वरक वही था मगर दूसरी परत चाही
कि मैंने उसकी मुहबत से ममफात चाही
वरक वही था मगर दूसरी परत चाही
कि मैंने उसकी मुहबत से ममफात चाही
मजा जब था मुहबत भरी लड़ाई में
कि छेड़ कर उसे फौरी मुजाहिम्त चाही
कि मैंने उसकी मुहबत से ममफात चाही
कि छेड़ कर उसे फौरी मुझाहिम्त चाही
कि मैंने उसकी मुहबत से ममफात चाही
बस एक बार मुझे खोल कर
पढ़ा मुखे
फिर उसने मेरी मुहबत से माजरत चाही
कि मैंने उसकी मुहबत से ममफात चाही
बस एक बार मुझे खोल कर उसे फौरी मुझे खोल कर पढ़ा
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