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Bài hát kaise hua vanvaas ram ko do ca sĩ Rakesh Kala thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat kaise hua vanvaas ram ko - Rakesh Kala ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Kaise Hua Vanvaas Ram Ko chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
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Lời bài hát: Kaise Hua Vanvaas Ram Ko

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

राम चरित मानस का पावन आयोध्या कांड सुनाते हैं
कैसे हुआ बनवास राम को आज ये तुम्हें बताते है?
मात पिता की सेवा में तो रगुबर रहते थे हर साल
कैके मा के प्यार पूत्र थे बरतलाल गए ननी हाल
राम चंद्र से दशरत बोले मन में आते हैं ये खयाल
उमको मैं युवराज बनादू वन में तपस्या करूँ फिलहाल
राजा दशरत गुरुवशिष्ट से इसकी सलाह मिलाते हैं
आहने तो दिहन है
जाया abduct ओर नड़ेको
पल ही सआगाया चेरेडि?
चारेद है ये बहतेम है behavi कुषे, ज़िखनेको
प्यासराम को आज ये तुम्हें बताते हैं
पिता शरी जो आग्या आपकी मुझे को भी है वो सुइकार
सोचे
कैकavil को ये खपर लगी है कि दस्रत जान न पाते है।
कैसे हुआ वन वास राम को तुम को आज बताते हैं।
आज ये तुम्हें बताते हैं
राम चरित मानस का पावन आयोध्या कांड सुनाते हैं
कैसे हुआ बनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
कैकै की एक दासी मंतर दुष्टा थी अब गुण की खान
उसे राम से वैर बड़ा था दश्रत को ना था अनुमान
दश्रत को ना था अनुमान
कैकै के कुबडी
मंतर धीरे धीरे भर रही काउन
बनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
दशरत राजा आए द्वान
कैकै बोली दो वर दे दो अगर आपको मुझे से प्यार
जो चाहती हो
मांगो राणि दशरत यूं समझाते है
कैसे हुआ वनवास राम को तुम तो आज बताते है inhabited
आज ये तुमे� बताते है
राम चर्त माननस का पावन आयओंधियाों कांड सुनाते है
कैसे हुआ वनवास राम को तुम को आज बताते है
किसी आपको पीछे बुतर राजा को डोते हैं
किसी आपको पीछे बुतर राजा को डोते हैं
कर जाओं के सत्या नाश
मुर्छित होकर गिरे थे डश्रत
मुश्किल आया
उनको सांस
राम बिना तो जी नहीं सकता
होगा तुमको भी विश्वास
कैसावर ये मांगा राणी
डश्रत यूँ चक्राते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को तुमको
आज बताते हैं
राम चरित मानस का पावन आयोध्या कांड सुनाते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को तुमको आज बताते हैं
सत के बंधन बंधे ते डश्रत अपने पास बुलाए राम
कैकैने ठग लिया है मुझको हो गया बेटा उल्टा काम
उल्टा काम ओ गया बेटा उल्टा काम तुमको वन में जाना होगा राज
समहले भरत तमाम जैसे आज्या पिताजी तुमरी राम चंड्र ने किया प्रणाम
राम चंड्र ने किया प्रणाम
मत घबराओ पिताजी मन में राम चंड्र समझाते है
क्यान हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते है
राम चरत मानस का पावन आयोध्याखांड सुनाते है
तुम्हें बताते हैं
अई ओध्यानगरी चर्च चिड़ गई
जैसे फैले वन की आई
कैकै को सब गाली कहते
कैसी आउरत है निरभाग
महलों बीच उदासी छाई फीके पड़ गए रंग और राउ
राम चंद्र को छोड सभी को जैसे डस गया काला नाँ
वन का राज पाकर रगुवर्थ मन ही मन हरशाते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
माता समित्रा और काशल्य तो जैसे बाते हैं
माता समित्रा और काशल्य खाए बेटी
हिरदे बाण
राम जी बोले आज्या देदो मा करो ना मन में मलाँ
मा करो ना मन में मलाँ
सीता बोली मैं भी चलूंगी लखनलाल भी दे ये ब्यान
तीनों चलेंगे वन को भईया जैसा चाहे हरी भगवान
जैसा चाहे हरी भगवान
सत्य धरम के रखवाले हम बिलकुल ना घबराते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
राम चरित मानस का पावन पयोग्या कांड सुनाते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
जो सोचा था कहके इन हो गई उसकी पूरन बाद
बागी सब के नैनों से तो असुवन की हो रही बरसाद
भरतलाल अब राजा बनेगा कैसी समय की है करमार
राम चंद्र अब वन को जाएं सीता लख्षमन होगे साथ
सीता लख्षमन होगे साथ
रिधराने जो खेल लिके हम उसे समझ ना पाते हैं
कैसे हुआ वन वास राम को हाँज ये तुम्हें बताते हैं
पावन आयोध्या कांड सुनाते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
राजा जैसे वस्त्र जो पहने
उनको वही उतारा था
वन जाना तो देर है कैसे
मन में यही बिचारा था
मन में यही बिचारा था
मात, पिता, सब शोंका कुल हैं
गम ही एक सहारा था
चोदबरस अब दूर रहेगा
जो आखों का तारा था
राजा दशरत वेबस होकर नैनों नीर बहाते हैं
कैसे हुआ वन वास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
राम चरित मानस का पावन आयोध्या कांड सुनाते हैं
कैसे हुआ वन वास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
शाम को सूरज ढल जाते जो नीत्य सुभे ही निकलते हैं
समय के गोड़े कभी न रुकते अपनी गती से चलते हैं
अपनी गती से चलते हैं
मरे आदा में बनदे राम जी इधर उधर न हिलते हैं
आज आयोध्यानगरी में तो गम के दिये जलते हैं
अब जाने की
आग्या देदो राम जी शिष न वाते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
राम चरत मानस का पावन आयोध्या कांड सुनाते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
उत्र विछडे राजा दशिरत पीडा सेहना पाएते
कई कई सागर भर सकते हैं इतने आसु बहाएते
इतने आसु बहाएते
राजा
व्याकुल बोल न सकते रगवर ने समझाएते
यश जाएगा निनदा होगी ऐसा कहके मनाएते
बाज़ु पकड फिर राम की दशिरत अपने पास बिठाते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
राम चरित मानस का पावन आयोध्या कांड सुनाते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
फूट फूट कर रोई नगरी राम लखन का देखा
भेश
मृत प्राय से होकर बेट देखो आयोध्या नगर नरेश
देखो आयोध्या नगर नरेश कहके ही उस पापिन ने ये ऐसा पैदा
किया कलेश
सारे नगरी व्याकुल हो गई नहीं चली थी किसी की पेश
नहीं चली थी किसी की पेश
कोई
डंकिनी कोई पापिन कै कै को बतलाते हैं
राम चरित मानस का पावन आयोध्या कांड देने
कैसे हुआ वनवासराम को आज ये तुमहें बताते हैं
रत में चड़ के चले नगर से फिर से मच गया हाखा
बुरे शकुन तो हुए लंका में आयोध्यमे था शोक अंधकार
आयोध्यमे था शोक अंधकार
भैके इं मुस्काई रही बाकी रोए थे जार जार
कोई भी कुछ कर ना पाया ओनी आगे सब लाचार
ओनी आगे सब लाचार ओनी आगे सब लाचार
वर्कषिस कोई कुछ करना, कुछ पतापि,
कुछ करना जो ओनी पर नहीं करती ना भारो swallowed और थंवलितerin
वणवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
देवलोक से सभी देवता शोक करें मुस्काये रहें
अब दैतियों का नाश करेंगे राम जीवन को जाये रहें
राम जीवन को जाये रहें दुखडा है इस बात का सब को कैसा भेश बनाए रहें
गुरु करण सिंग कमल सिंग ये रहस कास बताए रहें
रहस कास बताए रहें
देखत देखत रत आखों से ओजल ही हो जाते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं
राम चरित मानस का पावन आयोध्या कांड सुनाते हैं
कैसे हुआ वनवास राम को आज ये तुम्हें बताते हैं

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