जै महादारी जै देमा
ओहात जोड
मैं शेष नवाऊं
महागोरी के महिमागाऊं
आत्यमन रताप के नाँ
महागोरी मा तुम्हे पढाऊं
आधिशक्ति का अंश कहाती
शिव के दर्शन की अभिलाशी
सकविराजेशन के साथ पति तुहारे भोलेनाथ
ओओ
शक्ति अमोग सत्फल के दाईनी
महागोरी मा सिंगवाहिनी
बगत तुमारा
नाम पुकारे
जलती है जोत तुम्हारी मा तुम भगगों की प्यारी मा
ओमर हुई जब आठ साल की
याद आगई
पूर्वकाल की
जिले जनम ओगईया
मन में बस गए भोलेनाथ
ओ
इसी उमर में तुमने माता
शिव से जोड़ा मन का नाता
शिव जी को पतिवान लिया कप करने की मन ठान लिया
ओ तुमने तप का पत अपनाया
शिव को पती रूप में पाया
वाश्टमिका दिन पढा महार
पूजन कामा बना विधार
दुर्ग सप्त शती पाथ करे जो पुन्य तिजोरी रोज भरे वो
जो
विध्री से
करेता पूजन
धन्य हुआ उसे का जीवन
ओ महा गौरी मा तुम हो दयालू भोली भाली अरु किरपालू
जब
शिव तप कीना
केवल कंद मूल फलीना
यही तुम्हारा थार तुम्हेन मनमा पारंबार
जल के बदले वायू पीकर तप करती मा
ऐसे जीकर
कणिन तपस्या तुमने की महा बेव शिव शंदर की
ओ महान गौरव तुमने पाया महा गौरी मा
नाम कहाया
पगट हुए शंकर भगवाद दिया तुम्हे
चित बरदाण
गंगा में इस नान कराया
बर्ण बर्ण तन तुमने पाया तुमने तन चन्रूप
अतिमन भावन देव्यसरूप
ओ
उजवल चंद्र
छवी तुम पाई
महा गौरी
कोशिक कहलाई
मुन्ही ना करे
तुम्हारा थ्यान तुम सबका करती कल्यान
ओ
दास है मा
सुख देव तुम्हारा मा करतो कल्यान हमारा
चप जननी महा गौरी मा काहे की है देरी मा