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Parai Aurat Ki Aashiqui

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Lời bài hát: Parai Aurat Ki Aashiqui

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

जए गडपति जे कार्तिके
जे गुरुदेव महान
बीडावादनी मासारदे
पवल पोत्र हनुमा
के देधापूर में बसत है
के देधापूर में बसत है
आधरिये
उपस्तित सभी जनता जनारदन
ये नई कहानी करनी का फल आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए जा रहा हूं
कैसा होता है करनी का फल आएए
हारे बाके लाल
किसान
सुनो दे ध्यान कथा के भाई
एक बाके लाल किसान है बड़े ही धर्मात्मा है
ईश्वर की वक्ति में चिंतन में मस्त रहते हैं
एक बाके लाल किसान सुनो दे ध्यान सभाके भाई सभाके भाई
अर्यत पावन यक्याने सुनो मित्र चितलाई
ए मानवतन की परीट,
प्रभु से पिरीट जुड़ी मेरे भाई
ये एमानवतन की रीत प्रभु से प्रीट जुड़ि मेरे भाई
खेतमे कामरे लगन लगी है भाई।
बहुत
अच्छे किशान हैं
श्री मांकेलाल जी
और ऐसा ही नहीं दोस्तो
कि घर में एक सुन्दर नारी है
के पत्ति विर्यता प्राणन प्यारी है
बेतो चंडर बदल युजी आरी है दादा,
सुनियो कथाया नारी है।
भगवान के भक्त हैं और रोजाना का दोस्तो एक आई नियम है
के गाउं से थोड़ी
दूर रहे
मंदर है ये ग्माई।
जिस गाउं में मांकेलाल किसान रहते हैं
थोड़ी दूर भगवान का मंदर है
गाउं से थोड़ी दूर रहे मंदर है ये ग्माई।
वलवारी नाम को पुजारी रहे मंदर में बहाई।
अगर तो
पुजारी रहे नाम का बनवारी लाल है।
मेरे ब्राहात पुजारी हरे कपटी और भेइमान
अरे टीप टाप से रहे जैसी जाके बस में है भगवान
साथियों
सुदीर भाई
जरूरी नहीं है
धर्म का चोला उड़ने बाला धर्मात्मा हो
जो लोग कथा के वक्ता होते हैं
इनको
बेदों का अचार कहते हैं डाक्टर कहते हैं
लेकिन जब ये कथा कहते हैं कलयोग में
तो ये मालंबटता है ये खुछ पेसैंट हैं
पाकखंड लला कुमर भेलावे नारिन कोरो कलम चलाएँ
पता नहीं
सनातनी लोग कभ जागेंगे अरे भगवान के भैसे
अगर भगवान का कोई कारिकरम गलत हो रहा है तो लोग ये कहें
के छूट जाते हैं कोई बात नहीं भगवान का नाम हो रहा है
आराज पुजारी अरे कपती और बेइमान अरे टीप ठाप से रहें जाके
बस में हैं भगवान
भईया नगरी के बोले नरणारिन को पौतों भहकावें
दादा जनता के
लोगन को अरे पुजारी भहकावें
एक दिन
मांकेलाल किसान
सोचने लगे हैं कि लाओ पुजारी जी से मुलाकात करते हैं
लेकिन वक्त की मार
कि एक दिन मुलाकात नहीं हो पाती हैं
और द्यान देना वही लोग ठके जाते हैं जो भगवान के भक्त होते हैं
मांकेलाल किसान बड़े ही सब्बे मानव हैं और ऐसा ही नहीं दोस्तो
मांकेलाल किसान बड़े ही सब्बे मानव हैं भाई
चंद्रप्रभाती नारे सुसीला सुन्दर्ता चाई
प्रभू की नजरी निराली है प्रभू की
ओ नजरी निराली है
अरे चंद्रप्रभाती
चंद्रप्रभाती के ना कोई पुत्र पैदा हुआ और ना कोई लड़की पैदा हूँ
लोग निरवनसी और बाज कहते हैं और दिल के दोनों पतपतनी बहुत अच्छे हैं
पुखी पतपतनी दो भारी
चब तब करते खूब नजर तो फेरी गिर्दारी
तायने देते नरनारी रे तायने देते नरनारी
पर आगे देखी की देते हैं गारी
दोनों बेट के रो लेते हैं माकिलाल किसान और चंद्र प्रभाँ
उनकी पत्नी लेकिन क्या करें बहुत पूजा पाट करते हैं
जिसके लिए जो जोझ मंदिर जाते हैं
भगवान सुनते ही नहीं है
पत्पत्नी दोनों रहें
मन में यती उदास ग्रिष्त धर्म पालन करें हर से लगी यरदास
चंद्र प्रभाँ अपने प्रितम से कहती है महराज
कोई नो कोई तो हम पर चक्कर है ओ ध्यान देना
ये नकारात्मक उर्जा
हमारे सरीर से हमारे मन से ही प्रकट होती है
कि चंद्र प्रभाँ
बोली फिया से
फरे नितर ताहने सुने न जाते हैं
चंद्र प्रभाँ बोली फिया से
कि हम
निर्वनसी हैं इसी लिए
कि कोई संत दुआरे नहीं आते हैं
प्राणप्रिये प्राणप्रिये काहे कों तुम
घवडाती हो
कि बेटा बेटी घ़र नाईब हो
बोली महराज
आज तक दर्वासे तो कोई महत्मा तक नहीं आये
न कभी कोई गाय आती है
दिन खराब चल ले तुम एक काम करो
कहू पुजारी से मिलो
अपए दिन दिखाओ कि हमारी पूजा भगवान स्विकार करते
हैं के नहीं उनकी कृपा हम तक क्यों नहीं पोचती है
क्यों तेडी नजरी है ईश्वर की हरे कव तक दिन हमारे हैं
के तब हात पकड़ी पाके बोले
हरे येसे बच नहीं उचारे हैं
कि फिर भ्याथ पत बना बहबार वाला है
अरे धीरज धरले मेरी नारी
अरे नारी
अरे कब उतरी
जिन्जिर भारी
ये
धीरज धरले मेरी नारी अरे नारी कब उतरी सुनिएबनवारी
अगर यह ऐसी इच्छा है तो मैं आजी मंदर जाऊँगो
और पुजारी जी से मिलूंगा
मैं पास पुजारी के जाऊँँ
हाँ पास पुजारी के जाऊँँ
अरे अपने मन की कई आऊँ
कौन से पुजारी है?
उनका बहुत बड़ा हल्ला है जब मंदर में रहते हैं बनवारी
अच्छा
वे तो बहुत बड़े सरकार सरकारी अरे कब उतरी जिन्जिर भारी
घर से चले गए
बहुत उच्छा नाम है बनवारी लाल पुजारी का
अच्छा?
हाँ
मंदिर पे बाके आई गयो
अरे बावा से बतलाई रहो
पेरन में गिरो समारी समारी कब हूँ तो
दीदे बनवारी
आज अपनी पतनी को धीरज बना करके
पाके लाल किसाल
आज पुजारी श्री बनवारी के पास आते हैं और कहते हैं महराज
थोड़ा देखो न हमारी दिनदसा कैसी है
हमारी पतनी बहुत दुखी रहती है
परेसानी तो बहुत बड़ी है कैसी है
ना तो हम पापा बने ना तो मम्मी बने
अगर अच्छा
सुनो बताएं बताएं महराज इसलिए तो आया हूँ
अरे कहें पुजारी बात सुनो
तुम बाके लाल हमारी है
अरे किसमती फूटी तुमारी है
अरे कहें पुजारी बात सुनो
तुम बाके लाल हमारी है अरे किसमती फूटी तुमारी है
तो मैं निरवनसी संतान नहीं
तो मैं निरवनसी संतान नहीं
त्यार थोर ठीकानो कच्छू नहीं
अरे स्वर्ग नरक में जगे नहीं त्यारी रही गई
बाज घर बारी है अरे किसमती फूटी तुमारी है
लगा
आखे बंद कले तो
फिर उल्टी सीडी कहे देतो
तो सुनो बगवान से मीरी बात होती है
किसां बोलो जाहिले तो आया हूँ मैं तो भाई डारेक्ट संपरक है लिहाँ
बोलो पुजारी
मैं साम को प्रभु से पत्तिल लाऊं
मैं साम को हर से पत्तिल लाऊं
फिर भेद तुमारों समझाऊं
अरे कल सबेरे पुलमाऊं तरोईगी बात हमारी है यरे किसमत पूटी तुमारी है
साम को भगबान से जब बात करूँगा न तो कल फिर
तुमें बताऊंगा कि तुमारी पत्तिल बाँज के ओर
अच्छा
पेरनंपरेगे किसान
पुजारी बोलो
वो तीन बंदु ही तकारी है
सब सुनते बात हमारी है
खुआरी है यरे किसमत पूटी तुमारी है
यरे कहे पुजारी बात सुनो तुम बाँजे लाल हमारी है
किसमत पूटी तुमारी है
कल
बताऊंगा सामको भगवान की पूजा करूँगा तो
संपरक्सा दूँगा तो भगवान से बात होगी
अच्छा पुले हाँ
महराज भगवान को पूचना जरूर के हमारे बच्चा क्यों नहीं हुआ है
पुले हाँ उसी लिए तो भगवान को परेसान करूँगा
गोरी हम तुम जहां बतलाई रहे हैं
पुजारी भगवान से बतलाई रहे होईं
उन्होंने कहा है कि भगवान से संपरक्सा दूँगा तो फिर मैं
तुम्हें बताऊंगा कि तुमारी पतनी के बच्चा क्यों नहीं हुआ है
पक्की बात हैं पक्की बात हैं बहुत पहुँचे हुए पुजारी हैं वो
अच्छा
यहाँ
और सुरुता हो
सुबह हुआ
तो किशान अपनी पतनी चंदर प्रभा को ले करके पहुँचा है मांकेलाल
चंदर प्रभा की इस्तरी को देख करके
और साथियों नाम भी उसका बनवारी नहीं है उसने रख रखा है
ब्राहमर भी नहीं है दोगी ब्राहमर बनके बैठा है
देखी सुन्दर नारी मचली गोबोगी
अरे कैसे मिलें मोको
चे नारी
तबियत खुस होई जाई हमारी
लेंगल वही अड़ारी
मचली गोबोगी
मेरे भाईया आज सुन्दर इस्तरी को देख करके
उसके बिचार बधल गए
इसे ऐसा उपाय बताऊंगा ऐसा उपाय बताऊंगा कि ये मर जाए
और इसकी पतनी मुझे मिल जाए
भगवत सुताओ
कि पुजारी की माँ
पकड करके
और ठगिया यों समझाता है
पाके की भुजा पकड करके
वो ठगिया यों समझाता है
त्यारी गहरी ओलाद हो जाएगी ऐसा दावा पतलाता है
एसा उपाय बताऊंगा कि ये मर जाए किसान हो
मावश की राती अन्हेरीने
हल पीपल तले दवाई दैयो
सुन रहे हो
साम मेरी बगवान से बात हुई ये तुम्हें बच्चा कैसे होई हो वो सुनो
मावश की राती अन्हेरीने
हल पीपल तले दवाई दैयो
हल की भारी उपर को पूजा कर फूल चड़ाई दैयो
जो तुम्हारा हल है न बाई उल्टो दर्थी में दवाई हो उल्टो
तो लोग जो पेना है वो ऊपर बाहर निकला रहे है
पीपल के लीज़े
चीक चीक चीक उस पे रात को फूल चड़ाई न
पूजा कर हल की भारी की
फिर
पीपल ब्रेच्छप चड़ी जायो
अलेले की राम नाम बेटा
हल की भारी पे गिरी जायो
क्या?
मतलब उस फारी पे मैं गिर जाओं?
उपर चड़ जाना गिर जाना तेरे लगेगी नहीं
क्यों?
भगवान उसे फूल बना देंगे
ये तेरी परीचा है
भगवान तेरा भाव चेक करना चाहते हैं कि तु गिरेगा के नहीं
नियम थोड़ा सथी नहीं लगा।
पुजारी चाह रहा ये कम मरेगा?
अरे जब फारी पे गिरेगा तो पेट तो फटेगा, मरेगा?
मराया दिल गवाई नहीं दे रहा।
सुनो!
कठन परीचा है तेरी
सोने बाके लाल किसान,
संतान तेरे घर हो वेगी करपा करीं भगवान.
भगवान!
महराज!
अगर ऐसी बात है तो फिर हम जरूर कूदेंगे,
तो मर क्यों न गया?
वोले मरेगा ही नहीं
और पुजारी चाहता कि ये मरेगा?
हारे सुने पुजारी के बेन
बही बेचेन क्रिसक की नारी
नहीं चाहिए,
नहीं चाहिए बेटा,
बिना बेटा के थी चीक हो,
ऐसा कुछ नहीं करेंगे हम।
में दिल में धारू धीर,
में दिल में धारू धीर,
बहे चकलीर नेन से जारी,
नेन से जारी
गरहे महराज रे ओं बोली है घरवारी
तुम चलो घरे महराज रे ओं बोली है घरवारी
और
मैं दिलमें धीरज
धर लूँगी
तुम बेटा के राधा वह लूँगी
पत्पत्नी ने विचार किया कि हमें सब ये करना पड़ेगा
दोनों लोट करके घर आये हैं.
पत्नी बार-बार एक बात कईती है, महराज
ये उपाय तो मत कर ना,
ले की पागल है। पुछारी के सीदह सम्मन्द जयें भगवान से बात होती हैं
जब भगवानने मेरी परिच्चा लेना चाते हैं
तो मैं करूँगा
और जब भगवान मेरी परिच्चा थोकी को मरूँगा थोड़ा ही
मेरा दिल गमाई नहीं देरा है महाराज
मैं नहीं रह पाँगी तुमारे भी
खे बो पुजारी
चल करेगो।
और द्याम देना,
जो भगवान के वगत होते हैं, उनके साथ चल होता है न,
पहले से इधिहास जाती है, वो इस्तरी बो नहीं।
के बे
पुजारी चल करेगो।
और मिरो नाई नाम चलेगो।
वो बाबा चल करेगो।
वो मेरे दिल में धीर धरूंगी। बिल पे टाके ना जा रूंगी।
मैं नहीं रहूंगी महराज, तुम्हारे भेण।
सब सुक्ख दुख
में सह लूंगी।
त्यारे संग में चल वो करेगो।
एह महराज,
नहीं जाना। नहीं जाना तुम।
पागल, आज की मावस की रात है।
नहीं,
त्यारे संग में चल वो करेगो।
मिरो नाई नाम चलेगो।
कि मावस की रात आई गई,
बोले बाके लाल।
हम पूजा करने जाएंगे,
आप सजा दो फाल।
मैं जा रहा हूं।
आँखों में आँसु भरके पूजा का थाल देकर के बोली है महराज,
अब भी सवय है,
बान जाओ।
आरे सुन पिया के बेन नार नहीं,
एसी गिरा युचादी,
मत जईयो पूजा करवे, कोण ठगिया लगे पुजादी।
आरे ठगिया लगे पुजादी, ओ राजा ठगिया लगे पुजादी,
मत जईयो पूजा करवे, कोण ठगिया लगे पुजादी।
ये कोई परीच्छा नहीं है महराज,
ये कोई परीच्छा नहीं है,
किस साधिस है तुम्हें मारने की,
आरे तुम पीपल के पेड़ ते गिर ओ,
पेट में गुशि जाए भारी,
तुम मर जाओ, पेड़ ते गिर के,
भारी होई हमारी।
आरे तुम में कैसे धीर धरोंगी,
पेट पार मर जाओ,
में संतान रहूँगी पिया यपनो मन समझाओ।
मेरे भाईया,
आज पूजा का थाल सजा लिया, फूल रख लिये,
और हल को कन्धा पर रख कर के जा रहा है,
पत्नी कह रही है न जाये,
आपको मेरी कसम,
आप मत जाये। पागल हो गी है,
पुजारी के सीधे संप्रग है भगवान से,
भगवान ने
आदेश दिया है,
अगर मां के लाल इस प
अरे कन्धा पर हल रखो,
हाथ में पूजा की रे थाली
हाथ में पूजा की थाली
अरे बाके लाल चली तो रोई रही घर में घर बादी
मैं भी चलूंगी, मैं भी कूनूंगी
पिया ने गोरी समझाई,
पिया ने
जाई तू दिलमें धरियो धीर क्रपा मोपे करियें रगुराई
प्रेक नहीं मानी हैं बाके लाल किसान ने
और चले
पिया पीपल तररमें गए हैं रे राजाओ पीपल तररमें गए हैं
मेरे भईया
आज पत्नी रोकती रही लेकिन मां के लाल किसान पर भगवान
प्रसन हो रहे हैं
बला जूता कह दिया पिजारी ने मरने को तययार हो गया,
वारे भग
कि मां के लाल पीपल चड़े हर से ध्यान लगाई
घरे पुजारी पौंच गओ बोलो बचन सुनाई
उते मां के लाल किसान ने हर की फारी उपर
कर ली अग उपर उते कूदिंगे तो पेट फटेगो
और मरना तो है यह
मेरे भईया,
इदर किसान मरने के लिए चला है
और इदर पुजारी छल करने के लिए चला है
हारे कहे पुजारी
सुन प्यारी
चंदर्प्रवाबोली महराज तुमारी यह भासा है
हाँ
कि गल्वईयां मेरे दारे गले मैं हाँ
समझ गई मैंने बहुत समझाया था पती को नहीं माने
मैं तुमारी एक एक नजर से समझ गई थी कि तुमारी गलत नजर मुझे
हाँ गल्वईयां दारे गले मिलो मोय
प्रीतमले ओ बनाईये
चंद्रप्रभायब भरे पियकल है
गवड़ा करिगिरा सुनाईये
कि सिरी क्रेशन की पूजा तुम करते कि त्यारी अकली गई बोराईये
अकली गई बोराईये
और इधर
पुजारी बोला
तुम्हें मेरा बनके रहना पड़ेगा तेरा पती तो मर गया हो
उपर से कूद गया होगा
और नीचे पेट में हलकी फारी गुश गयी होगी
मर गया होगा हम तुम दोनों सुबह उसे दफनाएंगे आग लगाएंगे
और मेरे भईया
मेरे भईया
हरे बाके लालपी पर चड़ी गओ
के
रवहर से ध्यान लगाई ये
के
उपर से नीचे कूद पड़ो
के
उपर से नीचे कूद पड़ो
के नीचे थारे रभु राही है
भईया बाके मगल भोग थी
दर्सन करिओ रभु राही के
आज मेरे करम खुल गए
के बाके लाल धर्सन करे प्रभूरे मुश्काई
अरे बन्वारी घर में गुसो
प्रभूरे बतलाई
क्या?
महराज वो तो बहुत उचे संत है
तो पुजारी नहीं है वो ब्राहमड नहीं है वो एक धोंगी है
तुम घर जाओ तुमारी पत्नी की एक्जट पर बार कर रहा है
हारे हर ने बरदान दे दीनो और बेटा घरे खिलाओगे
जार के घर से बचाओगे और मेरे पुन्दर कहाओगे
जाओ उस राजचस को घर से भगादो
तुम बेटा बनोगे तुमारी पत्नी मईया बनेगे
अरे लाँग समारी एहने तो दीखी
अरे पते पाज खिले याज़वान
एह बाके लार जब घर में घुस गओ अरे पण्डा भादो पीठ दिका
यह रे पण्डा को अरे तन से प्राण रमे जाई
दोस्तो
आज भगवान के कहने पर भक्त दंडा लेकर घर चला है
पतनी ने देखा कि मेरे प्रीतम जिन्दे लोट याए बड़ी मगन हुई
और डंडा जब हात में देखो
तो वे बनवारी पुजारी भागो
महराज कि ठोकर पापी को लग गई है आरे
प्राण बाहू छूटी बाकी मरति हुई गई है
मेरे भाईया
वो पुजारी
इजद के साथ खेलना चाथा था
भगवान के प्रति कोई स्रद्धा नहीं थी
किसाउन को देख के भागा ठोकर लगी और मर गई
मेरे भाईया
आरे करनी के फल की
गाथा
मैंने गाय केंतो में सुनाई
आरे करनी के फल की गाथा मैंने गाय केंतो में सुनाई
आरे जो कच्च गलती है गई होई तो रहे हम सीशन वाई
महाराज हमारों
भारत पंडित नाम और बाम स्वावली के बस बईया छोटी सी पहचान
करम के
जटकावडे निराले हैं
खटका दैं मिताई करम के
जटकावडे
निराले हैं तो खटका दैं मिताई
करम के
चतुरी के नीचें जो आये जाते
आरे राम नाम दुनी गाते
करम के जटकावडे
निराले हैं खटका सब मिठ जाते
करम के

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