Nhạc sĩ: Kalyanji Anandji, Pradeep
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तुमने अब तक क्या सीखा बेटे
जिससे जीवन सुदरे आत्मा को सुख में है पिता जी
अच्छा बताओ बेटे संसार में अजे कौन है
जो पांच शत्रू को अपने वश में कर ले
पांच शत्रू कौन
काम, क्रोध, मद, मोह, लोब
ये हमारे वश में है
ये जीव के वश में नहीं होती
इनके वश में जीव है
इन शत्रूं पर केवर परम सत्य शिरीहरी का वश होता है
पहलाद, अभी हमारे शत्रू का नाम ले रहा है
शिरीहरी का नाम शत्रूं से रख्षा करने वाला कवच है पिता जी
आप भी बोलकर देखिए जाये श्री हरी
इत्रि द्राही
अपने पिता के मना करने पर भी श्री हरी का नाम ले करू
अपराधी क्योँ बनता है
सभी जीव अपराधी है मा
डंड भोगनी के लिए श्री हरी ने संसार रूपी कारा गार में भेजा है
डंड पूरा होते ही जीव की छुट्टी हो जाएगी
तुझे मृत्ति का भी डर नहीं मेरे लाग
डर कैसा मा?
कैसी पत्ता हूँ मेरे लाग?
चिंता क्यों करती हो मा?
जीवन मरन के दाता श्री हरी है
श्री हरी की इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हीता
क्या ये नहीं मानती?
श्री हरी में विश्वास नहीं करती?
श्रत्था रखो जगत के लोगों
अपने दिनानाथ में
लाग हानी जीवन और मृत्यों
सब कुछ उसके हाथ में
मारनी वाला है भगवान
बचानी वाला है भगवान
मारनी वाला है भगवान
बचानी वाला है भगवान
बालन बाका होता उसका
जिसका रक्षक तया निभान
पारने वाला है भगवान
बचाने वाला है भगवान
जिसका रक्षक तया निभान
पारने वाला है भगवान
बचाने वाला है भगवान
मारने वाला है भगवान
वाला है भगवान बचाने वाला है भगवान
जल थल अगल आकाश पवन पर केवल उसकी तत्ता
केवल उसकी तत्ता
जल थल अगल आकाश पवन पर केवल उसकी तत्ता
प्रभु इच्छा के विना यहाँ पर हिल न सके एक पत्ता
उसी का सोचा यहाँ पे होता
उसी का सोचा यहाँ पे होता उसकी शक्ती महान
मारने वाला है भरवान
बचानी वाला है भगवान मारी वाला है भगवान
बचानी वाला है
बचानी वाला है
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