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कि अअधिकत्मत को पहचानू तुम महान हो हरमान चारीशा में एक चौपाई है आपन तेज शमारो आप तीनों लोग हांकते कांपएआपन तेज शमारो आप तीनों लोग हांकते कांपए अपने तेज को शमालू अपनी शक्ति को शमालू स्वयं को पहचानू तुम क्या होकि कितने लोग अपने आपको भी भूल गई कि मैं कौन हूंऔर स्वयं को भूल जाओहै तो जीवन में दुख नहीं मिठेगा बहुत दुखी रहो गया कि 20 जुलाहें कि किसी मेला में घूमने गएमेला से घूमकर लोटे तो रास्ते में एक नाला आता था नाला में एक जुलाहां डूब गया कि 19 जुलाहें बचे तोआपको नाला की किनारे ब Fact रो रहे थे कभी झाल वहां पर निकले वह चुलाहां को रोता हुआ देखकर के कभीसामस्थी �illon हो जाए जो दुखी को देखकर दुखी हो जाए सुखी को देखकर सुखी हो जाए वह शांतरी भगवान होता हैहै पर दुखेन यह दुखी सुखो यस्व परस्त्रियाः संसारे यश्मिन साहद एक घया साथो चाथ जो हर्रीशोइषज़ पदंपुराण का इस लोक है पदंपुराण की रिशी ने कहा है जो दूसरे के दुखों मेंद्रिवित हो जाता है, पिगल जाता है, और दूसरों की सुखों में प्रसन्न होता है, उसे साथ छात हरी समझना चाहिए, इस दर्ती पर वो भगवान का रूप होता है।ज्यादातर लोगों का मन ऐसा होता हैदूसरों को दुखी देख करके लोग प्रसंद होते हैंऔर दूसरों को सुखी देख करके लोग दुखी होते हैंमनोशे की मन में बड़ी ईर्शा काम करती हैलेकिन जिसका मन दूसरों को सुखी देख करके खुश होता हैहै और दूसरों को दुखी देखकर के दृवित हो जाता है वह हरी भगवान का रूप होता है कि पर आया दर्द अपनाएं उसे भगवानकहते हैं किसी के काम जो आएं उसे इंशान कहते हैं किसी के काम जो आएं उसे इंशान कहते हैंपर आया दर्द अपनाएं उसे भगवानभगवान कहते हैं उसे भगवान कहते हैं उसे भगवान कहते हैं कबीर शाहब अभी चुपके से छुट्टी दूँगाबस पांच मिनट कबीर शाहब उन जुलाहों को दुखी देख करके उनके साथ में बैठ करके पूछने लगे क्यों दुखी होजुलाहों ने कहा हमारा एक साथी जुलाहां डूब गया नाला पेकबीर साहब ने कितने जुलाहे होबले बीश जुलाहे थे उननीस ही रह गए एक डूब गयाकबीर साहब ने कहा गिनो गिना उननीस निकलेफिर जुलाहे रोने लगे कि एक मेरा साथी डूब गयाकविर शाहब ने कहा मैं गिन देता हूँकविर शाहब ने गिना एक, दो, तीन, चार, पांच, शे, साथ, आठ, नौ, दस, ग्यारा, बारा, तेरा, चोदा, पंदरा, सोला, सत्रा, अठारा, उन्निस, बीसकविर शाहब ने कहा बीस पूरे हो तू, कम नहीं होजुलाहे रोने लगे कि हम कम है, एक डूब गया, हमको भरमित मत करोकविर शाहब ने कहा फिर से गिनो, तो उन्होंने फिर से गिना, एक, दो, पंदरा, सोला, सत्रा, आठारा, उन्निसअरे हम उन्निस हैं, प्रभू, बाबा क्यों परिशान करते हैं, एक डूब गया मेरा साथको नहीं जुलाव नेकहा आपने को नहीं कंता हूं बाकी सब को दिया था मेरी दूबा नहीं है आपने को ना छोड़ देगा हैरोकार है एक वह यह जब ने तुम अपने को कर दो तो पूरा हो जाएगा यार कहें यह मनुष्य दुनिया इस तरह मेंगिंती लगाता. मेरे पास कितने एकड़जमीन है. दुकानों की गिंती लगाता है.शाडी की गिंती लगाता है. लाडी की गिंतीलगाता है. बाड़ी की गिंतीलगाता है. सब सामान की गिंतीलगाता है. गाड़ी की गिंती लगाता है.लेकिन इन्शान अपने आप की गिंती नहीं लगाताकि मैं भी तु हूँ इस संसार मेंइसलिए इन्शान दुखी रहता हैअपने को भी काउंड लेता है
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