अमोकाम कर लेती तो नरसी महता क्या थी गोपाल जी जानई कि हम ओर इसके अलाभ कोई काम
है कि स्वश्व भागवतकार लिख रहे हैं स्वश्व भागवत परीक्षित भगवान परीक्षित की करपा करके नहीं आए
सम्मंदों को मिलने के लिए
कि उसका सकता है
कि वह भगबान कही नहीं समझेगा मैंने सम्मंद ड्वापर में निभाया मैंने 3i में जिर्बन
किया मैंने सत्योग में किया मैं तो आज भी इसी कलिकाल में जीत प्रकृति करता हूं
है बस एक ही बात है कि जिसका हरी से जुड़ा संबंध है उसको हर घड़ी आनंद नहीं
कि नसीन महत्वा से किसी ने पूछा क्यों क्या होगा उन्होंने ट्रोल पांच से एक बार नरसी महता जी
कि बाद पिताजी का श्रादा था तो बड़े लोगों से किसी ने कहा उसनो कल श्राद है और पिताजी का श्राद
पणित्यारी क्रियाएं करना है मुझे ठीक है वह करेंगे ब्राह्मणों का भोज भी करेंगे सबको आमंत्रण देते
हैं क्योंकि जूनागड़ में 300 नांगर बंची ब्राह्मण रहते हैं तीन सो नांगर बंच के ब्राह्मण तीन सो तो घर
से अब उनकी संख्या से नहीं है है तो नरसी महत्व के बड़े भाईयां ने का बोले सुनो सबको आमंत्रण दो एक काम करना
वह मेरा जो भाई चोटा पागल है वैसे करता था कुछ नहीं है तो यह की काम है बस राधे गोविंद्र राधे गोविंद्र बस
द्वांता रहता है कोई काम भी का बले सबको आमंत्रण दो से भी कह देना वह भी आ जाए कब स 먹고 सबो आमंत्रण
दिया नरसी महता से कबूली नरसी महता जी कगल पेता जी का सुराद थे कल समय से आ जाना एक क्वालाम अंतरन दूसरे
पता जी केवल भाईया के नहीं थे पता जी आपके भी थे तो आप भी सुरात बता रहे हैं अब बताओ यहां खाने को दाना नहीं है
है और भगवान अहम भक्ता पराधीना के सिद्धानत को नकार नहीं सकते हैं
कि भागवतकार कह रहे हैं प्रियादाज भक्त बल्लवा टिपड़ी मलिख रहे हैं महाराजी था तुम्ही कैसी प्रीति निभारत
गांव के लोगों ने तो केवल हसी के लिए बोले देखो अब नरसी मैता का जगत हसी करेगा बोलिए यह यह यह ब्रह्म
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