आवत ही हरसे नहीं
आवत ही हरसे नहीं नैनन नहीं सने
तुलसी वहाँ जाए
कंचन बर्से में
हमने आगन नहीं बुहारा
उचंचल मन को नहीं समहाला
कैसे आएंगे भगवाँ
हमने आगन नहीं बुहारा कैसे आएंगे भगवाँ
चंचल मन को नहीं समहाला कैसे आएंगे भगवाँ
हर कोने कल मसक साए की
लगी हुई है धेरी
हर कोने कल मसक साए की
लगी हुई है धेरी
नहीं ज्यान की किरन कहीं है
हर को ठरी अंधेरी
आगन चोबारा अंधियारा
आगन चोबारा अंधियारा कैसे आएंगे भगवाँ
हमने आगन नहीं बुहारा कैसे आएंगे भगवाँ
हिरृदे हमारा पिखल नपाया जब देखां थुक्यारा
किसी पंथ भूलेने हमसे पाया नहीं सहारा
सूखी है करुणा की धारा
कैसे आएंगे भगवाग
हमने आगन नहीं बुहारा तुमने आगन नहीं बुहारा कैसे आएंगे भगवाग
अंतर के पट खोल के देख लो ईश्वर पास मिलेगा
अंतर के पट खोल के देख लो ईश्वर पास मिलेगा
हर प्राणी में ही परमेश्वर का आभास मिलेगा
कब सच्चे मन से नहीं पुकारा
कैसे आएंगे भगवाग हमने आगन नहीं बुहारा
कैसे आएंगे भगवाग
जय हो
अपकरते साग विधूर घर खाते
इस पर तुमने नहीं बिचारा
कैसे आएंगे भगवाग
हमने आगन नहीं बुहारा तुमने आगन नहीं बुहारा कैसे आएंगे भगवाग
चंचल मन को नहीं समहाला कैसे आएंगे भगवाग