बोलो सच्चे दिर्बार की
जे
बोलो बाबा मोहन राम की
जे
मोहन कभी मारे घर भी आयो
अरे दुनिया ताने मारे
मेरे आखे दरस दिखईयो
मोहन कभी मारे घर भी आयो
जब
आओगे
मारे घर पे
भोग लगाऊँ प्रेम में भरे के
अरे जब आओगे मारे घर पे
भोग लगाऊँ प्रेम में भरे के
माखन मिस्री का बाबाजी
मारे घर भी आयो
मारे मारे मारे घर भी आयो
यहाँ कहें शंदिखकारों के
लिए ना आवें तेरे
मेरी कुट्या में आखे मोहन
मारे घर भी आई ओ
महल का बिमारे घर भी आई ओ
दुख में मेरी
पाटे छाती तेरे बिना मेरा कोण हिमाती
हाथ जोड तेरे कौर खड़ा में
भगत की लाज बचयियो महल का बिमारे घर भी आई ओ
सुबे सिंग तेरा भजन बढ़ावे
गुरु चरण में ध्यान लगावे
सुबे सिंग तेरा भजन बढ़ावे
गुरु चरण में ध्यान लगावे
परवे सरमा को बबाजी
महल का बिमारे घर भी आई ओ
महल का बिमारे घर भी आई ओ
महल का बिमारे घर भी आई ओ