Nhạc sĩ: Kalyanji Anandji, Pradeep
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प्रणलाद नर्क क्या है?
संसार
गुरुजी जहां स्वार्थ के लिए पाप, हिंसा, अधिकार के लिए बैर और अत्याचार होता है, वो संसार नर्क है
बराबर बराबर
अच्छा प्रणलाद, बताओ स्वर्ग क्या है?
संसार
संसार? नर्क भी संसार, स्वर्ग भी संसार
हाँ गुरुजी, जीवन, मरन, हानी, लाब और सुख दूप के करता धाता स्री हरी ही है
ये समझ कर, जहां सबी जीव स्री हरी का ध्यान करें, वो संसार स्वर्ग है
ये स्री हरी क्या है?
श्री हरी क्या नहीं है
श्री हरी पाप धोने वाली गंगा
विश्वैर मिटाने वाले अमृत
दुर्जन को सर्जन बनाने वाले तंत
मोक्ष मिलने के मंत्र
भव सागर से पार उतारने वाली नोका
और स्वर्ग जाने की सीड़ी है
ये मैं नहीं मानता
उसे माने के इसे जो कभी दिखाई नहीं दिता
जो आखें, विशे, वासना
और संसारिक माया में डूबी होई हो
उन्हें श्री हरी नहीं दिखाई देते
जीव को जब संसार नहीं दिखता
तब श्री हरी दिखते हैं
श्री हरी के चार हाते हैं न
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
हरी के तो हजार हाथ है सत्या
वो दिन में आना है वो आना दिन में आना
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