Nhạc sĩ: Vikash Chauhan
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मेहरी खाती महतारी के बोले लाज हर पेट के
गोधी में के लोल ने बनाया चरा मे लो पेट के
मेहरी खाती महतारी के बोले लाज हर पेट के
गोधी में के लोल ने बनाया चरा मे लो पेट के
तुझे खलास दुणिया मे आई लो उनके भगावो ताड़ो खोर से निकाल के
तो माई तोहर कोईन का तोहरा के सुगानी अनपाल के
नो माँ कोखिया मेरो खोलिप सम्हार के कौमी न कोईन कोबहू प्यार यादुलार के
मन में देहिया के तोहरा हो गोतोरे गोतोरे तबहू कोईलोन बाबू बाबू
तोहरा कोईन कोईन तोहरा रख पुल खारा कैलो रस्ता बाबाल के
तो माई तोहर कोईन कोईन का तोहरा के सुगानी अनपाल के
तो माई तोहर कोईन कोईन का तोहरा के सुगानी अनपाल के
चायो जाम घूमाला से पाई लाक ग्यान हो।
माई बाबु होले बेटे खाते भागन हो।
लिखले बातिया जे साच बाबी कैस चाउंहान। दिहा भाई लटकै कहे जाउन वोहाँ पे धेयान।
बुखे बेटे रहलने अपने तो जखियली आपन कावर निकालके।
तो माई तोहारे करिन्खा तोहारा के सुगानी अनपालके।