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Bài hát pitrpaksh katha do ca sĩ Kashi Kartik thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat pitrpaksh katha - Kashi Kartik ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Pitrpaksh Katha chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
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Lời bài hát: Pitrpaksh Katha

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

पितर शाधकी भक्तों हम एक कथा सुनाते हैं
हम एक कथा सुनाते हैं
कैसे मुक्ति हो पितरों की ये बतलाते हैं
एक ख़ता सुनाते हैं
हम SAPSI McCain जो कैसे
प्रत्था सुनाते हैं
जैफित्र देव महराच
सिद तर ना सारेफाः
जैफित्र देव महराच
सिद तर ना सारेफाः
देव पूजन से भी पहले पित्रों की त्रिप्ती
पित्र आशिरवाद बिना तो मुप्ति ना शत्ती
स्राद से बड़के दूज़ा कोई कर्म नहीं होता
मानव धर्म से बढ़के कोई धर्म नहीं होता
जोभी वेक्ति स्राद करे अपने धन अनुसार
पित्रों की भी त्रिप्ती होती फुद भी होता पार
स्राद करम से जनम मरण के बंधन जाते छूट
जिन पित्रों के स्राद नहोते वो जाते हैं
रूट वो पीछे पच्छाएं जो ये समय गवाते हैं
समय गवाते हैं कैसे मुप्ति हो पित्रों
की ये बतलाते हैं एक कथा सुनाते हैं
जैफित्र देवमहराज सिध करना शारी फाज
जीव आत्मा यम के द्वारे जब जब जाती है
अपने अच्छे बुरे करम का फल वो पाती है
यम मार्ग की वो यातना वोगिन पड़ती है
धर्म छोड़ता है जब बन्दा बात बिगड़ती है
करमों के अनुसार जीव किस योनी में जाता
करमों का फल अगले पिछले लोकों में पाता
निर्वदिलोक से प्राणी जब भी जाता स्वर्ग सिधार
जय पित्र दिर्वमहराम
सिध करना सारे पाव
पापों का फल नर्ग बताते सारे बेद पुराण
पुन्य का फल स्वर्ग बताते समझो ए एनसान
पापी गोर यात ना भोग नर्गों में भटके
यम दूतों के हाथों पिटता उल्टा भी लटके
पुन्य आत्मा को मिलती है मानुस देव योनी
करमों के अनुसार भटकती आत्मा सोहनी
निर्दक योनी कीट पकंगे पशू पके रूजान
अपने पूरे भोग भोग के फिर बनता इनसान
साध करम ही आत्मा को मुक्त कराते हैं मुक्त कराते हैं
जए पित्र देव महराण सिज़ करना शारेखाण
जए पित्र देव महराण सिज़ करना शारेखाण
धर्म सनातन पित्र रिण की मुक्ती की कहता
स्राध करम बिन पित्र रिण तो प्राणी पर रहता
स्राध करम ही पित्र कार्य यह कहलाता है
अश्विन मास्मः पितर साध कराया जाता है
पित्र यग भी कहलाता है करते हैं जो स्राध
प्राणी मुक्ती पाजाता है निजमिर्त्यों के बाद
श्राध करम में होना चाहिए पुर्ण विधि विधान
पुर्ण
योग होना चाहिए ब्रामण गन विद्वान
योग ब्रामण बिना श्राध का फल ना पाते हैं
फल ना पाते हैं
कैसे मुख्पी हो पित्रों की ये बतलाते हैं
एक कथा सुनाते हैं
जय पित्र देव महराज शिद करना सालिफाद
जय पित्र देव महराज शिद करना सालिफाद
पितर करम ना करिए भूल से ये फर्माद
स्रधा भाव से ही पूरा होता है हर स्राध
पहला कार ब्रामण भोजन दूजा हो पिंडडान
ब्रामण भोजन पितर पाए ऐसा है अनुमान
स्राध करम में जो भी ब्रामण आता है इस मास
दूपत रूप से पितर उसमें भक्तों करे निवास
स्राध करम कोई करना पाता होता कोई अभाव
पते घास टहनियों से भी तर जाती है नाव
भास काट के पितर नाम से गौव को खिलाते हैं
कैसे मुख्ती हो पितरों की ये बतलाते हैं एक कथा सुनाते हैं
जय पितर देव महराण सिज करना शारीफाद
जय पितर देव महराण सिज करना शारीफाद
मुख्य रूप से साध करम का पुत्र को अधिकार
कई पुत्रों में जेश्ट पुत्र ही होता है हकदार
वैसे तो कुल बार तरके साध बताए हैं
तबी तरके हम सब से तो होना पाए हैं
बार महीने बार अमावस स्राध के अवसर हैं
स्रधा देखी जाती है भाई जैसे जो नर हैं
स्रधा भाव से साध करें तो सर्वसिद्ध कल्यान
साध परव को व्यर्त मानते कुछ मूरक इनसान
पित्र पक्ष में साध करना उच्छित बताते हैं
उच्छित बताते हैं कैसे मुख्की हो पित्रों
की ये बतलाते हैं एक कथा सुनाते हैं
ज़ेव पित्र देव महराँ सिद्ध करना सारे खाँ
बादो पुर्णी मासे सुरू हो पित्र देव के दिन
पित्र रिड को नहीं उठरता साध करम के बिन
पित्र पक्ष को माना जाता पित्र पक्ष की रात
मन इस निर्पी में भी भक्तों लिखी गई ये बात
पित्र पक्ष में पित्र साध करने का है विधान
इन बातों को जो ना माने वो मूरक नादान
पित्र पक्ष में साध की महिमा लिखी गई विशेश
धन वेवभाव सब मिल जाता है रहता ना कुछ शेश
इन बातों के लिए सास्त्र हमको चेताते हैं हमको चेताते हैं
जैपित्र देव महराई सिद्ध करना सारे खाई
जैपित्र देव महराई सिद्ध करना सारे खाई
एक साल में स्राध करें कम से कम दो बार
मिर्त तित्थी पर स्राध वार सिक्खरता है संसार
कम से कम तो एक ब्रामण को भोजन करवाएं
जादस जादा तेन ब्रामण भोजन पे बुलवाएं
शुद्ध सात्विक भोजन के संग्ध खिना दीजे
पित्तर देवत मुक्ति पाएं संग्ध कलप कीजे
गया तिर्थ में पित्तर देवत जो करते पिंड़ दान
जादा अच्छा माना जाता कहते हैं विद्वान
पिहवा और पिंडारे में भी पिंड भरवाते हैं पिंड भरवाते हैं कैसे
मुक्ति हो पित्तरों की ये बतलाते हैं ये कितत्रत्य सुनाते हैं
जय पित्तर देव महराण सिज़ करना सारे फाथ
जय पित्तर देव महराण सिज़ करना सारे फाथ
स्राध करम में कुष काले तिल उत्तम कहे गए
चांदी का भी महत्त स्राध में जादा बहुत रहे
स्राध करम में है किया जाता चांदी का भी दान
तुलसी से भी पिंड अरचन हो भक्तों कर ये ध्यान
स्राध करम में जल्द बाजी कर देती नुकसान
तिल पुस्त पित्तों को प्यारे बाकी सभी समान
घर्गो साला देवाले नन्दी के टटका स्थान
गोबर मिट्टी से लेपन कर स्राध करे यजमान
दक्षिन दिसाव धाल भुमे उत्तम बताते हैं उत्तम बताते हैं कैसे
मुख की हो पित्रों की ये बतलाते हैं एक क्रत्था सुनाते हैं
जैपित्र देव महराण सिज़ तर नाशाने पाद
जैपित्र देव महराण सिज़ तर नाशाने पाद
शुब्भुगुणों से यूपत ब्रामण इसका अधिकारी
जिन बातों की होती मना ही याद रखे सारी
शुब्भुगुणों से यूपत ब्रामण इसका अधिकारी
जिन बातों की होती मना ही याद रखे सारी
स्राध करम से पित्रों के संग देव तभी परशन
स्रधधा भाव से स्राध कराये खिल जाये तनमन
पित्र साधस कमल सिंग कै पूरी होती आस
गोधान से जीवन भर के पापों का हो नाश
पित्र रिण ना रहने पाए गुरु समझाते हैं
कैसे मुक्ति हो पित्रों की ये बतलाते हैं एक प्रथा सुनाते हैं
जय पित्र दिर्व महराव सिज़ करना शारी पाई
जय पित्र दिर्व महराव सिज़ करना
शारी पाई

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