एकपल जो मेरे सीने से
ओडहनी फिसल गया
एकपल जो मेरे सीने से
एक पल जो मेरे सीने से उड़ने फिसर गई
जिसकी नजर पड़ी उसकी नियत बदल गई
एक पल जो मेरे सीने से उड़ने फिसर गई
चलू मैं चड़ती हुई जवानी
बढ़ता है तो जलकता है बल्ती में ज़्यादा पानी
अथ्थरा बरस के होंगे मैं
अथ्थरा बरस के होंगे मैं
साचे में धल गई
जिसकी नजर पड़ी उसकी नियत बदल गई
शरमा के मैंने देखा तो
शरमा के मैंने देखा तो तबयत मचल गई
जिसकी नजर पड़ी उसकी नियत
बदल गई
एक पल जो मेरे सीने से उड़ने फिसर गई
जिसकी नजर पड़ी उसकी नियत बदल गई
जिसकी नजर पड़ी
उसकी नियत बदल गई
एक पलों जो मेरे सीने से उदने फिसर गई