नात सुन्ता रहूँ नात पढ़ता रहूँ आख पुर्णम रहे दिलम चलता रहे
नजमे नामे मुहम्मद जोबाँ पर रहे जिक्र होता रहे सास चलता रहे
नाते सुन्ता रहो नाते पढ़ेता रहो आखे पुर्णम रहे दिल्म चलता रहे
बेसाहारों का कोई साहारा नहीं मुस्तुफा के सेवा तो गोजारा नहीं
उनकी चश्मे करम हो तो कुछ घम नहीं चाहे सारा जमाना बदलता रहे
नाते सुन्ता रहो नाते पढ़ेता रहो आखे पुर्णम रहे दिल्म चलता रहे
इश्टे एहे मदसी दुन्दे
दुनिया में नेमत नहीं मालो जर्की भी कोई हकीकत नहीं
बादशाहों से बेहेतर भेकारी है वो उनके दर्पे जो टुकडों पे पलता रहे
नाते सुन्ता रहो नाते पढ़ेता रहो
आखे पुर्णम रहे दिल्म चलता रहे
क्या भला आसके जिन्दगी के मजे
दूर रहे कर हबीबे खुदा से मुझे
उसकी हालत करूं तो करूं क्या बयान
हर घड़ी दिल जो फुरकत में जलता रहे
नाते सुन्ता रहो नाते पढ़ता रहो
आखे पुर्णम रहे दिल्म चलता रहे
ये दूआओ है सलामत सदा घम रहे
ताबद राब ताबद
साइसे कायम रहे
आतिशे इश्क हर तम भड़कती रहे
खुन रोता रहू दिल पे गलता रहे
नाते सुन्ता रहो नाते पढ़ता रहो
आखे पुर्णम रहे दिल्म चलता रहे
मुस्तुफा की नजर जिस घड़ी हो गई उसकी तकदीर खोटी खरी हो गई
उसको ठुकराए सारा जहां भी अगर गिरने वाला मगर फिर संभलता रहे
नाते सुनता रहो नाते पढ़ता रहो आंके पुर्णम रहे दिल मचलता रहे
नजम की एखुदा आरजू है येही आशिके जार की आब रूह है येही
आखरी वक्त सर्वानी
सर उनके कदमोंपे हो आखरी वक्त सर उनके कदमोंपे हो दिद होती रहे दम निकलता रहे
दिद होती रहे दम निकलता रहे
दिद होती रहे दम निकलता रहे
दीद होती रहे दम निकलता रही
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