कि जिन्होंने तुम्हारा उपकार किया है कि उनका भौला ना कर सको लेकिन उनका बुरा भी मत करो
है और सृष्टि के अंदर मां को उपकार पिता को उपकार और गुरु का उपकार सबसे बड़ा उपकार माना
है गुरु जी उपकार करता है को माता-पिता से भी बड़ा स्थान का लो कि तुम्हें आ मात्र पिता तुम्हें तो
हम यह वृद्ध गृणव तुम्हें तुम्हें शर्वमम देव देव जैसे हाथीके पाओं में सब के पाउडर समझाते हैं ऐसे
शुरुद्धियों में माता-पिता बंधु सखा सबका भाव समझाता है कि इसलिए गुरु की रिण से उड़न होना बहुत
कठिन है लेकिन कृतगण शिष्य कि गुरु की कृपा को उनके उपकार को भूल जाता है है और उसी गुरु की निंदा
प्रदाएं करने लग जाता है अपनी बासना की जाल में फ़स करके कि अपनी गलतियों को छिपाता है
है और गुरु के बारे में उल्टा बताता है बहुत बड़ा पाप करता है कि emissions शंतान अपने मावाप से ही
करने लग जाते हैं छोड़ो आपके मावाप ने आपको जन्म दिया पालन पोषण किया पढ़ा लिखा दिया बस बहुत है अब
आप तो अपना काम करो आज मोदी प्रधानमंत्री बना है तो अपने कर्तव्यों से बना है उनकी मां तो मजदूरी
करती थी लेकिन मोधी की अमानदारी वसा धरी जिम्मेदारी देश प्रेम चाहिए आज उनको PM बनाकर बिठा है
कि इसलिए आपके कर्म अच्छे हैं तो आपके भाग्य को कोई भी डुबाने वाला है झकार होने की चाहिए से भाग्य
भाग्य महाभाग में बदल जाएगा और जो मन में तुम्हारे इच्छा है वह शक्षूर हो जाएगी भाग्य की निर्माता
तुम सब हो कि भगवान किसी के भाग्य का निर्मान करता है इंसान से अपने भाग्य की रचना करता है
जब तुमारा चिरित्र बिगड़ जाता है
स्वभाव बिगड़ जाता है
बानी बिगड़ जाती है
करम बिगड़ जाते है
बिवहार बिगड़ जाता है
तब तुमारा भाग्य भी बिगड़ जाता है
भाग्य कुछ और नहीं है
इनी चीजों से भाग्य बनता है
कर्मान शार फल तो सभी मिलता यही है
बगवान के घड़ देर है अन्धेर नहीं है
कर्मान शार फल तो सभी मिलता यही है
बगवान के घड़ देर है अन्धेर नहीं है
एक गुणवान पुत्र नेरगुणेश चा अधिवर है
एकश चंद्रस्नमोहन्ती नज तारा सहसर साही
एक गुणवान पुत्र का भी
नाकी सेक्डों दुर्गुणी पुत्र
बगवान के घड़ देर है
से लाखों बुझे दीपग रखे हो जब ज्यादा नहीं हो सकता अंतकार मिट नहीं सकता है लेकिन एक छोटा सा
दीपग जल रहा हो तो छोटे से जलते हुए दीपक से लाखों बझेवे दीपक भी चलाई जा सकते हैं और छोटा सा दीपग
जलता हुआ अंदकार को दूर करने लग जाता है इसलिए जलता हुआ दीपक अगर एक भी पुत्र है आपके घर में तो
आपके घर में उजाला कर देगा प्रकास कर देगा सब दुख दरिद्र मिठा देगा इसलिए जलते भी दीपक अमुनु एक वारघुन
एक सुविच्छिन पुष्पति ने शुगंधिना बासितम स्चादम सर्बम शुपत्रेण कुलम यथा
जैसे कोई जंगल है भगीचा उसमें खुश्बूदार कोई एक पेड़ है इसमें खुश्बुदार फूल लगे हुए
लिए एक पेड़ में खुशबूदार फूल जब खिल जाते हैं लग जाते हैं तो पूरा भगीचा महकने लग जाता है खुशबू
आने लग जाती है ऐसे ही अगर आपकी परिवार में कुलकुटम्ब में अगर एक भी कोई संतान महान आत्मा पैदा हो गई
जाते हैं दिम्ही आत्मा ने जन्म ले लिया है तो पूरे परिवार की खुशबू जगत में फैलने लग जाती है जगत में फैलने
की इंसान की खुशबू रहती है इंसान बदलते रहते हैं दरबार लगा रह जाता है सुल्तान बदलते रहते
करते हैं दुनिया में आप नहीं रहोगे हम नहीं रहेंगे कोई नहीं रहेगा लेकिन आपकी खुस्बु आपकी बदबू
संसार में बहुत दिनों तक रह जाती है आज कबीर नहीं है कृष्ण नहीं है राम नहीं है मिरा नहीं है सिवरी
है लेकिन उन की शुगंद, उनकी भक्ती का आनंद
आज भी फैला हुआ है, आज रामण नहीं है, कंस
हिरणाकस्यक नहीं, हिरणाक्ष नहीं है, लेकिन उनकी बदबू
आज भी फैली हुई है, शुगंद छोड़ कर जाएए
संसार में दुर्गंध मत फैला करके जाती है