रात पिया सुपने में मोहन बाबा आया सू
रात पिया सुपने में मोहन बाबा आया सू
मुझको आकर दर्शन दे गई सोया भाग जगाया सू
आज मैं उठ कर ये कैसा ढौंग रचाया सू
गोरी मत ना बोले जोड़ उजे ना दर्श दिखाया सू
नीले गोडे चड़कर बाबा मारे घर में आये
गोरी लटा सर बाबा के तनमे था भस्म रमाये
आद कमंडल पौर चीम डाबू
बाबा संग में लाए इतनी प्यारी सूरत दिवे मेरे मन को भाए
मैं गई किसी से पूल मोहन मुझसे बतलाया सू
मुझको आकर दर्शन दे गए सोया भाग जगाया सू
गोरी मत ना बोले जोड तुझे ना दरस्त खाया सू
तेरी जूटी बात लगे विश्वास ना मुझको आता
धर बेटे जो दर्शन देता खोली कोई क्यों जाता
ना पबलिक का खर्चा होता ना कल खोकर खाता
मैं भी खोली जाओं मुझको भी तो दर्शन
दिखाता तेरी जूटी सुन के बात बून मेरा गर्माया सू
गोरी मत ना बोले जोड तुझे ना दरस्त खाया सू
जूट ना बोल रही मैं बालम कर विश्वास तु मेरा
बाबा बोले बेटी कन्ने दिल से मुझको टेरा
अपने मन की बात बता दे कश्ट मिठा दू तेरा
मैं बोली दर्शन दे कर कर दिया एसान मत तेरा
इतने में गुल गई आपना अब तक पाया सू
मुझको आकर दर्शन दे गई सोया भाग जगाया सू
बात समझ में आ गई मोहन किसको दर्शन देता
सच्चे जिल से जो रखा सुनपल मैं उसकी लेता
रगुराज बिरोंडी खोली के जाने का धर ले छेता
दो दिन का जीवन सारा कब बन जाता या रेता
तेरा बजन आज बिंकी और अंसुमान ने गाया सू
वो मुझको वो मुझको वो मुझको आकर दर्शन दे गए सोया भाग जगाया सू
वो आज सुबह उठ कर ये कैसा ढहोंग रचाया सू
आज सुबह उठ कर ये कैसा ढहोंग रचाया सू
गोरी मत्ना बोले थोड तुझे ना धरस दिखाया सू
कोरी मतना बोले जून, तुझे ना दरस दिखाया सूम
मुझको आ कर दरसन दे गई, सोया भाग जगाया सूम
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