Nhạc sĩ: Subhash Bose
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वीर बली बजरंग बली के कता सुनाते हैं
जनम के कता सुनाते हैं
हनूमान जनम उत्सव की हम महिमा गाते हैं
हूने बनाते हैं हम कता सुणाते हैं
अंजिने के घर हन्मत जनमें खुशी मनाते हैं
सारे खुशी मनाते हैं
शुब अफसर पर हर घर में किरतन कर्नाते वें
हम कता सुन��ाते हैं
स्रीराम भक्त हनूमा
महवीर अती बल्मान
शास्त्रों में हनुमान जनम की कई कताएं हैं
उनमें से चुन एक कथा हम सुनाने आये हैं
पूर्वकाल में केसरी जी थे वानरों के महराज
करत सुमेरू परवत पे थे एक छट्र वो राज
राजा केसरी की पतनी अंजनी थिनी संतान
इसी बात पे दोनों दुखी और रहते थे परशान
कथिन तपस्या दोनों ने की पाने को संतान
आखिर दोनों के तपसे हुए प्रसन शिवभगवान
इसके आगे क्या होता है वो बतलाते
हैं जनम की कथा सुनाते हैं
हनुमान जन्मोच्छव की हम महिम बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
श्रीराम भक्त हनुमान वो काटे कश्च तमान
शिव अवतारी भगवान महवीर अती बल्वान
भोले ने जब पूछा उनसे क्या दूमै वरदान
बोली एंजनी देदो मुझको भी ममता का दान
सुनके प्रातना भोले जी के मन में आई बात
क्यों ना मेरा अंश ही देदे बालक की सौगात
श्री विश्णू जी है प्रीय मेरे प्रीय वो मुझको
माने राम रूप धर हरी जनमेंगे मन मेरा ये जाने
सेवा करूँगा श्री हरी की बनके सरी नंधन
सोच यही अंजनी को वर्दिया माज़ा ओगी बन
इस तरह उसके गर्भ में शिव अवतारी आते हैं जनम की कथा सुनाते हैं
हनुमान जनम उत्सव की हम महिम बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
श्रीराम भक्त हनुमारो काठे कश्चतमार शिव अवतारी भगवार महावीर अति बल्वार
अतुलित बल अत्यंत गुणों का मिला जिने वर्दान
मा की गोद में बैठा बालक छहरे पर मुस्कान
माता अंजनिलाल पर अपने बली बली जाती हैं
भाव भोर हुई मा अंजनि द्रब्य लुटाती है
दीप जले घर घर में ऐसे जैसे दिवाली है
हनुमान जयन्ती लेकर आई खुश हाली है
जिस दिन जनमे हनुमान जी दिन था मंगल वाद
मंगल में हनुमान को तब से पूज रहा संसाद
इनकी पावन महिमा सुन हम सब तर जाते हैं
जनम की कथा सुनाते हैं हनुमान जनम उत्सव
की हम महिमा बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
प्रीराम भक्त हनुमान वो काटे कश्चतमान
शिव अवतारी भगवान महवीर अती बल्वान
वाल समय में खेल रहे थे अंजनी मा केलाद
दाडने कूदने से फिर हो गए भूख से वो बेहाद
पूड़े गगन में हनुमान मीठा फल पाने को
बाली उमर के बालापन में ऐसे मचल गए
जान के फल वो सूर्य देव को जट से निगल गए
अगले ही पल छुप जाता है जग से सारा प्रकाश
शिव अवतारी भगवान महाबीर अती बल्वान
तीन लोक में हुआ अंधेरा मच गया हाकार
मारूती जी खेल केल में मार रहे किलकार
त्राही त्राही मच गया स्वर्ग में देव हुए हैरान
कहां विलुप हो गये न जाने सूर्य देव भगवान
पता चला जब ब्रह्मदेव को सूर्य देव की बात
अंजिन पुत्र के बारे में उनको तुरंट हो गया ज्यार
सभी देवता बजरंगी के पास में आते हैं
सूर्य देव की मुक्ति के लिए शीश जुकाते हैं
लेकिन कोशिश करके सफल वो हो नहीं पाते हैं
जनम की कथा सुनाते हैं
हनुमान जनम उत्सव की हम महिम बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
खुद्धी राम भक्त हनुमान वो काटे कश्च
तमान शिव अवतारी भगवान महावीर अती बल्वान
विन्ती
करते सभी देवता के स्रिनंदन से
सूर्य देव की मुक्ति के लिए वो वन्नन करते
सुनके बाते देवगणों की मारुति हसते हैं
सारे देवगणों को फिर वो हस के कहते हैं
वो बोले सब देवगणों से वापस जाओ तुम
करने दो विशराम हमें ना शोर मचाओ तुम
भूक लगी थी हमकों हमने तब ही किया भोजन
क्यों आए हो पास हमारे क्या है परियोजन
ये सुन इंद्र देवगणों बहुत क्रोधित हो जाते हैं जनम की कथा सुनाते हैं
हनुमान जनम उतसव की हम महिम बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
खृदी राम भत हनुमान वो काटे कश्च तमान शिव अवतारी भगवान
हमुसे उतनी हैं
बालक की
तुड़ी पर उस से चोट पहुचाते हैं
तुड़ी का एक और नाम जो हनू कहलाता है
इसलिए बालक का नाम हनूमान पढ़ जाता है
वज्र की चोट से सूर्य देव बाहर आ जाते हैं
इंद्र से क्रोधित पवन देव वायू रुकवाते हैं
पवन देव से सारे देवता प्रातन करते हैं
पवन देव तब जाकर वायू प्रवाह करते हैं
हनूमान को पवन देव संग लेकर जाते हैं जनम की कथा सुनाते हैं
हनूमान जनम उत्सव की हम महिम बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
धीराम भक्त हनूमान वो काटे कश्चतमान शिव अवतारी भगवान महवीर अती बल्वान
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