समंदर के साथी हो लेरों से बाते करो ना
करो ना
चुप से हुए क्यूं
किसी से तो कुछ भी कहो ना
कहो ना
बड़े दर्द छिपाए
इतने दोकें खाए
फिर भी मुस्कुरा रहे हो
क्यूं
अरे किसने बोला
इतना लोड क्यूं ले ना थोड़े आसु बाले तू
ये जिन्दुगी
है शर्बती
थोड़े आसु गिराओ उसमें कुशीया मिलाओ और पीने को बिलकुल रडी
ये जिन्दुगी है शर्बती
थोड़े आसु गिराओ उसमें कुशीया मिलाओ और पीने को बिलकुल रडी
बजारों में मिलता है सब कुछ बस
खुशी नहीं
बस तुम्हारे ही पास है इसकी
कमी नहीं
छीन लाओ उसे जहां भी वो रहता है
जो देखे दाए थोड़े सुकुप तो सब का ही अक है
थेरा गाओं कहा है तु रहता जाएँ है क्या ही फरक पड़ता
तेरे अंदर चले जो महसूस करे जो तु तो उसके ही संग सडता
ये जिन्दुगी है शर्बती
थोड़े आसू गिराओ उसमें कुशीया मिलाओ और पीने को बिलकुल रडी