तम तम तम तम ते तारे तो तै तारे तम ते तारे
एक गॉँ था शहर के अनदर
लहते थे बहम धेरों बन्दर
तम तम तम तम ते तारे तो तै तारे तं दे तारे
एक गॉँ था शहर के अन्दर
लहते थे बहम धेरों बन्दर
बंदर की थी एक सहेली
नाम था उसा कुटकुट गिलहरी
कुटकुट गिलहरी
कुटकुट बडा सथाती थी
खाना झबंको खाती थी
कुटकुट बड़ा सथाती थी
खाना झबंको खाती थी
दिखा दिखा लचाती थी
कभी नक रात शिकती थी
इक दिन वहा आया शिकारी
कुटकुट को एपड़ गाया भारी
यह बर्बंदर ने कुब बचाया
तब कुट कुटती समझ में आया
कुटकुट ने फिर गल्ति मानी
गले मिली और पढरी टाली
तो हमें इस से क्या सीख मिलती है
हमें इस से यह सीख मिलती है
कि हमें अपना खाना अपने दोस्तों के साथ
मिल बात कर खाना चाहिए