Nhạc sĩ: Traditional
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बोलिये शिवशंकर भगवाने की
जैये
प्रिय भक्तों
शावन महात्म का
पचीसम अध्याय आरम्ब करते हैं
और इसकी कथा है
पिठोर वुरत
तो आईए भक्तों
आरम्ब करते हैं इस कथा के साथ
हेई सनत कुमार
अब मैं तुम्हें शावन मास की अमावस्या के महत्म के बारे में बताता हूं
इस दिन रखा गया वुरत पिठोर वुरत केलाता है
सरवाधिष्ठान होने से घट को पीठ कहते हैं
उसमें जो पूजन उपयोगी वस्तू होती है उनको ओर कहते हैं
इसलिए सुरत का नाम
पिठोर वुरत पढ़ गया
विधी
दिवार को सफेद या पीले रंग से रंगनी चाहिए
फिर तांबे के रंग से रंगनी चाहिए
अब मद्धभाग में पार्वती और शिवलिंग बनाएं
उसके चारों और संसार की सबी चीज़ें बनाएं
पर प्रकार के अनाज,
सब तरहें के पक्षी,
दालें, सबजीयां, भल, धीपक,
दीवट आधी
उपरोक्त वस्तुओं को बनाकर शोडस उपचारों से उनकी पूजा करनी चाहिए
अनेक तरहें के गंध, धूप, चंदन आधी देकर प्रामन,
बालक,
सोभाग्यवती स्तृयों को भोजन कराना चाहिए
तथा पार्वती सहित
शिवजी से प्रार्थना करें
हे दयासिंधु,
हे चंदरशेकर,
आप इस वर्त से सन्तुष्ट होकर
मेरे सभी मनोरत पूरे करें
इसप्रकार पांच वर्ष तक
वर्त करने के पश्याद
उध्यापन करना चाहिए
उध्यापन में शिवमंत्र ओम नमः शिवाय द्वारा
घृत तथा विल्व पत्र द्वारा हवन करें
पहले दिन अधिवासन करके घरह हवन करें
एकहजार आठ या एकसो आठ आहुतियां देनी चाहिए
इसके बाद आचारिय का पूजन करें
दक्षना दें
यह वर्त पुसिधी दाता है
इसके तुल्ले कोई दूसरा वर्त नहीं है
ऐसा वर्त आज तक न हुआ है
और न होगा
हे वच्छ मनष्य जो भी चीज़ें दिवार पर
बनाता है वे सब चीज़ों से प्राप्त होंगी
बोलिये शिवशंकर भगवाने की जैंग
तो प्रेवख्तो इस प्रकार यहां पर इस कथा के पस्चात
शावन महत्म का
पचीसमा अध्याय समाप्त होता है
सिनहेश से बोलिये बोलिये शिवशंकर भगवाने की जैंग
जैंग जैंग