हम अस्तम्रूप महागोरी की कता सुनाते हैं
पावन कता सुनाते हैं
आठ विनो राते का हम विर्तान्त बताते हैं
आठ साल आयू बाली मा को दर्शाते हैं मिया को दर्शाते हैं
महागोरी मा धुर्काजी की गाता गाते हैं
हम कता सुनाते हैं
जैजै महँ गोरी मा जैजै जजिनंबा मा जैकश्क आरणी मा जैजै महँ गोरी मा
महँ गोरी की कथा सुनाओ सुनो लगाकर ध्यान
कथा को सुनने से भगतों का होगा फिर कल्यान
नौ राते का अथ बदले महँ गोरी मा का
आदि शक्ति मा आदि भवानी मा शक्ति मा का
श्वेत है वस्त श्वेत आभूशट चार भुजाधारी
श्वेतां बरा भी कहलाती है प्रिशब की असवारी
एक हात में डमरो दूजे हात में धरे तृशूल
और दो हातों से बरसाए वर्दानों के फूल
एसी दयामाई माता को हम शीष नवाते हैं चरनो शीष नवाते हैं
महँ गोरी मा दुर्गाजी की गाता गाते हैं हम कता सुनाते हैं
जय जय महँ गोरी मा जय जय जज़दं बामा जय कश्ट हारदी मा जय जय महँ गोरी मा
शान्त सवाब महा गोरी का दयामाई माता
सदा निभाती है मा अपने बच्चों से नाता
पती रूप में शिव को पाया महँ गोरी मा ने
इसके लिए की कथिन तपस्या महँ गोरी मा ने
कई हजारते वर्ष बीट गए तप करते करते
काला पड़ा माता कातन ये जप करते करते
गर्म धूप सर्दी बरसाते सब कुछ सेहती थी
चिव के नाम की गंगा उनके मन में बहती थी
उनको तप करने से क्या मिला ये बतलाते हैं
भगतों कथा सुनाते हैं
महँ गोरी मा दुर्गाजी की गाता गाते हैं अम कथा सुनाते हैं
जय जय महँ गोरी मा जय जय जज़दं बावा जय कश्ट हारणी मा जय जय महँ गोरी मा
महँ गोरी की देख तपस्या चिवशंकर भगबान
प्रगट हो गए उनके आगे देने को वरदान
कोले क्या इचा है तुमारी अम से बतलाओ
अम है परसन तपसे तुमारे मांगो वरपाओ
हाथ जोड महँ गोरी बोली तुमें मांगती हूँ
पती रूप में हे तृपुरारी तुमें चाहती हूँ
पत्नी रूप में शिवशंकर उनको अपनाते हैं
फिर उनको पावन गंगा जल से नहलाते हैं
स्याह वरन से कंचन हो गई वो दिखलाते हैं
मैया वो दिखलाते हैं
महगोरी मादुरगाजी की गाता गाते हैं
जै जै महगोरी मा जै जै जगतंबावाँ जै कश्टःरी मा जै जै महगोरी मा
शक्तिस्वरूपा दिवः अनूपः महगोरी माता
सदा निभाती बघत जणों से माँ अपना नाता
सरल सवभाव सरल है पूज़ा सरल है मा का नाम
सच्चे मन से मा को पकारो तुनत बनेंगे काम
शंक चंद्र और पुंड फूल से उपमा है मा की
विशब के ऊपर करे सवारी सुन्दर है जाकी
मन भावन अधि सुन्दर मा का रूप दिखाते हैं भगतों रूप दिखाते हैं
महा गोरी मा दुर्गा की हम गाता गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
जोयब done
जो जीवन
हमाले
चरन कमल है पूष्पक जैसे मुक्डा चंद्र चकोर
नेत्र मुदे तो होए अंधेरा, नेत्र खुले तो भोर
नाम मात्र का ख्रोध भी माँ को कभी नहीं आता
माँ का हिरदय दया कसा कर अर कोई तर जाता
अरधांगी बन शिवशंकर की जग को तार रही
मुह माया और काम ख्रोध को पल में मार रही
श्वेत मर्ण श्वेतांबर मा का महगोरी है नाम
डूबते को भव पार लगाए यही है मा का काम
एसी सुन्दर मैया की जैकार लगाते हैं जै जैकार लगाते हैं
महगोरी मैया दुर्गा की गाता गाते हैं हम कता सुनाते हैं
जै जै महगोरी मा जै जै जैज़दंबा मा जै कश्ट हारणी मा जै जै महगोरी मा
आठव दिन है नवराते का महगोरी के नाम दुर्गा की गाता गाता हैं
जोध जगा के कूजन करती दुनिया सुबहो शाम
इसी रोज मैया का अश्टमी कूजन होता है
भजन आरती कीर्टन घरघर वंदन होता है
पूज़ा करे जो महगोरी की कुल जाए तकदिर
जनम जनम के कस्टों की कटती पगतों है जनजी
जै बोलो जै आदि शक्ति मा जै जै महगोरी करो आरती कूजन बोलो जै जै महगोरी
हाद रखो सुख देव के सर पे शीश जुकाते हैं चरनो शीश जुकाते हैं
महगोरी मा दुर्गा की हम गाता गाते हैं हम कथा सुनाते हैं
जै जै महगोरी मा जै जै जगदंबा मा जै कश्ट हारणी मा जै जै महगोरी मा