दिल क्या मेरा गा रहा है सुनो
इसकी तरानों में तुम ही तो हो
मुझे तो
गट जाएगी उम्री है तुमसे कभी कहा भी नहीं तो लो कह दिया
शाम शब्भण मी
मक्खमली सिराद दिया
है तुमसे कभी कहा भी नहीं तो लो कह दिया
साँज में सवेर में भिलेता तेरा नाम
दिल सीखता हुई जो है ऐसे सलाम
बाते अधूरी में ही
इन्हे आदते हैं तेरी
तु कुछ भी कह दे तो हो जाएगे ये मुक्खमल यही
हवाए गा रही
पंछी गुनगुना रहे है तुमसे कभी कहा भी नहीं तो लो कह दिया
ये है जो तुम हो आ गए
गट जाएगे उम्र
ये है तुमसे कभी कहा भी नहीं तो लो कह दिया
ये है
शाम शभुनमी मक्खमल
इस रात रही है तुमसे कभी कहा भी नहीं तो लो कह दिया