जब तक तेरे
हम सफर रहे हैं
हम खुद से भी
बेखबर रहे हैं
क्या तेरे बगएल
जिन्दगी है
कहने को तो
दिन भुजर रहे हैं
अजब समा था तेरी
कुर्बतों के मौसम में
मैं कुम हूँ आज तलक
मैं कुम हूँ आज तलक
है रतों के मौसम में
अजब समा था तेरी
कुर्बतों के मौसम में
मैं कुम हूँ आज तलक
मैं कुम हूँ आज तलक
है रतों के मौसम में
अजब समा था तेरी
कुर्बतों के मौसम में
वो दो कदम का सफर आसले हयात बना
वो दो कदम का सफर आसले हयात बना
वो दो कदम का सफर हासले हयात बना
जो तै किया था तेरी चाहतों के मौसम में
मैं गुम हूँ आज तलक धैरतों के मौसम में
अजब समा था तेरी गुर्बतों के मौसम में
हमारे दिल की सदा पर जरूर लोटाना
हमारे दिल की सदा पर जरूर लोटाना
तुम्हें बुकारेंगे हम बहशतों के मौसम में
तुम्हें बुकारेंगे हम बहशतों के मौसम में
मैं गुम हूँ आज तलक धैरतों के मौसम में
मैं गुम हूँ आज तलक धैरतों के मौसम में
तलक है रतों के मौसम में अजब समा था तेरी गुर्बतों के मौसम में
जिन्हें खिजा का कोई डर ना हो मेरे हमदंग
जिन्हें खिजा का कोई डर ना हो मेरे हमदंग
जिन्हें खिजा का कोई डर ना हो मेरे हमदंग
खुदा रखे तुम्हें ऐसी रुतों के मौसम में
मैं गुमू हूँ आज तलक है रतों के मौसम में
अजब समा था तेरी गुर्बतों के मौसम में
अजब समा था तेरी गुर्बतों के मौसम में
बिखर न जाए कहीं तूट कर तेरा सागर
समेट लो इसे इन बहशतों के मौसम में
समेट लो इसे इन बहशतों के मौसम में
मैं गुमू हूँ आज तलक हो मेरे हमदंग
मैं गुमू हूँ आज तलक हो मेरे हमदंग
मौसम में अजब समा था तेरी गुर्बतों के मौसम में
अजब समा था अजब समा था