वार पर बैठ गए
गए टहलने शिवगोरा तो दर्शन हो ही गए
देखक शिवगोरा को हरी ने रोना शुरू किया
सुना वाजर धन की गवरा माने ध्यान दिया
देखके बच्चे को गवरा की मम्ता जाग गई
बढ़े कदम उस और जहां से करकश धवनी हुई
शिवजी ने फिर मना किया है ना जाओ उस और
ये बालक ना बालक है मुझे लगता है कुछ और
ना मानी है पार्वती शिव अति समझाते हैं पावन कथा सुनाते हैं
अति पावन ये दाम हरी यहां पूजे जाते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महान सब सुनो लगा के ध्यान
इस कथा की है पहचान मिले मुझ आँगा वरदान
पूछो जड़ा ये बच्च दौर पे कैसे आया हैं
ये चल है तुम मानो गौरा शिव ने बताया है
ना मानी है
पार्वती बच्चे को लाई है
देख मधुर मुस्कान गौरा मा फिर हरशाई है
आगे क्या होगा वो शिव शंकर सब समझ गए
तो परिकर के श्री नारायन फिर तो प्रसन हुए
लिटा के बच्चे को शिव गौरा बाहर आये हैं
सनान करने को गरम कुंड में दोनों चाहे है
करके फिर सनान दोनों जब घर में आते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
दाम हरी यहां पूजे जाते हैं अम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद सभव सुनो लगा के ज्याद
इस कथा की है पहचाद मिले मो हुआँगा वरदाद
करे विस्नान शिव और गोरा जब दौर पे आते हैं
देख बंद दरबाज़ा शिव गोरा चक्राते हैं
बोले भोले मना किया ताना बच्चा लाओ
तुमने करने का ये फल पाओ
लाई जिसको आजंबर वो बाहर कर देगा
क्या पता ताने की कापल ऐसा कोई देगा
लगे सोचने शिव शंकर अब क्या हम कर सकते
अति प्यारा तुमको वो बच्चा ना हम चू सकते
है
है
वहां से चल कर शिवगोरा फिर आगे आए हैं
पहुँच गए के दारिनात में डेर जमाए हैं
शालि ग्राम के रूप में श्रीः हरियां विराजे हैं
भकतों के भकती के रस्मे श्रीः हरि साजे हैं
कैसे बद्रीनात कहा जाता है इस इस्थल को
एक समय की बात ध्यान दो भक्तों एक पल को
नारायन तप कर रहते होने लगा हिमपात
लक्ष्मी बदृरी का व्रिक्ष बंकर हरने लगी हिमपात
देख लगन श्री की श्री पती खुश हो जाते हैं
पावन कता सुनाते हैं
पति पावन ये धाम हरी यहां पूजे जाते हैं
हम कता सुनाते हैं
ये कता है बड़ी महाद
सब सुनो लगा के ध्याद
मिलें मुह आउंगा वरदाद
बड़ी रूप से की रखशा है बड़ी ही नाम की नाम
तुम्हे नाम से सारी शुरृष्टी मुझको भ्याएगी
बड़ी कामैनात ये दुनिया मंगल गाएगी तबी
से बड़ी नात धाम पड़ गया है इसका नाम
हरी दर्शन को दूर दूर से आते भकतमां
दर्शन पाकर लाखों भकत मोक्ष को पाते हैं
स्वर्ग से सुन्दर बद्रिनात को शीश जुकाते हैं
बहत नदी है अलख नन्डा डूप की लगाते हैं
पावन कता सुनाते हैं
अति पावन ये धाम हरी यहां पूझे जाते हैं
हम कता सुनाते हैं
ये कता है बड़ी महाण सब सुनो लगा के ध्यान
इस कता की है पहचान मिले मो हुआंगा वरदान
ब्रह्म
महूरत में अभिशेगुण गान किया जाता
संध्या बेला स्वर्ण आरती ध्यान किया जाता
ब्रह्म कमल श्रीबद्रिनात को भक्त चड़ाते हैं
तुलसी माला दलगिरी में श्रीमन को भाते हैं
मनवाचित फल पाते भक्त जो धर्शन पाते हैं
कोई दल से ना जाये खाली वेद बताते हैं
अधिकारी ने बद्रिनात की गाता गाई है
मुनेंद्र प्रेंदी सुमिरशारदा कलम चलाई है
जैजै कार हो बद्रिनात की भक्त लगाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं अतिपावन ये दाम हरी यहां पूजे जाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा है बड़ी महाद सभ सुनो लगाके ध्याद
इस कथा की है पहचाद मिले मुह मांगा वरदाद
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật