बड़े मकान के बारा मुर्दे, छोटे मकान के अठारा मुर्दे, हुस्काटे की माइदान में हर्ताल किया, बड़े मकान के छे मुर्दे ने बताया जाता है कि अपने सुवला खबरों को एर कंडीशन बना दियें,
बड़े मकान के छे मुर्दों के जंगी हातियार और छोटे मकान के दो मुर्दे उठाले कर फरार हो गए हैं,
जब बड़े मालदार लोगों ने हुकूमत से बताया जाता है कि बेंगलूर शेहर में सब कुछ मौजूद है तो समंदर की कमी है, इसलिए बेंगलूर उठा कर कोई समंदर के किनारे पे रक दिया जाए,
बेंगलूर उठाकर कोई समंदर के किनारे पे रख देने ताकत ना हो सके तो कोई समंदर ला के बेंगलूर से मिला दिया जाए
समंदर ला के बेंगलूर से मिला दिया जाने के लिए हुकूमत ने इतना सूझी है कि बेंगलूर के बारा हिजडे मेडराज के सौला सो हमारे उनको कंट्राट दी गई है
समंदर ला के बेंगलूर से मिला दिया जाने के लिए हुकूमत ने इतना सूझी है कि बेंगलूर के बारा हिजडे में हमारे उनको कंट्राट दी गई है
समंदर ला के बेंगलूर से मिला दी गई है कि बेंगलूर से मिला दी गई है
समंदर ला के बेंगलूर से मिला दी गई है कि बेंगलूर से मिला दी गई है
समंदर ला के बेंगलूर से मिला दी गई है कि बेंगलूर से मिला दी गई है
समंदर ला के बेंगलूर से मिला दी गई है कि बेंगलूर से मिला दी गई है
समंदर ला के बेंगलूर से मिला दी गई है कि बेंगलूर से मिला दी गई है
समंदर ला के बेंगलूर से मिला दी गई है कि बेंगलूर से मिला दी गई है
समंदर ला के बेंगलूर से मिला दी गई है कि बेंगलूर से मिला दी गई है
अरे बाबा आये गए खाये पिये उसका दे क्या मरा दिखाये रे कौन की हिंजनार के हिंजनार जाको देखी ते किला में बैठे पते फिराले का आटा मेटे जुवाडी मेरा बट्टा है किता बुरता मेरी बच्ची को पालिंगा बन उठा रे
सांस की शुद्ध से आसूजे निकलते हैं ये बरफ के टुकडे हैं गर्मी से पिगलते हैं भीगे हुए पल्खों में क्यों अश्कों मचलते हैं ये कैसे मुसाफिर हैं या रुकते ना चलते हैं
हसीनों
हसीनों तुम ना घूमो रास्तों पर यूँ ना बेपरदा हजारों दिलजले फिरते ही कोई छेड देगा
अरे घंगोर घटाओं में यूँ हट के ना तुम निकलो क्योंके बरसात में तारे भी चोरी से निकलते ही
ये दिल का चमन अपना
ये दिल का चमन अपना यूँ दिल में मचलते ही कलियां पांच खिले तो खिले जुम्मा हर जुम्मा मिलते हैं
मैं ये के रंग से सौरंग बदल जाओंगा
मैं ये के राग से सौराक बदल जाओंगा
मैं ये के रंग से सौरंग बदल जाओंगा
मैं एक राग सवराग बदल जाऊंगा
पहले होती थी बुजरगों के राज इसे शादी
अब जे हो जाती है खुद छोकरा छोकरी की राजी
अपने वतन पर घर में सबजी पकाई भाजी
अपने वतन पर घर में सबजी पकाई भाजी
दोनों मिलकर खाये तो क्या बिगाड़े वो खाजी
घर में कन्क्यां को नई सो ये घम है
आज आले नभी का सलम है
आज आले नभी का सलम है
और देखे तो चिंचा मिन्यम है
मेरे खान्दे पर नवद्मन का तुंड है
मेरे खान्दे पर नवद्मन का तुंड है
मेरी कमर में बाड़ा दरद है
घर में देखे तो एक डजन बच्चे
घर को गए तो बड़ी बीवी मारते
अरे मैं पैदा हुआ मुझेकर की जात में
लाता खाया तु आउरत के हात में
चमन में फूल खिलता है
अगर चमन में फूल खिलता है गले का हार बनने को, खुदा ने ये जवानी दी किसी से प्यार करने को,
बदरुन का बदन दे के मैं कब तक तपस करूँ, आँखों को बन किया तो मेरे दिल को क्या करूँ,
चिन्ता मनी के चउक में चुन्खार फागते, हमियार का मज्मा आया तो मंखार फागते,
जाता था नदी नाले मुझे मिली रे चैन, पहर चैन दे के मूपो मारे तो पांच रुपाये फैन,
जाता था नदी नाले मुझे मिली अंगोठी,
अंगोठी देखो सिर्पो मारे तो जड़ गिये लंगोठी
क्या चमक रहा है तेरे गल्ले का माला
अरे अल्ला तुझे खायम रखो तूष मेरा साला
जंगल में मुर्गा बांग दिया खोल खुलाडा
असल में तेरा बावा जिया चक्की टकारा
चिच्चा तुमारे अस्मान को पर जूला डाल कर जूलते हैं
चिच्चा तुमारे अस्मान को पर जूला डाल कर जूलते हैं
नाना तुमारे राख में रागी रोलते हैं
उट्टूट्र धन्चुडे बाता में खडबडे
उठ उठ रे धन चुड बातार में खडबड़े तेरे बातां के लिए मेरे होटा में खाख़ड़े
कागस कतर के फूल बनाना गुलाब का सारे किताब बेचे तो पीना शराफ का
रहीम और करीम नाम के दो चोर
एक मौली साहब के घर चोरी करने गए
घर में मौली साहब की बेकम अकेली थी
चन्द लम्हों के बाद
मौली साहब के आने के आवाज सुन कर
रहीम करीम दोनों चोर चूब गए
रहीम उपर माचान पर चूब गया
और करीम बेट के नीचे
मामूल के मताबिक
बेगम मौली साहब पर बरस पड़ी
आज भी आप टीवी खरीद कर नहीं लाये
देखे जी कल ही की तो बात है
रज्या के घर वी सी आर
और रुख्या के घर टीवी आया है
मौली साहब सबर
सबर कर बेगम
देने वाला रहीम है
सब अवर्ते नई नई साड़िया पहन रही है
मगर मेरी हालत देखिए
मौली साहब बोला है
सबर कर बेगम
देने वाला रहीम है
तो उपर बैटा रहीम
सारी बातों को सुनकर उससे से
कूत पड़ा और कहने लगा
मॉली साहब टीवी रहीम देगा साडी रहीम देगा सारी चीज़ें ये बेचारा रहीम ही देगा तो बेट के नीचे छुपावा करीम क्या देगा
एक रोज एक डाक्टर और एक कंपोंडर दोनों मिलके घर पर जा रहे थे तो रास्ते में खबरस्तान नजर आ गई
तो कंपोंडर साब देगते ही रहे गई कि डाक्टर साब अचानक मुँपे कबडा डाल लिये
कंपोंडर साब पूछने लगे
डाक्टर साब आपसे एक बात पूछूँ
हाँ पूछो क्या बात है
आप ये खबरस्तान आते ही मुझे कबडा क्यूं डाल रहे है
छोड़ो भाई, ये सुप बातें क्यों पूछता है तू
बोलिये प्लीज, क्योंकि मैं आपका कंपन्टर हूँ, आपका नवकर हूँ, मेरे को बताईए प्लीज
किसी को मत केना या, ये राज की बात है
हाँ, किसी को नहीं बोलोंगा, बोलिये प्लीज
इस खबरस्तान में, मेरे ही इलाज के वज़े से, बहुत सारे पेशेंट सो रहे हैं
इसलिए मैं इस खबरस्तान को देखते हैं, मेरे को शरम आ जाती है, मैं मूपे कप्रा डाल लेता हूँ
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