आज शोरू मेरा
ना सुने है जहाँ
कल सुनेगा मेरे सन्नाटे भी
आज राह मेरी
मैं चलू तनहा
कल चलेगी मेरे संभीड भी
वक्त बीठेगा ही
इसको है बीठना आसमा दो मुझे उसपे है लिखना
आधिया
आएंगी मुझको ले जाएंगी उस शहर में जान है मुझी रहना
शहर में खुशी मुफटू में है मेले आसूओं की वजा हो सुकूं
मरजिया ही चले रोक टोक ना हो दिल करे जो करूं ना रुकूं
भूजसा मैं तारा हूँ
बिचारा यहाँ
हूं मैं जमीन पे
मगर भर आस्मा
मेरी जो कहानी है
सबको ही सुनानी मुझे
दिल में मेरे
कब तक इन्हें
रखोंगा बैं
जग जग के राते बिताई
चंदा से करके लड़ाई
है क्यों तू बैठा वहाँ पे
तू तो है मेरी जगापे
आज शोरू मेरा ना सुने है
जहाँ कल सुनेगा मेरे सननाटे भी
आज राह मेरी मैं चलू तनहां कल चलेगी मेरे संभीड भी