नमशिवारा
ओम् नमशिवारा
देवराज़ स्वाविमान पावन अधुपंकजं प्याल यगन सुत्र हिंदुशीखरं प्रिपगरं
नारदादे ओगि द्रिंद बंधि तंदि गंबरं काशिका पुराधिनाथ काल भैरवं वजेवं
वो कुट्मे जिनका चंद्रमाँ है वासुकी कल का शान
है अंतवापरंभी
वो ही तो है
मेरा शेवा
जो प्रेम का प्रतीत है जो वर्तमान तीत है
जो साथ हो तो भै है ज्या
कुछ ऐसा है मेरा शेवा
कुछ ैसा है मेरा शेवा
कुछ ऐसा है मेरा शेवा
नमशिवाया
भानु ओटि भस्वरं भवति तार कंपरं
नील कंठ लिप्षितार्थ दायकं त्रिलोचनं
काल काल अंबुजाक्ष मक्ष शूलमक्षरं
काशिकापुराधिनात्र पालुभाईरभंवजे
शूलटंक पाशदंत पानिमाधिथारनं
वो शक्ती का अधार है वोने वो ही प्रहार है
है बोले भी और रुत्रा भी कुछ ऐसा है मेरा शीवा
जो प्रेम का प्रतीत है जो बृत
मालदीत है जो साथ हो तुबह है है ज्या
कुछ ऐसा है मेरा शीवा
जो प्रेम का प्रतीत है जो साथ है मेरा शीवा
जो उपना बात है जो प्रेम का प्रतीत है जो साथ है मेरा शीवा
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