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पुर्थम भगत संतन कर्षंगा
भगवान सरी राम ने सेवरी माता को नौधा भक्ती जब स्रवन कराई है
यही कहा है पुर्थम भगत संतन कर्षंगा
यदि आप फोलो के संग में बैठोगे शुन्दर्ता और सुगंद मिलेगे
और संतों के संग में बैठोगे ज्ञान भक्ति सुख सांति उन्नति और जो भी आपकी मनो कामना है वह सब पूरी
होगी और साथ-साथ में मन निर्मल भी हो जाएगा कि शंगत का बड़ा प्रभाव होता है कि एक हलवाई की दुकान में
कि रसगुल्ले सजे हुए रखे थे कि सामने मजदूर पीठ पर शकर की बोरियां लेकर जा रहे थे
कि शकर की बोरियों को पीठ
पर लदा हुआ देख करके रसगुल्ले हसने लगे यह चीनी बहन एक मेरी जिंदगी है जो ग्राहक आता है हर कीमत
चुका करके मुझे को पैकिंग करके ले जाता है और दूसरी तेरी जिंदगी है न जाने कितना अंधेरे में बोरी के अंदर
भरकर पड़ी रही मजदुरों की पीठ पर लदी रही न जाने कहां-कहां पटकी जाएगी चीनी बहन से रहा न गया यह
रसगुल्ले भाई तुम इतनी जो लंबी-लंबी बातें कर रहे हो जिस दिन मैं तुम्हारा साथ छोड़ दूंगी उस दिन केवल
गुल्ला-गुल्ला रह जाओगे दिक्ष रख़ा तो संतों की संघस्य मन्नच से रस गुल्ला बन जाता है और दुनिया में तो
गुल्ला गुल्ला बनकर खूमता रहता है आज वही हमें आपको शौभागी बिला है और मैं सभी शंतों को नमण करता हूं देर
बहुत हो रही है और शंतों का मैं आभारी भी हूं सब महंत मंडलेश्व जगत गुरु का कि मेरे लिए समय निकाल
कर डेढ़ घंटे से यहां विरासमान है सरीर भी ठक जाता है और अपने अपने आश्रम में मठों में भी दर्शन दे
बागता हूं हि अगली बार हम उनका भंडार भी रख लेंगे मैं मन में सोच रहा था कि भंडार भी तो करना चाहिए
हैं लेकिन अब फिर सोच रहा था संत महत्तों को भूख कम रहती है कई जगहं का लेते हैं फिर मैं सोच रहा
तो वो पुन हम लोगों को मिलेगा
दुनिया खेलाये उससे अपने क्या करना है
अपन को खेलाना है
तो अगली बार
जैसा क्रपालू जी महराजी
राम जी सरणदास महराजी
राजकुमर दास अधिकारी महराजी कहेंगे
वैसा भंडारा सुन्दर सुसजित
की रुप है वह भी चिद्धन यह भी निवेदन करेंगे सुबह हल्का नास्ता करेंगे दुबार भोंखे रहेंगे और वह
शी ही नहीं प्रयास हुई भौभंगा न के सत्संग औरसंतों का सानजत बड़े भाग्य से मिलता है आ से बिना प्रयास के फिर
प्रयास करके टिकट लेना पड़ता प्रयास करके ट्रेन में बैठना पड़ता लेकिन ट्रेन में बैठने के बाद
फिर आपको अविध्या से बौंबे जाने के लिए चलना नहीं पड़ता है आप सो जाए तो भी ट्रेन आपको बौंबे पहुंचा
संतो ना संग माहो जीवन धन्य बनी जाईछे
संतो ना संग माहो जीवन धन्य बनी जाईछे
जीवन धन्य बनी जाईछे
संतो ना संग माहो जीवन धन्य बनी जाईछे
संतो ना संग माहो जीवन धन्य बनी जाईछे
रामजी ना संग माहो
हनुमान धन्य बनी जाई छे जगत मा पुजाई छे
संतो ना संग मा हो जीवन धन्य बनी जाई छे
बहुत बड़ी बात है
राम जी की संगत को पाकर हनुमान जी कितनी उचाई पर पहुँच गे
आज जितने
मंदिर हनुमान जी के हैं उससे कम मंदिर राम जी के हैं राम जी ने अपने भक्त को अपने से और आगे बढ़ाया है
राम भगवान भी बहुत बिनम्र थे सरल थे सुशील थे सब का आदर कर देते थे
शंतों का बहुत सम्मान कर दे थे आज राम की नगरी अविध्या में सादु शंतों की वज़े से इसका महत्व और बढ़ता ही जा रहा है
और शंत महत्मों के मंदिरों में या श्रमों में बरावर भंडारे भी चलते रहते हैं
अविध्या में कोई भूखा नहीं सोता है
ये भगवान राम की कृपा और सीता जी की रसोई हर जगे तैयार रहती है
और मुझे भी बहुत अच्छा लगा अविध्या में
हमारे संत कह रहे थे गुरुजी अविध्या में आश्रम कब बनाओ
हमने कहा हम तो बनाएंगे नहीं अब बनाएंगे तो अधिकारी साहब क्रपालो जी महराज
और ये सब साधु संत मिलके बनाएंगे तब बन जाये
रामजी सिरनदास महराज कह रहे थे जब तक आश्रम न बने ये एक आश्रम मान लेव
ज्यादा साहितिक भाषा नहीं बोलते हैं अब ना तो हिंदी सुध बोलते हैं उनकी भाषा कवीर साहब जैसी अटपटी ही रहती है
कहा रहे हैं इंगी उंगी नजायो इंगी रहे हो पुझे स्री राम संकल दास महराज जी जो की बेदानताचार है और राम बलभाकुंज की गुरुदेव है और मैं उनको नमन करता हूँ
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