एक दुखिया रविवार के दिन खलीला प्रलाग पुर्गाओं में पहुंच जाती है।
संकड मोचनबाला जी धाम में प्रवेश करती है।
टक्कर मार मार के रो रही है बाबा।
जब से उस संकड मेरे जीवन में मेरे घर में आया।
दिन का चैन रात की नीन छीली है।
मैं बड़ी आश लेकर आपके भवन में आयी हूँ।
मेरी विंति सुनिये, मेरी पुकार सुनिये।
दुखिया बेटी बाबा के भवन में रो रही है।
दिल के भव प्रगट कर रही है।
कैसे?
मेरा संकट का हटो ने बाला जी रो रो के मरी ली।
रात तू खूद तीखाई एसी।
रात तू खूद तीखाई एसी।
रास तू भूत दिखाई एसी।
गेर मन सब डाला ले केकौं ने,
मेरा संकट का हटो ने बाला जी रो रो के मरी ली।
मेरा संकट का हटो ने बाला जी रो रो के मरी ली।
संकंगे का टोने वाला में रो रो के मर लिए
चाड़ी बिच की खुलती कोना
चाड़ी बिच की खुलती कोना
ते गुटिके बड़ी रासे रोना
ये रचने पाटोने वाला जी रो रो के मर लिए
संकंगे का टोने
वाला जी रो रो के मर लिए
तेरी जोड़े पे छूमन लागी
तेरी जोड़े पे छूमन लागी
तेरी जोड़े पे छूमन लागी
बाल खेडा के घूमन लागी
बाल खेडा के घूमन लागी
बाल खेडा के घूमन लागी
बाल खेडा के घूमन लागी
मेरे छरणा मेंडटोने वाला जी रो रो के मर लिए
चरण में डाटो ने, वाला भी रो रोग मैं मरली
सो भगत ने बंद लगाया, car vonnum bhakt nai bante lagaaya
शोडः गातु ओ पृरी माया, एशुट प्राटाटो ने, वाला भी रो रोग मैं मरली
शोडः गातु ओ पृरी माया, एशुट प्राटाटो ने, वाला भी रो रोग मैं मरली
प्राटाटो ने, ह्लुप प्राटाटो ने
येर संकट काटोने वाला जी रो रो कैमर दी