मैं उन्हें छेडूँ
और कुछ ना कहें
मैं
उन्हें छेडूँ
और कुछ ना कहें
चल निकलते जो मैं पिये होते
मैं उन्हें छेडूँ
खेहर हुया बलोग पर प्रश्वाद पर प्रश्वाद
खेहर हुया बलोग जो कुछ हुँ
काश के तुम
मिरे
लिये होते
काश के तुम
मिरे लिये होते
मैं उन्हें छेडूँ और कुछ ना कहें
चल निकलते जो
मैं पिये
होते
मैं उन्हें छेडूँ
मेरी किसमत में गंग इतना था
मेरी किसमत में गंग इतना था
दिल भी यारब कई दिये होते
दिल भी यारब
कई
दिये होते
मैं उन्हें छेडूँ
और कुछ ना कहें
चल निकलते जो मैं पिये
होते
मैं उन्हें छेडूँ
आही जाता वो राह पर गालब
कोई दिन आर भी
जीये होते
कोई दिन आर भी
जीये होते
मैं उन्हें छेडूँ
और कुछ ना कहें
चल निकलते जो
मैं पिये होते
मैं उन्हें छेडूँ